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पटाखा कारोबारियों का दर्द: कहा- प्रदूषण के मानक में जब आगरा है ही नहीं तो पटाखों पर क्यों लगाई रोक - pollution index in Agra

यूपी के आगरा में एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) को देखते हुए पटाखों की बिक्री पर पिछले साल प्रशासन ने रोक लगा दी थी. वहीं, अब जिले के पटाखा कारोबारियों ने अपना दर्द बयां करते हुए प्रशासन से पटाखा की दुकानें लगाने की अनुमति मांगी है.

पटाखा कारोबारियों का दर्द
पटाखा कारोबारियों का दर्द
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Published : Oct 26, 2021, 11:59 AM IST

आगरा: ताजनगरी में इस बार भी पटाखा कारोबारियों ने हंगामा किया. पटाखा कारोबारियों ने बताया कि किसी ने कर्ज पर, तो किसी ने जेवर बेचकर, तो किसी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए रखे पैसों से पटाखे खरीदे थे, लेकिन प्रशासन ने पिछले साल रोक लगा दी कि पटाखों की कोई दुकान नहीं लगेगी. उन्होंने कहा कि पिछली बार कोरोना की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया था कि पटाखों की दुकान नहीं लगेगी, लेकिन इस बार जब आगरा प्रदूषण की कैटेगरी में आता ही नहीं है, तो फिर इस बार पटाखों की दुकान लगाने की परमिशन प्रशासन हमको क्यों नहीं दे रहा. वहीं, एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी ने बताया कि एनजीटी का रूल है कि 200 से ऊपर यदि एयूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) है, तो परमिशन नहीं मिलेगी और आगरा उसी कैटेगरी में आता है, इसलिए आगरा में इस बार पटाखों की दुकान नहीं लगेगी.

सुनिए पटाखा कारोबारियों का दर्द.
पटाखा व्यापारी प्रहलाद ने कहा कि कोई 10 साल से तो कोई 8 साल से कोई 5 साल से पटाखे का कारोबार कर रहा है. सभी ने जैसे-तैसे पैसा इकट्ठा कर उधार लेकर, ब्याज पर पैसे लेकर पटाखे खरीदे और पिछले साल कोरोना की वजह से दुकाने नहीं लगने दीं, लेकिन व्यापारियों ने उम्मीद रखी थी कि अगले साल पटाखे बिक जाएंगे. इस उम्मीद से सभी पटाखे कारोबारी प्रशासन से मिलने पहुंचे कि उन्हें इस बार दुकान लगाने की परमिशन दी जाय, लेकिन परमिशन न मिलने की वजह से इस बार भी पटाखा कारोबारियों की दिवाली फीकी रहेगी.
पटाखा कारोबारी सुरेश ने बताया कि मकान गिरवी रखकर उन्होंने जो पैसे उठाए थे, उससे पटाखा की दुकान लगाने के लिए पटाखे खरीदे, लेकिन पिछले साल भी दुकान नहीं लग पाई और वह माल उनके पास पड़ा रह गया. उन्हें नीति अगले साल दीपावली पर माल बिक जाएगा, लेकिन हाल ही की परमिशन न मिलने की वजह से इस बार भी माल उनका पड़ा रह गया. लगातार घाटे में जाने की वजह से और कोई काम धंधा न होने की वजह से आज यह हाल हो गया है कि सुरेश रिक्शा चलाने को मजबूर है.

विकास अग्रवाल ने बताया कि बच्चों की फीस जमा न करने के कारण उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया. ऐसे तमाम पटाखा कार्रवाई होने अपना दर्द ईटीवी भारत के सामने बयां किया.

वहीं एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी ने बताया कि एनजीटी का रूल है कि एयूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) यदि 200 से ऊपर होगा, तो वह रेड जोन में आता है. वहां परमिशन बिल्कुल भी पटाखा जलाने की नहीं दी जाएगी. अगर 200 से 100 के बीच में रहता है, तो सिर्फ ग्रीन पटाखों को ही जलाने की परमिशन है.

इसे भी पढ़ें- पूर्व मंत्री राजा भैया कार्यकर्ता सम्मेलन से भरेंगे चुनावी हुंकार, देंगे जीत का मंत्र

आगरा: ताजनगरी में इस बार भी पटाखा कारोबारियों ने हंगामा किया. पटाखा कारोबारियों ने बताया कि किसी ने कर्ज पर, तो किसी ने जेवर बेचकर, तो किसी ने बच्चों की पढ़ाई के लिए रखे पैसों से पटाखे खरीदे थे, लेकिन प्रशासन ने पिछले साल रोक लगा दी कि पटाखों की कोई दुकान नहीं लगेगी. उन्होंने कहा कि पिछली बार कोरोना की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय लिया था कि पटाखों की दुकान नहीं लगेगी, लेकिन इस बार जब आगरा प्रदूषण की कैटेगरी में आता ही नहीं है, तो फिर इस बार पटाखों की दुकान लगाने की परमिशन प्रशासन हमको क्यों नहीं दे रहा. वहीं, एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी ने बताया कि एनजीटी का रूल है कि 200 से ऊपर यदि एयूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) है, तो परमिशन नहीं मिलेगी और आगरा उसी कैटेगरी में आता है, इसलिए आगरा में इस बार पटाखों की दुकान नहीं लगेगी.

सुनिए पटाखा कारोबारियों का दर्द.
पटाखा व्यापारी प्रहलाद ने कहा कि कोई 10 साल से तो कोई 8 साल से कोई 5 साल से पटाखे का कारोबार कर रहा है. सभी ने जैसे-तैसे पैसा इकट्ठा कर उधार लेकर, ब्याज पर पैसे लेकर पटाखे खरीदे और पिछले साल कोरोना की वजह से दुकाने नहीं लगने दीं, लेकिन व्यापारियों ने उम्मीद रखी थी कि अगले साल पटाखे बिक जाएंगे. इस उम्मीद से सभी पटाखे कारोबारी प्रशासन से मिलने पहुंचे कि उन्हें इस बार दुकान लगाने की परमिशन दी जाय, लेकिन परमिशन न मिलने की वजह से इस बार भी पटाखा कारोबारियों की दिवाली फीकी रहेगी.
पटाखा कारोबारी सुरेश ने बताया कि मकान गिरवी रखकर उन्होंने जो पैसे उठाए थे, उससे पटाखा की दुकान लगाने के लिए पटाखे खरीदे, लेकिन पिछले साल भी दुकान नहीं लग पाई और वह माल उनके पास पड़ा रह गया. उन्हें नीति अगले साल दीपावली पर माल बिक जाएगा, लेकिन हाल ही की परमिशन न मिलने की वजह से इस बार भी माल उनका पड़ा रह गया. लगातार घाटे में जाने की वजह से और कोई काम धंधा न होने की वजह से आज यह हाल हो गया है कि सुरेश रिक्शा चलाने को मजबूर है.

विकास अग्रवाल ने बताया कि बच्चों की फीस जमा न करने के कारण उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया. ऐसे तमाम पटाखा कार्रवाई होने अपना दर्द ईटीवी भारत के सामने बयां किया.

वहीं एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी ने बताया कि एनजीटी का रूल है कि एयूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) यदि 200 से ऊपर होगा, तो वह रेड जोन में आता है. वहां परमिशन बिल्कुल भी पटाखा जलाने की नहीं दी जाएगी. अगर 200 से 100 के बीच में रहता है, तो सिर्फ ग्रीन पटाखों को ही जलाने की परमिशन है.

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