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up top eye surgeon: एक रुपए के परचे पर अंधेरी जिंदगी में फैला रहे खुशियों का उजाला, पढ़िए खास खबर - आई सर्जन डॉ संजीव सक्सेना

एक रुपए के परचे पर हजारों अंधेरी जिंदगी में खुशियों का उजाला फैलाने वाले डॉक्टर के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. उन्हें ऐसे ही यूपी का टॉप आई सर्जन नहीं कहा जाता. आखिर उन्होंने यह मुकाम कैसे पाया और किस तरह वह लोगों के जीवन को रोशन कर रहे हैं चलिए जानते हैं इस खास खबर के जरिए.

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Published : Jan 12, 2023, 5:18 PM IST

आगरा: आगरा जिला अस्पताल के आई सर्जन डॉ. संजीव सक्सेना हजारों लोगों की जिंदगी में उजाला कर रहे हैं. यूपी सरकार के सबसे ज्यादा मोतियाबिंद करने वाले आई सर्जन की रैंक में डॉ. संजीव सक्सेना टॉप पर हैं. इस वजह से उन्हें यूपी का टॉप आई डॉक्टर कहा जाता है. उन्होंने 3581 मोतियाबिंद की बीते साल सर्जरी की थीं. वहीं, 2982 मोतियाबिंद की सर्जरी के साथ यूपी में दूसरी रैंक जालौन के जिला अस्पताल के आई सर्जन डॉ. आरपी सिंह की है. 2366 आई सर्जरी करने वाले झांसी जिला अस्पताल के आई सर्जन डॉ प्रभात चौरसिया की तीसरी रैंक है. महज एक रुपए के परचे पर वह लोगों की जिंदगी में उजाला फैला रहे हैं. इस तरह के इलाज के लिए निजी अस्पताल कम से कम दस हजार रुपए चार्ज करते हैं. खासकर गरीब मरीजों के लिए डॉ. संजीव सक्सेना देव पुरुष जैसे हैं.

आंखों के मरीजों को यहां मिलती है नई रोशनी.
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आई सर्जन डॉ. संजीव सक्सेना लोगों के लिए बने उम्मीद की रोशनी.
मूलत: मेरठ के रहने वाले डॉ. संजीव सक्सेना आगरा जिला अस्पताल में तैनात हैं. डॉ. संजीव सक्सेना आई सर्जन हैं. यूपी सरकार ने सत्र 2021-22 में सबसे ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी करने वाले सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स की सूची जारी की थी. इसमें डॉ.संजीव सक्सेना टॉप पर हैं. डॉ. संजीव श्रीवास्तव ने बीते एक साल में मोतियाबिंद की 3581 सर्जरी की हैं. इस साल अभी तक डॉ. संजीव सक्सेना 2300 से ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी कर चुके हैं.
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प्रदेश सरकार की ओर से जारी सूची में टॉप पर डॉक्टर संजीव सक्सेना.

डॉ. संजीव सक्सेना का कहना है कि परिवार में चाचा जनरल सर्जन हैं. वह जनसेवा के चलते एक छोटे से कस्बे में रहे. वे चाहते तो बड़े शहर में जा सकते थे. बचपन में चाचाजी को देखकर मैंने डॉक्टर बनने का सपना देखा. यह जनसेवा का सबसे अच्छा तरीका है. यदि आप सरकारी चिकित्सक बन गए, खूब जनसेवा कर सकते हैं इसलिए, पढ़ाई की और चिकित्सक बन गया. सरकारी अस्पताल में अपनी सेवा के साथ जनसेवा भी हो रही है. डॉ संजीव सक्सेना का मानना है कि जिला अस्पताल में मोतियाबिंद या अन्य आंखों से संबंधी बीमारी की सर्जरी कराने आए मरीज न लौटें इस मंशा के साथ वे काम करते हैं. सरकार ने प्रदेश में सबसे ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स की रैंक जारी की है. इत्तेफाक से मैंने प्रदेश में सबसे ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी की है.

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इलाज के लिए दूर-दराज के इलाकों से पहुंच रहे लोग.

संजीव सक्सेना का कहना है कि यदि कोई भी व्यक्ति जिला अस्पताल में मोतियाबिंद या अन्य बीमारी के इलाज के लिए आता है तो उसे सिर्फ एक रुपए की पर्ची बनवानी होती है. मोतियाबिंद की बात करें तो निजी हॉस्पिटल में दस हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए में मोतियाबिंद की सर्जरी होती है. निजी हॉस्पिटल में 10000 की सर्जरी में जो लेंस लगाया जाता है वही, लेंस जिला अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद निशुल्क लगाया जाता है. इस वजह से मोतियाबिंद की सर्जरी कराने के लिए अधिक लोग जिला अस्पताल आते हैं.

आई सर्जन डॉ. संजीव सक्सेना का कहना है कि सबसे ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी साल में नवंबर माह से मार्च माह तक होती हैं. वैसे लोगों को यह भी जागरूक किया जाता है कि वे गर्मी में भी सर्जरी कराएं. जिससे सर्दी आने पर अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी कराने वालों का लोड ना बढ़े. फिर भी लोग सर्दी में ही सर्जरी कराने के लिए आते हैं. मोतियाबिंद की सर्जरी करने के बाद अगले दिन से ही दिखाई देने लगता है.


