आगरा: जिले के बहुचर्चित 'मौत वाली मॉकड्रिल' से प्रदेश में खलबली मची हुई है. जिला प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से पारस हॉस्पिटल को सील कर दिया है. डीएम प्रभु नारायण सिंह ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां पर भर्ती मरीजों को अन्य जगह शिफ्ट करने में मदद करेगी, लेकिन मंगलवार देर रात करीब 9 बजे तक स्वास्थ्य विभाग की टीम पारस हॉस्पिटल नहीं पहुंची.
जिला प्रशासन की लापरवाही से पारस हॉस्पिटल प्रबंधन भी मनमानी पर उतर आया है. हॉस्पिटल प्रबंधन ने भर्ती मरीजों के तीमारदारों से कागज पर हस्ताक्षर ले लिए हैं और कह दिया है कि आप अपने मरीज को अब कहीं भी ले जा सकते हैं. इससे तीमारदार दहशत में आ गए हैं. तीमारदारों ने हॉस्पिटल के बाहर जमकर हंगामा किया. उनका कहना है कि अब ऐसे में हम अपने मरीज को कहां ले करके जाएं.
बता दें कि डीएम प्रभु नारायण सिंह ने मंगलवार दोपहर पारस हॉस्पिटल को सील करने के निर्देश दिए थे और कहा था कि हॉस्पिटल में भर्ती 55 मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की टीम दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट करेगी. यह काम बहुत जल्दी होगा, लेकिन मंगलवार रात करीब 9 बजे तक ऐसा नहीं हुआ. इससे पहले ही हॉस्पिटल प्रबंधन ने अपनी मनमानी शुरू कर दी. तीमारदारों से बकाया शुल्क की वसूली के साथ कागज पर हस्ताक्षर लेना शुरू कर दिया.
कहां ले जाएं अपने मरीज
फर्रुखाबाद निवासी एक मरीज के तीमारदार ने बताया कि उसने अपने बेटे को यहां भर्ती कराया था. अभी उसकी हालत में सुधार है, लेकिन मंगलवार शाम को अस्पताल प्रशासन ने पहले बकाया शुल्क लेने के बाद एक कागज पर हस्ताक्षर कराए. वहीं अब कह रहे हैं कि आप अपने मरीज को यहां से ले जाइए. ऐसे में मैं अपने बेटे को अब कहां लेकर जाऊं.
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वहीं एक महिला तीमारदार ने बताया कि उनके पति की हालत गंभीर है. इंफेक्शन हुआ है. अभी सुधार नहीं हो रहा है. बेटा भी मंगलवार सुबह गांव गया है. अब अस्पताल वाले कह रहे हैं कि यह सील हो रहा है. आप मरीज को ले जाइए. अब मैं क्या करूं.
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, आगरा-दिल्ली हाईवे पर स्थित पारस हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन के सोमवार को चार वीडियो वायरल हुए, जिसमें डॉ. अरिंजय जैन हॉस्पिटल में भर्ती कोविड-19 मरीजों के ऊपर की गई ऑक्सीजन हटाने की मॉकड्रिल की बात कर रहे हैं. यह बात 26 अप्रैल 2021 को हुई थी. जिला प्रशासन ने पारस हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल बनाया है. उस समय हॉस्पिटल में 96 मरीज भर्ती थे, जिन पर पांच मिनट की मॉकड्रिल की गई थी, जिसमें 5 मिनट तक ऑक्सीजन हटाई गई थी. इससे गंभीर 22 मरीजों की हालत खराब हो गई थी.