आगरा : मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम, वतन हिंदोस्ता हमारा. मशहूर शायर अल्लमा इकबाल की यह पंक्तियां शमसाबाद की फिजा पर सटीक बैठती हैं. यहां आपसी भाईचारे और हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती है. चैत्र शुक्ल की तृतीया को शोभायात्रा निकालकर जहां हिंदू समाज के लोग ईदगाह मैदान पर कंस वध लीला का आयोजन करते हैं, वहीं ईद के दिन यहां मुस्लिम समाज के लोग खुदा की इबादत कर अमन चैन की दुआ मांगते हैं.
एक अन्य शायर ने भी कहा है, जिस जगह से मंदिर के घंटे की आवाज आती हो, जिस जगह से अजान सुनाई देती हो, ए दुनिया जान ले उसे हिंदुस्तान कहते हैं और जिस जगह ईद की नमाज पढ़ाई जाती हो उसी जगह कंस जलाया जाता है उसे शमसाबाद कहते हैं.
आगरा जिले के कस्बा शमसाबाद स्थित ईदगाह के कंस टीला मैदान की चैत्र शुल्क तृतीया को कस्बे में भगवान श्री कृष्ण की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती हैं. कस्बे का भ्रमण करने के बाद शोभायात्रा ईदगाह पर पहुंचती है, जहां जबरदस्त आतिशबाजी के बीच कंस का वध किया जाता है. इस कंस वध लीला के आयोजन में हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी शिरकत करते हैं.
इस दौरान लगने वाले मेले का हिंदू मुस्लिम भाई मिलकर लुफ्त उठाते हैं और दोनों ही समुदाय के लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं. लखुरानी स्थिति इसी ईदगाह कंस टीला पर मुस्लिम भाई ईद के दिन नमाज अता कर अल्लाह से अमन चैन की दुआ मांगते हैं और नमाज के बाद हिंदू भाई मुस्लिम भाइयों को गले लगाकर शुभकामना देते हैं.