आगरा: कोरोना की मार से दुनिया कराह रही है. संक्रमण का असर हर कारोबार पर पड़ा है. पहले लॉकडाउन में ताजनगरी के ढाबा और रेस्टोरेंट चार माह से ज्यादा समय तक बंद रहे. अनलॉक में ढाबा और रेस्टोरेंट खुल गए. अब मंदी की मार से ढाबा और रेस्टोरेंट का कारोबार उबर नहीं पा रहा है. वहीं ताजनगरी में कोरोना का कहर जारी है. यही वजह है कि लोग लजीज व्यंजनों का स्वाद चखने ढाबा और रेस्टोरेंट नहीं जा रहे हैं. ढाबा और रेस्टोरेंट की रौनक महीनों बाद भी अब लौट नहीं रही है.
22 मार्च 2020 को लॉकडाउन के चलते ताजनगरी में ढाबा, रेस्टोरेंट, होटल बंद हो गए थे. इसके बाद आगरा में पाबंदी बढ़ती चली गई. तमाम लोग बेरोजगार हो गए. आखिरकार अनलॉक में 17 अगस्त 2020 को जिला प्रशासन ने होटल, रेस्टोरेंट, ढाबा और जिम ओपन करने की अनुमति दी. मगर 75 दिन बाद भी ढाबा और रेस्टोरेंट की रौनक नहीं लौटी है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 17 मार्च 2020 को देश भर के स्मारक बंद कर दिए थे. ताजमहल और आगरा किला सहित अन्य स्मारक बंद हो गए. एएसआई ने 21 सितंबर को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) बनाकर ताजमहल और आगरा किला री-ओपन किया. एसओपी की वजह से प्रतिदिन 5000 पर्यटक ताजमहल और आगरा किला ढाई हजार पर्यटक देख सकते हैं. पर्यटकों की कमी से ढाबा और रेस्टोरेंट से भीड़ गायब है. तमाम ताजनगरी के छोटे रेस्टोरेंट और ढाबा बंद हैं. सैकड़ों लोग बेरोजगार हैं.
बाजार में नहीं दीपावली जैसी हलचल
ढाबा संचालक मनोज ने बताया कि धीरे-धीरे बाजार बढ़ने लगा है. बाजार में कोई भी हलचल दिखाई नहीं दे रही है. इतना है कि धीरे-धीरे बाजार में ग्रोथ हो रही है. ढाबे पर जो भी ग्राहक आते हैं, उन्हें सोशल डिस्टेंस और सैनिटाइजेशन के बारे में समझाया जाता है.
30 प्रतिशत ही रह गया कारोबार
ढाबा संचालक राहुल का कहना है कि कोविड-19 के चलते ढाबा और रेस्टोरेंट का कारोबार बिल्कुल थम गया है. भले ही नई गाइडलाइन के चलते ढाबा और रेस्टोरेंट खोले गए हैं. मगर, पहले जैसी बात नहीं है. अब सिर्फ 30 प्रतिशत कारोबार रह गया है. इसमें कुक से लेकर वेटर और अन्य सभी कर्मचारियों को इसी में से पैसा देना है. कोविड-19 की गाइडलाइन के चलते सोशल डिस्टेंस का पूरा ख्याल रखा जाता है. टेबल को सैनिटाइज किया जाता है. सभी कर्मचारी मास्क लगाकर काम करते हैं.
घर से देना पड़ रहा बिजली का बिल
होटल एवं रेस्टोरेंट मालिक राजेश गुप्ता ने बताया कि भले ही 21 सितंबर से ताजमहल को खोल दिया है. लेकिन, अभी न ट्रेनें चल रही हैं. न ही इंटरनेशनल फ्लाइट चल रही है. इस वजह से पर्यटकों की संख्या बहुत कम है. ऐसे में ताजमहल का खुलना और न खुलना एक बराबर लग रहा है. हालात ऐसे हैं कि एक या 2 दिन में एक टेबल आती है. इससे होटल के बिजली का बिल भी नहीं भर सकते. ऐसे में कर्मचारियों के वेतन और अन्य सुविधाएं जुटाना बड़ा मुश्किल हो रहा है. पर्यटन इंडस्ट्रीज की हालत बहुत नाजुक है.