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हिंदी दिवस विशेष: हिंदी सीखने के लिए परिवार से 'बगावत' कर भारत आए विदेशी मेहमान - युवा विदेशी हिन्दी भाषा सीख रहे हैं

भारत को समझना है, जानना है, इतिहास पढ़ना है तो हिंदी को पढ़ना है. हिंदी विश्व में बोले जाने वाली दूसरे नंबर की भाषा है. अब हिन्दी भाषा का क्रेज विदेशों में भी तेजी से बढ़ रहा है.

विदेशीयों पर चढ़ा हिन्दी भाषा का क्रेज.
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Published : Sep 14, 2019, 2:30 PM IST

आगरा: देश में लोगों के सिर पर अंग्रेजियत का भूत सवार है. युवा विदेशी भाषाएं सीख रहे हैं. वहीं विदेशियों में हिंदी का क्रेज बढ़ रहा है. हिंदी फिल्म और गीत हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हैं. यही वजह है कि हिंदी के इंटरनेशनल दीवानों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिले के केंद्रीय हिंदी संस्थान में कई ऐसे विदेशी स्टूडेंट्स हिंदी सीखने के लिए आए हैं, जो हिंदी फिल्में देखकर और गीतों को सुनकर हिंदी भाषा के मुरीद हो गए.

विदेशियों पर चढ़ा हिन्दी भाषा का क्रेज.

बांग्लादेश के जलालुद्दीन ने हिंदी सीखने के लिए अपने परिवार से भी बगावत कर दी थी. उसके मन में हिंदी की धुन ऐसी सवार हुई कि वह केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने आ गया. ईटीवी भारत ने 'हिंदी दिवस' पर केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने आए विदेशी स्टूडेंट से विशेष बातचीत की.

बॉलीवुड फिल्मों के जरिए हुआ हिंदी से लगाव
बांग्लादेश के जलालुद्दीन ने बताया कि बॉलीवुड की फिल्में देख करके मेरा हिंदी के प्रति लगाव बढ़ा क्योंकि फिल्मों में दिखाया गया है कि भारत और बांग्लादेश की संस्कृति लगभग समान है. बांग्लादेश में सभी समझते हैं कि हिंदी हिंदुओं की भाषा है. संस्कृत भी हिंदुओं का है. हम मुसलमान हैं इसलिए मुझे घरवालों ने हिंदी पढ़ने से मना किया. जब मैंने 12वीं के बाद हिंदी पढ़ने की इच्छा जाहिर की फिर परिवार वालों ने विरोध किया, लेकिन मेरे सिर पर हिंदी सीखने की धुन सवार था. मैंने हिंदी सीखने के लिए घरवालों से बगावत कर दी थी और मैं केंद्रीय हिंदी संस्थान की परीक्षा में बैठा और उसमें पास हो गया. अब मेरे घर वाले भी मान गए हैं. मैं हिंदी सीख रहा हूं और हिंदी सीख कर मैं आगे की पढ़ाई करूंगा. फिर बांग्लादेश में शिक्षक की नौकरी करके हिंदी का प्रचार-प्रसार करूंगा.

बॉलीवुड सिंगर आइडियल
वेस्टइंडीज की छात्रा नीना अनीता महाराज ने बताया कि मैं सिंगर बनना चाहती हूं. मेरी बचपन से हिंदी फिल्मों में सिंगिंग करने की है. बचपन से ही में हिंदी मूवीज और उनके गीत सुनती आ रही हूं. मेरे पूर्वज भारतीय हैं. बॉलीवुड के सिंगर की दीवानी है. बॉलीवुड सिंगर श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, लता मंगेशकर ये सब मेरे आइडियल हैं. इसीलिए हिंदी सीखना चाहती हूं.

