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सूख रही उटंगन नदी, किसान परेशान - उटंगन नदी

आगरा में उटंगन नदी का जलस्तर गिरने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नदी का जलस्तर नीचे गिर जाने से किसानों को खेतों की सिंचाई करने में समस्या खड़ी हो रही है.

सूख रही उटंगन नदी.
सूख रही उटंगन नदी.
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Published : Feb 14, 2021, 9:45 AM IST

आगरा: जनपद में तीन राज्यों से बहने वाली उटंगन नदी का जलस्तर गिरने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसान जहां नदी के पानी से खेतों की सिंचाई करते थे. वहीं जलस्तर नीचे गिर जाने से किसानों के सामने सिंचाई की समस्या खड़ी हो गई है. गिरता हुआ जलस्तर क्षेत्र में आने वाले दिनों में बड़ी समस्या बनता जा रहा है.

जानकारी देती ग्रामीण.

सूख रही नदी, घट रहा जलस्तर
उटंगन नदी तीन प्रदेशों में होकर बहती है. राजस्थान से शुरू होकर यह नदी उत्तर प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश के कुछ हिस्से तक फैली है. इसे मुख्य रूप से यमुना और चंबल की सहायक नदी के नाम से जाना जाता है. करीब 15 साल से बारिश के समय को छोड़कर बाकी के दिनों में नदी पूरी तरह सूख जाती है. कुछ स्थानों पर नाले जैसी दिखाई देती हैं. लगातार जलस्तर गिर रहा है, जो कि आने वाले समय में परेशानी का सबक बनता जा रहा है.

दो दशक पहले बने थे बाढ़ जैसे हालात
साल 1994 में उटंगन नदी में पानी देख ग्रामीणों ने राहत की सांस ली थी, तभी बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ जैसे हालातों ने परेशानी में डाल दिया था. आज स्थिति बिल्कुल उल्टी है. नदी लगभग सूख गई है. बरसात के दिनों में थोड़ा बहुत पानी दिखाई देता है.

यहां बहती है उटंगन की धारा
उटंगन नदी राजस्थान की ओर से जगनेर, खेरागढ़, सैंया, राजाखेड़ा, शमसाबाद, फतेहाबाद, पिनाहट, सिरसागंज, जैतपुर, शिकोहाबाद, टूंडला इलाकों में बहती है. बारिश के बाद नदी किसी काम की नहीं रह जाती.

सूख गई कुइया
उटंगन पुल के पास बने भोलेनाथ मंदिर के पास पानी पीने के लिए 20 से 25 फुट की गहराई पर ग्रामीणों द्वारा पानी पीने के लिए कुइया बनाई गई थी, लेकिन अब नदी लगातार सूखती जा रही है, जिसके चलते कुइया सूखी दिखाई देती हैं.

सूख गए कुएं, सिंचाई के लिए लगवाई गई समर्सिबल
क्षेत्र में पहले हर गांव में पानी पीने के लिए कुए होते थे. साथ ही सिंचाई के लिए भी कुए होते थे, लेकिन जैसे-जैसे इलाके में जल स्तर गिरता गया. कुए सिर्फ नाम मात्र के बचे रहे. खेतों में होने वाली फसल सिंचाई के लिए किसानों के सामने एक बड़ी समस्या लगातार बनती जा रही है, जिसके बाद कुछ किसानों ने किसान फसल की सिंचाई के लिए ट्यूबेल लगवा कर सिंचाई करने को मजबूर है. वहीं जिन किसानों के पास ट्यूबवेल की व्यवस्था नहीं है. वह नदी में पानी आने के इंतजार में हर रोज टकटकी लगाए देखते रहते हैं.

तटवर्ती गांव में रहने वाले किसानों की समस्या
महिला मेमवती निवासी उटंगन नदी ठार ने बताया कि अगर इस पानी को सहेज पाते हैं तो आसपास क्षेत्र के गांव में जलस्तर नहीं गिरता. समय से फसल की सिंचाई के लिए पानी भी मिल जाता, लेकिन नदी सूख जाने से पानी की समस्या नहीं रहती है.

पप्पू कुमार निवासी छीतापुरा ने बताया कि जब नदी में पानी हुआ करता था. तब 30 से 35 फुट पर आसानी से कुआं खोद का पानी मिल जाता था, लेकिन इस समय जब नदी में पानी नहीं है तो जल स्तर गिर रहा हैं नदी पूरी तरह सूख गई है.

