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ड्रैगन फ्रूट की खेती से बढ़ाएं आमदनी और इम्युनिटी

आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों के लिए विदेशी ड्रैगन फ्रूट की खेती वरदान साबित हो सकती है. कम लागत में इसकी खेती से मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है. अब आगरा में भी इसकी खेती शुरू हो रही है. इस फल की खास बात यह भी है कि शारीरिक इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ कैंसर जैसी घातक बीमारी में यह फल कारगर साबित होता है.

सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने शुरु की ड्रैगन फ्रूट की खेती.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने शुरु की ड्रैगन फ्रूट की खेती.
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Published : Jan 19, 2021, 12:01 PM IST

आगरा : विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट अब ताजनगरी में भी उगाया जाने लगा है. इसमें लागत कम होने आने के साथ मोटा मुनाफा है. पहली बार आगरा मंडल में जगनेर रोड स्थित नगला परमाल लालऊ पुल दक्षिणी बाईपास के पास इसकी खेती शुरू हुई है. देश की नामी आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी के साथ एक युवा ने खेती करने की ठानी है. हाथरस के रहने वाले युवा इंजीनियर प्रदीप अपने रिश्तेदार के साथ मिलकर अकोला के नगला परमाल में खेत तैयार किया है. इंजीनियर प्रदीप चौधरी ने बताया है कि वह छोटे किसानों को इसके लिए प्रेरित करेंगे. यह फ्रूट थाइलैंड, चीन, अमेरिका, मलेशिया, इंडोनेशिया में खूब उगाया जाता है.

प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुकें हैं इस फल का जिक्र
दरअसल जिले के चाहर वाटी अकोला के नगला परमाल में इस समय ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की तैयारी चल रही है. हाथरस निवासी प्रदीप चौधरी ने बताया कि उन्होंने सन 2012 में उन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद बेंगलुरु और गुड़गांव में आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर काम कर रहे हैं. प्रदीप ने बताया कि कोरोना काल में शारीरिक इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने जोर दिया तो उन्होंने भी कुछ अलग करने का मन बना लिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि लोगों को ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी चाहिए. इसके बाद उनके मन में विचार आया और वह आगरा चाहर बाटी क्षेत्र के नगला परमार में अपने रिश्तेदार रजत चाहर के साथ मिलकर खेती करने का मन बना लिया. उन्होंने बताया 15 फरवरी तक यह फार्म पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा.

पहली बार होने जा रही है ड्रैगन फ्रूट की खेती
उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की खेती इक्का दुक्का ही किसान कर रहे हैं. लेकिन आगरा मंडल में अभी इसकी खेती नहीं हो रही है. किसान प्रदीप चौधरी ने बताया कि किसी ने 100 तो किसी ने 200 खंभे लगाए हैं, परंतु हम 800 खंभों के साथ खेती करने जा रहे हैं.

किसान को 10 गुना अधिक होगा लाभ
प्रदीप चौधरी ने बताया है कि परंपरागत खेती में किसान को अब उतना मुनाफा नहीं हो रहा. आवारा गोवंश और परंपरागत खेती किसान को नुकसान पहुंचा रही है. उन्होंने बताया कि वह आगरा के किसानों के लिए रोल मॉडल बन कर काम करेंगे. इस प्रकार की खेती से किसान को 10 गुना अधिक मुनाफा होगा. प्रदीप ने बताया कि अगर हम अपनी खेती में सफल होते हैं, तो छोटी खेती वाले किसानों को प्रमोट करेंगे और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेंगे.

शारीरिक इम्युनिटी बढ़ाने के काम आता है यह फल
उन्होंने बताया कि शारीरिक इम्यूनिटी के साथ-साथ कैंसर जैसी घातक बीमारी में यह फल कारगर साबित होता है. साथ ही डायबिटीज सहित अनेक बीमारियों में यह फल काम आता है. जिस प्रकार कीवी का फल खाने से शरीर की प्लेटलेट बढ़ती हैं, अगर इस फल का उपयोग करेंगे तो उससे 5 गुना अधिक फायदा होगा. फेयरनेस क्रीम में इसके छिलके का भी प्रयोग किया जाता है, यह एक औषधि फल है. जिसका बाजार में बहुत अच्छा मूल्य मिलता है. इससे किसान को काफी फायदा होगा और वह परंपरागत खेती को भूल जाएगा. इसकी खेती मूलतः अमेरिका में होती थी, परंतु अब धीरे-धीरे हिंदुस्तान के कई राज्यों गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी होने लगी है.