हिंदी का प्रोफेसर बनना मेरा लक्ष्य
उजबेकिस्तान की छात्रा शमशी गामर का कहना है कि मैं यहां पर हिंदी भाषा को अच्छी तरह से सीखने के लिए आई हूं क्योंकि बचपन से मुझे हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य पढ़ने का शौक रहा है. मैं हिंदी सीखकर हिंदी की आगे पढ़ाई करुंगी और हिंदी की प्रोफेसर बनना चाहती हूं.

श्रीलंका की छात्रा आशा रविंद्रशे ने बताया कि मैं बचपन से ही हिंदी फिल्में देख रही हूं. मुझे हिंदी भाषा सीखना बहुत अच्छा लग रहा है. हिंदी भाषा एक मधुर भाषा है. दुनियां में दूसरे नंबर पर हिंदी भाषा बोली जाती है. मैं हिंदी केंद्रीय संस्थान में अच्छी तरह से हिंदी सीख करके श्रीलंका में जाकर के हिंदी की शिक्षिका बनूं.

जो भारत को देखते हैं, वो हिंदी को भी देखते हैं
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंद किशोर पांडे का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है. भारत की तेजस्विता सारे विश्व में स्थापित हो रही है. ऐसे में भारत की सबसे बड़ी भाषा को बिना सीखे और बिना जान कोई विश्व स्तर पर अपना स्थान नहीं बना सकता हैं. क्योंकि भारत में तो बिना हिंदी सीखें व्यापार करना बहुत कठिन होगा. इसलिए जो देश भारत की तरफ ही देखते हैं, वह हिंदी की तरफ भी देखते हैं.

आगरा: देश में लोगों के सिर पर अंग्रेजियत का भूत सवार है. युवा विदेशी भाषाएं सीख रहे हैं. वहीं विदेशियों में हिंदी का क्रेज बढ़ रहा है. हिंदी फिल्म और गीत हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हैं. यही वजह है कि हिंदी के इंटरनेशनल दीवानों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिले के केंद्रीय हिंदी संस्थान में कई ऐसे विदेशी स्टूडेंट्स हिंदी सीखने के लिए आए हैं, जो हिंदी फिल्में देखकर और गीतों को सुनकर हिंदी भाषा के मुरीद हो गए.

विदेशियों पर चढ़ा हिन्दी भाषा का क्रेज.

बांग्लादेश के जलालुद्दीन ने हिंदी सीखने के लिए अपने परिवार से भी बगावत कर दी थी. उसके मन में हिंदी की धुन ऐसी सवार हुई कि वह केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने आ गया. ईटीवी भारत ने 'हिंदी दिवस' पर केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने आए विदेशी स्टूडेंट से विशेष बातचीत की.

बॉलीवुड फिल्मों के जरिए हुआ हिंदी से लगाव
बांग्लादेश के जलालुद्दीन ने बताया कि बॉलीवुड की फिल्में देख करके मेरा हिंदी के प्रति लगाव बढ़ा क्योंकि फिल्मों में दिखाया गया है कि भारत और बांग्लादेश की संस्कृति लगभग समान है. बांग्लादेश में सभी समझते हैं कि हिंदी हिंदुओं की भाषा है. संस्कृत भी हिंदुओं का है. हम मुसलमान हैं इसलिए मुझे घरवालों ने हिंदी पढ़ने से मना किया. जब मैंने 12वीं के बाद हिंदी पढ़ने की इच्छा जाहिर की फिर परिवार वालों ने विरोध किया, लेकिन मेरे सिर पर हिंदी सीखने की धुन सवार था. मैंने हिंदी सीखने के लिए घरवालों से बगावत कर दी थी और मैं केंद्रीय हिंदी संस्थान की परीक्षा में बैठा और उसमें पास हो गया. अब मेरे घर वाले भी मान गए हैं. मैं हिंदी सीख रहा हूं और हिंदी सीख कर मैं आगे की पढ़ाई करूंगा. फिर बांग्लादेश में शिक्षक की नौकरी करके हिंदी का प्रचार-प्रसार करूंगा.