पप्पू सिंह निवासी उटंगन नदी ठार ने बताया कि अब तो हालात बदल गए हैं. अब आसपास के इलाकों में जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. नदी में पानी न होने से जल स्तर इलाकों में गिरकर 200 फीट तक पहुंच गया है.

इसे भी पढे़ं- हाथरस मामला: PFI मेंबर रऊफ शरीफ को केरल से UP ला रही STF

आगरा: जनपद में तीन राज्यों से बहने वाली उटंगन नदी का जलस्तर गिरने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसान जहां नदी के पानी से खेतों की सिंचाई करते थे. वहीं जलस्तर नीचे गिर जाने से किसानों के सामने सिंचाई की समस्या खड़ी हो गई है. गिरता हुआ जलस्तर क्षेत्र में आने वाले दिनों में बड़ी समस्या बनता जा रहा है.

जानकारी देती ग्रामीण.

सूख रही नदी, घट रहा जलस्तर
उटंगन नदी तीन प्रदेशों में होकर बहती है. राजस्थान से शुरू होकर यह नदी उत्तर प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश के कुछ हिस्से तक फैली है. इसे मुख्य रूप से यमुना और चंबल की सहायक नदी के नाम से जाना जाता है. करीब 15 साल से बारिश के समय को छोड़कर बाकी के दिनों में नदी पूरी तरह सूख जाती है. कुछ स्थानों पर नाले जैसी दिखाई देती हैं. लगातार जलस्तर गिर रहा है, जो कि आने वाले समय में परेशानी का सबक बनता जा रहा है.

दो दशक पहले बने थे बाढ़ जैसे हालात
साल 1994 में उटंगन नदी में पानी देख ग्रामीणों ने राहत की सांस ली थी, तभी बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ जैसे हालातों ने परेशानी में डाल दिया था. आज स्थिति बिल्कुल उल्टी है. नदी लगभग सूख गई है. बरसात के दिनों में थोड़ा बहुत पानी दिखाई देता है.

यहां बहती है उटंगन की धारा
उटंगन नदी राजस्थान की ओर से जगनेर, खेरागढ़, सैंया, राजाखेड़ा, शमसाबाद, फतेहाबाद, पिनाहट, सिरसागंज, जैतपुर, शिकोहाबाद, टूंडला इलाकों में बहती है. बारिश के बाद नदी किसी काम की नहीं रह जाती.

सूख गई कुइया
उटंगन पुल के पास बने भोलेनाथ मंदिर के पास पानी पीने के लिए 20 से 25 फुट की गहराई पर ग्रामीणों द्वारा पानी पीने के लिए कुइया बनाई गई थी, लेकिन अब नदी लगातार सूखती जा रही है, जिसके चलते कुइया सूखी दिखाई देती हैं.

सूख गए कुएं, सिंचाई के लिए लगवाई गई समर्सिबल
क्षेत्र में पहले हर गांव में पानी पीने के लिए कुए होते थे. साथ ही सिंचाई के लिए भी कुए होते थे, लेकिन जैसे-जैसे इलाके में जल स्तर गिरता गया. कुए सिर्फ नाम मात्र के बचे रहे. खेतों में होने वाली फसल सिंचाई के लिए किसानों के सामने एक बड़ी समस्या लगातार बनती जा रही है, जिसके बाद कुछ किसानों ने किसान फसल की सिंचाई के लिए ट्यूबेल लगवा कर सिंचाई करने को मजबूर है. वहीं जिन किसानों के पास ट्यूबवेल की व्यवस्था नहीं है. वह नदी में पानी आने के इंतजार में हर रोज टकटकी लगाए देखते रहते हैं.

तटवर्ती गांव में रहने वाले किसानों की समस्या
महिला मेमवती निवासी उटंगन नदी ठार ने बताया कि अगर इस पानी को सहेज पाते हैं तो आसपास क्षेत्र के गांव में जलस्तर नहीं गिरता. समय से फसल की सिंचाई के लिए पानी भी मिल जाता, लेकिन नदी सूख जाने से पानी की समस्या नहीं रहती है.

पप्पू कुमार निवासी छीतापुरा ने बताया कि जब नदी में पानी हुआ करता था. तब 30 से 35 फुट पर आसानी से कुआं खोद का पानी मिल जाता था, लेकिन इस समय जब नदी में पानी नहीं है तो जल स्तर गिर रहा हैं नदी पूरी तरह सूख गई है.

पप्पू सिंह निवासी उटंगन नदी ठार ने बताया कि अब तो हालात बदल गए हैं. अब आसपास के इलाकों में जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. नदी में पानी न होने से जल स्तर इलाकों में गिरकर 200 फीट तक पहुंच गया है.

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