ये भी पढ़ेंः crack wall in baghpat: अलीगढ़ के बाद अब बागपत में दरकीं दीवारें, दहशत में लोग

आगरा: आगरा जिला अस्पताल के आई सर्जन डॉ. संजीव सक्सेना हजारों लोगों की जिंदगी में उजाला कर रहे हैं. यूपी सरकार के सबसे ज्यादा मोतियाबिंद करने वाले आई सर्जन की रैंक में डॉ. संजीव सक्सेना टॉप पर हैं. इस वजह से उन्हें यूपी का टॉप आई डॉक्टर कहा जाता है. उन्होंने 3581 मोतियाबिंद की बीते साल सर्जरी की थीं. वहीं, 2982 मोतियाबिंद की सर्जरी के साथ यूपी में दूसरी रैंक जालौन के जिला अस्पताल के आई सर्जन डॉ. आरपी सिंह की है. 2366 आई सर्जरी करने वाले झांसी जिला अस्पताल के आई सर्जन डॉ प्रभात चौरसिया की तीसरी रैंक है. महज एक रुपए के परचे पर वह लोगों की जिंदगी में उजाला फैला रहे हैं. इस तरह के इलाज के लिए निजी अस्पताल कम से कम दस हजार रुपए चार्ज करते हैं. खासकर गरीब मरीजों के लिए डॉ. संजीव सक्सेना देव पुरुष जैसे हैं.

आंखों के मरीजों को यहां मिलती है नई रोशनी.
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आई सर्जन डॉ. संजीव सक्सेना लोगों के लिए बने उम्मीद की रोशनी.
मूलत: मेरठ के रहने वाले डॉ. संजीव सक्सेना आगरा जिला अस्पताल में तैनात हैं. डॉ. संजीव सक्सेना आई सर्जन हैं. यूपी सरकार ने सत्र 2021-22 में सबसे ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी करने वाले सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स की सूची जारी की थी. इसमें डॉ.संजीव सक्सेना टॉप पर हैं. डॉ. संजीव श्रीवास्तव ने बीते एक साल में मोतियाबिंद की 3581 सर्जरी की हैं. इस साल अभी तक डॉ. संजीव सक्सेना 2300 से ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी कर चुके हैं.
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प्रदेश सरकार की ओर से जारी सूची में टॉप पर डॉक्टर संजीव सक्सेना.

डॉ. संजीव सक्सेना का कहना है कि परिवार में चाचा जनरल सर्जन हैं. वह जनसेवा के चलते एक छोटे से कस्बे में रहे. वे चाहते तो बड़े शहर में जा सकते थे. बचपन में चाचाजी को देखकर मैंने डॉक्टर बनने का सपना देखा. यह जनसेवा का सबसे अच्छा तरीका है. यदि आप सरकारी चिकित्सक बन गए, खूब जनसेवा कर सकते हैं इसलिए, पढ़ाई की और चिकित्सक बन गया. सरकारी अस्पताल में अपनी सेवा के साथ जनसेवा भी हो रही है. डॉ संजीव सक्सेना का मानना है कि जिला अस्पताल में मोतियाबिंद या अन्य आंखों से संबंधी बीमारी की सर्जरी कराने आए मरीज न लौटें इस मंशा के साथ वे काम करते हैं. सरकार ने प्रदेश में सबसे ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स की रैंक जारी की है. इत्तेफाक से मैंने प्रदेश में सबसे ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी की है.

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इलाज के लिए दूर-दराज के इलाकों से पहुंच रहे लोग.

संजीव सक्सेना का कहना है कि यदि कोई भी व्यक्ति जिला अस्पताल में मोतियाबिंद या अन्य बीमारी के इलाज के लिए आता है तो उसे सिर्फ एक रुपए की पर्ची बनवानी होती है. मोतियाबिंद की बात करें तो निजी हॉस्पिटल में दस हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए में मोतियाबिंद की सर्जरी होती है. निजी हॉस्पिटल में 10000 की सर्जरी में जो लेंस लगाया जाता है वही, लेंस जिला अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद निशुल्क लगाया जाता है. इस वजह से मोतियाबिंद की सर्जरी कराने के लिए अधिक लोग जिला अस्पताल आते हैं.

आई सर्जन डॉ. संजीव सक्सेना का कहना है कि सबसे ज्यादा मोतियाबिंद की सर्जरी साल में नवंबर माह से मार्च माह तक होती हैं. वैसे लोगों को यह भी जागरूक किया जाता है कि वे गर्मी में भी सर्जरी कराएं. जिससे सर्दी आने पर अस्पताल में मोतियाबिंद की सर्जरी कराने वालों का लोड ना बढ़े. फिर भी लोग सर्दी में ही सर्जरी कराने के लिए आते हैं. मोतियाबिंद की सर्जरी करने के बाद अगले दिन से ही दिखाई देने लगता है.


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