बॉलीवुड सिंगर आइडियल
वेस्टइंडीज की छात्रा नीना अनीता महाराज ने बताया कि मैं सिंगर बनना चाहती हूं. मेरी बचपन से हिंदी फिल्मों में सिंगिंग करने की है. बचपन से ही में हिंदी मूवीज और उनके गीत सुनती आ रही हूं. मेरे पूर्वज भारतीय हैं. बॉलीवुड के सिंगर की दीवानी है. बॉलीवुड सिंगर श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, लता मंगेशकर ये सब मेरे आइडियल हैं. इसीलिए हिंदी सीखना चाहती हूं.

हिंदी का प्रोफेसर बनना मेरा लक्ष्य
उजबेकिस्तान की छात्रा शमशी गामर का कहना है कि मैं यहां पर हिंदी भाषा को अच्छी तरह से सीखने के लिए आई हूं क्योंकि बचपन से मुझे हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य पढ़ने का शौक रहा है. मैं हिंदी सीखकर हिंदी की आगे पढ़ाई करुंगी और हिंदी की प्रोफेसर बनना चाहती हूं.

श्रीलंका की छात्रा आशा रविंद्रशे ने बताया कि मैं बचपन से ही हिंदी फिल्में देख रही हूं. मुझे हिंदी भाषा सीखना बहुत अच्छा लग रहा है. हिंदी भाषा एक मधुर भाषा है. दुनियां में दूसरे नंबर पर हिंदी भाषा बोली जाती है. मैं हिंदी केंद्रीय संस्थान में अच्छी तरह से हिंदी सीख करके श्रीलंका में जाकर के हिंदी की शिक्षिका बनूं.

जो भारत को देखते हैं, वो हिंदी को भी देखते हैं
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंद किशोर पांडे का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है. भारत की तेजस्विता सारे विश्व में स्थापित हो रही है. ऐसे में भारत की सबसे बड़ी भाषा को बिना सीखे और बिना जान कोई विश्व स्तर पर अपना स्थान नहीं बना सकता हैं. क्योंकि भारत में तो बिना हिंदी सीखें व्यापार करना बहुत कठिन होगा. इसलिए जो देश भारत की तरफ ही देखते हैं, वह हिंदी की तरफ भी देखते हैं.

Intro:एक्सक्लुसिव का लोगो लगा लीजिए. यह स्टोरी ईटीवी भारत के ही पास है.
आगरा.
देश में लोगों के सिर अंग्रेजियत का भूत सवार है. युवा विदेशी भाषाएं सीख रहे हैं. मगर विदेशियों में हिंदी का क्रेज बढ़ रहा है. हिंदी फिल्म और गीत हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हैं. यही वजह है कि, हिंदी के इंटरनेशनल दीवानों की संख्या बढ़ती जा रही है. आगरा के केंद्रीय हिंदी संस्थान में कई ऐसे विदेशी स्टूडेंट्स हिंदी सीखने के लिए आए हैं, जो हिंदी फिल्में देखकर और गीतों सुनकर हिंदी भाषा के मुरीद हो गए. बांग्लादेश के जलालुद्दीन ने हिंदी सीखने के लिए अपने परिवार से भी बगावत कर दी थी. उसके मन में हिंदी की धुन ऐसी सवार हुई, कि केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने आ गए हैं. ईटीवी भारत ने 'हिंदी दिवस' पर केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने आए विदेशी स्टूडेंट से विशेष बातचीत की. आगरा से श्यामवीर सिंह की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट.


