आगरा: दिल्ली-हाइवे पर सुल्तानगंज की पुलिया (अब विकल चौक) पर नगर निगम ने आधी रात को मंदिर पर बुलडोजर चला दिया था. इस कार्रवाई से आहत हिंदूवादी नेताओं ने मंगलवार दोपहर में प्रदर्शन किया. इस दौरान गुस्साए कुछ लोग विशेष समुदाय के धर्म स्थल की तरफ बढ़े तो पुलिस ने उन्हें रोका, तभी दो लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया. अपने ऊपर पेट्रोल डालने का दावा करने वाले मनोज अग्रवाल, अवतार गिल, अजय तोमर को पुलिस ने मौके से हटाया.
सौंदर्यीकरण के लिए तोड़ा गया
जानकारी के मुताबिक आगरा-दिल्ली हाइवे स्थित सुल्तानगंज की पुलिया फ्लाईओवर के नीचे प्राचीन समय से दो मंदिर बने हुए थे. फ्लाईओवर बनने के बाद भी मंदिर नहीं हटाए गए. मंदिर के लिए एनएचएआई द्वारा अलग जमीन दी गयी थी, लेकिन मंदिर हटाने के लिए लोग तैयार नहीं थे. बीती रात 12 बजे के लगभग आगरा नगर निगम के अपर नगर आयुक्त अनुपम शुक्ला टीम के साथ मौके पर पहुंचे और मूर्तियों को हटवाकर मंदिर गिरवा दिया. अनुपम शुक्ला ने कहा कि चौराहे का सौंदर्यीकरण किया जाना है, इसलिए अवैध रूप से बने मंदिर को हटाया गया है.
हिंदूवादी नेता कर रहे थे हंगामा
मंदिर तोड़े जाने की सूचना के बाद हिंदूवादी नेता रात से ही वहां हंगामा कर रहे थे. हिंदूवादियों ने मौके पर हनुमान चालीसा का पाठ भी किया. विरोध बढ़ता देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. वहीं हिंदूवादी नेता मनोज अग्रवाल ने मंदिर दोबारा बनाने का आश्वासन नहीं मिलने पर आत्मदाह की धमकी दी. राष्ट्रीय बजरंग दल के अवतार गिल ने खुद आगरा कॉलेज के बाहर सड़क पर बनी मजार के आगे धरने पर बैठने की बात कही. शाम 4 बजे के लगभग हिंदूवादी नेता मनोज अग्रवाल और योगी यूथ ब्रिगेड के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे. इस दौरान एक कार्यकर्ता ने अपने ऊपर पेट्रोल डाल लिया और मनोज अग्रवाल ने आग जलाकर आत्मदाह की कोशिश की.
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पुलिस ने आत्मदाह का प्रयास करने वाले युवक और योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष अजय तोमर और राष्ट्रीय बजरंग दल के अवतार गिल अस्पताल में भर्ती कराया. वहीं मनोज अग्रवाल को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
सिटी मजिस्ट्रेट बोले जांच होगी
पूरे प्रकरण पर सिटी मजिस्ट्रेट अंजनी कुमार का कहना है कि रात में मंदिर तोड़े जाने की जांच की जायेगी. प्रदर्शनकारियों पर भी कार्रवाई की जायेगी, लोगों को धैर्य रखना चाहिए. किसी कीमत पर माहौल खराब नहीं होने दिया जाएगा.
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सीएम योगी ने दिए थे आदेश
गौरतलब हो कि हाईकोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार ने 1 जनवरी 2011 और उसके बाद के सभी उन धार्मिक स्थलों को हटाने के निर्देश दिए थे, जो सड़क किनारे बनाये गए हैं. यही नहीं अतिक्रमण हटाने में बाधा डालने पर क्रिमिनल केस भी दर्ज करने का आदेश दिया था. शासन की ओर से निर्देश दिया गया था कि सड़कों (राजमार्गों सहित), गलियों, फुटपाथों, सड़क के किनारों, लेन पर धार्मिक प्रकृति की कोई संरचना निर्माण की अनुमति बिल्कुल न दी जाए. अगर इस प्रकार की कोई संरचना या निर्माण एक जनवरी 2011 या उसके बाद किया गया हो तो उसे योजना बनाकर संबंधित धार्मिक संरचना के अनुयायियों अथवा इसके प्रबंधन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा प्रस्तावित निजी भूमि (जो उनके समुदाय की होगी) पर 6 महीने के अंदर स्थानांतरित कर दिया जाएगा या उसे वहां से हटा दिया जाएगा.