आगरा: ताजनगरी में इस बार भी पटाखा कारोबारियों ने हंगामा किया. पटाखा कारोबारियों ने बताया कि किसी ने कर्ज पर, तो किसी ने जेवर बेचकर, तो किसी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए रखे पैसों से पटाखे खरीदे थे, लेकिन प्रशासन ने पिछले साल रोक लगा दी कि पटाखों की कोई दुकान नहीं लगेगी. उन्होंने कहा कि पिछली बार कोरोना की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया था कि पटाखों की दुकान नहीं लगेगी, लेकिन इस बार जब आगरा प्रदूषण की कैटेगरी में आता ही नहीं है, तो फिर इस बार पटाखों की दुकान लगाने की परमिशन प्रशासन हमको क्यों नहीं दे रहा. वहीं, एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी ने बताया कि एनजीटी का रूल है कि 200 से ऊपर यदि एयूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) है, तो परमिशन नहीं मिलेगी और आगरा उसी कैटेगरी में आता है, इसलिए आगरा में इस बार पटाखों की दुकान नहीं लगेगी.
विकास अग्रवाल ने बताया कि बच्चों की फीस जमा न करने के कारण उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया. ऐसे तमाम पटाखा कार्रवाई होने अपना दर्द ईटीवी भारत के सामने बयां किया.
वहीं एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी ने बताया कि एनजीटी का रूल है कि एयूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) यदि 200 से ऊपर होगा, तो वह रेड जोन में आता है. वहां परमिशन बिल्कुल भी पटाखा जलाने की नहीं दी जाएगी. अगर 200 से 100 के बीच में रहता है, तो सिर्फ ग्रीन पटाखों को ही जलाने की परमिशन है.
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