Body:बॉलीवुड फिल्मों से हुआ हिंदी से लगाव
बांग्लादेश के जलालुद्दीन ने बताया कि, बॉलीवुड की फिल्में देख करके मेरा हिंदी के प्रति लगाव हुआ, क्योंकि फिल्मों में दिखाया गया है कि भारत और बांग्लादेश की संस्कृति लगभग समान है. बांग्लादेश देश में सभी समझते हैं कि, हिंदी हिंदुओं की भाषा है. संस्कृत भी हिंदुओं का है.हम मुसलमान हैं. इसलिए मुझे घरवालों ने हिंदी पढ़ने से मना किया. जब मैंने 12वीं के बाद हिंदी पढ़ने की इच्छा जाहिर की, फिर परिवार वालों ने विरोध किया. लेकिन मैं मेरे सिर पर हिंदी का हिंदी सीखने की धुन सवार हो गई थी. मैंने हिंदी सीखने के लिए घरवालों से बगावत कर दी थी और मैं केंद्रीय हिंदी संस्थान की परीक्षा में बैठा और उसमें पास हो गया. अब मेरे घर वाले भी मान गए हैं. मैं हिंदी सीख रहा हूं और हिंदी सीख कर मैं आगे की पढ़ाई करूंगा. फिर बांग्लादेश में शिक्षक की नौकरी करके हिंदी का प्रचार प्रसार करूंगा.

बॉलीवुड सिंगर आइडियल
वेस्टइंडीज की छात्रा नीना अनीता महाराज ने बताया कि, मैं सिंगर बनना चाहती हूं. मेरी बचपन से हिंदी फिल्मों में सिंगिंग करने की है. बचपन से ही में हिंदी मूवीज और उनके गीत सुनती आ रही हूं. मेरे पूर्वज भारतीय हैं. बॉलीवुड के सिंगर की दीवानी है.बॉलीवुड सिंगर श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, लता मंगेशकर ये सब मेरे आइडियल हैं. इसीलिए हिंदी सीखना चाहती हूं.

हिंदी का प्रोफ़ेसर बनना मेरा लक्ष्य
उजबेकिस्तान की छात्रा शमशी गामर का कहना है कि, मैं यहां पर हिंदी भाषा को अच्छी तरह से सीखने के लिए आई हूं. क्योंकि बचपन से मुझे हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य पढ़ने का शौक था. मैं हिंदी सीखकर हिंदी की आगे पढ़ाई करुंगी. और हिंदी का प्रोफेसर बनना चाहती हूं.

श्रीलंका की छात्रा आशा रविंद्रशे ने बताया कि, मैं बचपन से ही हिंदी फिल्में देख रही हूं. मुझे हिंदी भाषा सीखना बहुत अच्छा लग रहा है. हिंदी भाषा एक मधुर भाषा है. दुनियां में दूसरे नंबर पर हिंदी भाषा बोली जाती है. मैं हिंदी केंद्रीय हिंदी संस्थान में अच्छी तरह से हिंदी सीख करके श्रीलंका में जाकर के हिंदी की शिक्षिका बनूं.

जो भारत को देखते हैं, वो हिंदी को भी देखते हैं
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंद किशोर पांडे का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बढ़ रही है. भारत की तेजस्विता सारे विश्व में स्थापित हो रही है. ऐसे में भारत की सबसे बड़ी भाषा को बिना सीखे और बिना जान कोई विश्व स्तर पर अपना स्थान नहीं बना सकता हैं. क्योंकि भारत में तो बिना हिंदी सीखें व्यापार करना बहुत कठिन होगा. इसलिए जो देश भारत की तरफ ही देखते हैं, वह हिंदी की तरफ भी देखते हैं.





Conclusion:भारत को समझना है. जानना है. इतिहास पढ़ना है तो हिंदी को पढ़ना, लिखना और बोलना भी सीखना होगा. हिंदी विश्व में बोले जाने वाली दूसरे नंबर की भाषा है. इसलिए अब विदेशों में तेजी से हिंदी का क्रेज बढ़ रहा है.
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बाइट जलालुद्दीन, बांग्लादेशी छात्र की।
बाइट नीना अनीता महाराज, वेस्टइंडीज की छात्रा ।
बाइट शमशी गामर , उजबेकिस्तानी छात्रा ।
बाइट आशा रविंद्रशे , श्रीलंकन छात्रा ।
बाइट प्रो. नंद किशोर पांडे , निदेशक , केंद्रीय हिंदी संस्थान ।

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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