आगरा : विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट अब ताजनगरी में भी उगाया जाने लगा है. इसमें लागत कम होने आने के साथ मोटा मुनाफा है. पहली बार आगरा मंडल में जगनेर रोड स्थित नगला परमाल लालऊ पुल दक्षिणी बाईपास के पास इसकी खेती शुरू हुई है. देश की नामी आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी के साथ एक युवा ने खेती करने की ठानी है. हाथरस के रहने वाले युवा इंजीनियर प्रदीप अपने रिश्तेदार के साथ मिलकर अकोला के नगला परमाल में खेत तैयार किया है. इंजीनियर प्रदीप चौधरी ने बताया है कि वह छोटे किसानों को इसके लिए प्रेरित करेंगे. यह फ्रूट थाइलैंड, चीन, अमेरिका, मलेशिया, इंडोनेशिया में खूब उगाया जाता है.

प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुकें हैं इस फल का जिक्र
दरअसल जिले के चाहर वाटी अकोला के नगला परमाल में इस समय ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की तैयारी चल रही है. हाथरस निवासी प्रदीप चौधरी ने बताया कि उन्होंने सन 2012 में उन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद बेंगलुरु और गुड़गांव में आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर पद पर काम कर रहे हैं. प्रदीप ने बताया कि कोरोना काल में शारीरिक इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने जोर दिया तो उन्होंने भी कुछ अलग करने का मन बना लिया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि लोगों को ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी चाहिए. इसके बाद उनके मन में विचार आया और वह आगरा चाहर बाटी क्षेत्र के नगला परमार में अपने रिश्तेदार रजत चाहर के साथ मिलकर खेती करने का मन बना लिया. उन्होंने बताया 15 फरवरी तक यह फार्म पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा.

पहली बार होने जा रही है ड्रैगन फ्रूट की खेती
उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की खेती इक्का दुक्का ही किसान कर रहे हैं. लेकिन आगरा मंडल में अभी इसकी खेती नहीं हो रही है. किसान प्रदीप चौधरी ने बताया कि किसी ने 100 तो किसी ने 200 खंभे लगाए हैं, परंतु हम 800 खंभों के साथ खेती करने जा रहे हैं.

किसान को 10 गुना अधिक होगा लाभ
प्रदीप चौधरी ने बताया है कि परंपरागत खेती में किसान को अब उतना मुनाफा नहीं हो रहा. आवारा गोवंश और परंपरागत खेती किसान को नुकसान पहुंचा रही है. उन्होंने बताया कि वह आगरा के किसानों के लिए रोल मॉडल बन कर काम करेंगे. इस प्रकार की खेती से किसान को 10 गुना अधिक मुनाफा होगा. प्रदीप ने बताया कि अगर हम अपनी खेती में सफल होते हैं, तो छोटी खेती वाले किसानों को प्रमोट करेंगे और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेंगे.

शारीरिक इम्युनिटी बढ़ाने के काम आता है यह फल
उन्होंने बताया कि शारीरिक इम्यूनिटी के साथ-साथ कैंसर जैसी घातक बीमारी में यह फल कारगर साबित होता है. साथ ही डायबिटीज सहित अनेक बीमारियों में यह फल काम आता है. जिस प्रकार कीवी का फल खाने से शरीर की प्लेटलेट बढ़ती हैं, अगर इस फल का उपयोग करेंगे तो उससे 5 गुना अधिक फायदा होगा. फेयरनेस क्रीम में इसके छिलके का भी प्रयोग किया जाता है, यह एक औषधि फल है. जिसका बाजार में बहुत अच्छा मूल्य मिलता है. इससे किसान को काफी फायदा होगा और वह परंपरागत खेती को भूल जाएगा. इसकी खेती मूलतः अमेरिका में होती थी, परंतु अब धीरे-धीरे हिंदुस्तान के कई राज्यों गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी होने लगी है.

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