ETV Bharat / state

अब आगरा की जामा मस्जिद के ASI सर्वे की मांग उठी, जानिए पूरा मामला - आगरा की जामा मस्जिद का सर्वे

अब आगरा की जामा मस्जिद के एएसआई सर्वे की मांग उठी है. चलिए जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में.

Etv bharat
Etv bharat
author img

By

Published : Aug 19, 2023, 10:17 AM IST

आगराः पहले मथुरा कोर्ट और अब आगरा कोर्ट में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है. एक के बाद एक वादी की ओर से आगरा जिला जज की अदालत में वाद दायर किए गए हैं. अब अदालत में प्रार्थना पत्र देकर जामा मस्जिद का एएसआई की तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की गई है. वैसे इस मामले में अब अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी.



बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट की ओर से आगरा जिला जल की कोर्ट में शुक्रवार को एक नया प्रार्थनापत्र दाखिल किया गया. इसमें एएसआई के तकनीकी विशेषज्ञ से जामा मस्जिद के सर्वे की मांग की गई है. पहले ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के देवकीनंदन ठाकुर दावा कर रहे हैं कि कृष्ण जन्मभूमि के भगवान केशवदेव का विग्रह आगरा की जामा मस्जिद जहांआरा बेगम मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा है. इस बारे में वादी पक्ष के वकील विनोद शुक्ला ने बताया कि हमने कोर्ट से मांग की है कि, सच को सामने लाने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर विवाद खत्म किया जा सकता है. कोर्ट ने दोनों ही मामलों में सुनवाई के लिए 25 अगस्त 2023 की तिथि नियत की है.


जामा मस्जिद मामले में एक पक्षकार और आया
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर बनाम जामा मस्जिद मामले में शुक्रवार को एक पक्षकार और सामने आ गया. अधिवक्ता जुनैद इरशादी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कहा कि इस मामले में उन्हें भी पक्षकार बनाया जाए. मेरे पास भी इससे जुड़े अहम साक्ष्य हैं.

शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा ने कराया था निर्माण
इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां के 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श,. सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थी. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपनी वजीफा की रकम से सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. जामा मस्जिद 271 फुट लंबी और 270 फीट चौड़ी है. इसमें करीब पांच लाख रुपए खर्च हुए थे. जामा मस्जिद में एक साथ 10 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं.

औरंगजेब ने मूर्तियां दबाईं थी
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराया था. केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लाए गए थे. इन सभी मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया गया था. औरंगजेब ने यह इसलिए किया था क्योंकि मस्जिद में आने वाले नमाजियों के पैरों के नीचे ये मूर्तियां और विग्रह रहें. औरंगजेब का यह बहुत ही निंदनीय कार्य था. इन मूर्तियों को अब वहां से बाहर निकाला जाना चाहिए.

औरंगजेब के इस कृत्य का किताबों में जिक्र
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों के साथ अन्य विग्रहों के बारे में तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. सन् 1940 में एसआर शर्मा ने 'भारत में मुगल समराज' नाम से लिखी किताब में मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के दबाए जाने का जिक्र है. औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है. इन मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे से निकालने से यह पता चल जाएगा कि मथुरा के केशवदेव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण समेत अन्य तमाम देवी देवताओं की मूर्तियां और विग्रह किस तरह के थे.


ये भी पढ़ेंः Ghosi Assembly By-Election: अरविंद राजभर समेत 6 उम्मीदवारों का नामांकन रद, ओपी राजभर लगाया गंभीर आरोप

आगराः पहले मथुरा कोर्ट और अब आगरा कोर्ट में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह निकालने का मामला चल रहा है. एक के बाद एक वादी की ओर से आगरा जिला जज की अदालत में वाद दायर किए गए हैं. अब अदालत में प्रार्थना पत्र देकर जामा मस्जिद का एएसआई की तकनीकी विशेषज्ञों की टीम से सर्वे कराने की मांग की गई है. वैसे इस मामले में अब अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी.



बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट की ओर से आगरा जिला जल की कोर्ट में शुक्रवार को एक नया प्रार्थनापत्र दाखिल किया गया. इसमें एएसआई के तकनीकी विशेषज्ञ से जामा मस्जिद के सर्वे की मांग की गई है. पहले ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के देवकीनंदन ठाकुर दावा कर रहे हैं कि कृष्ण जन्मभूमि के भगवान केशवदेव का विग्रह आगरा की जामा मस्जिद जहांआरा बेगम मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा है. इस बारे में वादी पक्ष के वकील विनोद शुक्ला ने बताया कि हमने कोर्ट से मांग की है कि, सच को सामने लाने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाना चाहिए. एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर विवाद खत्म किया जा सकता है. कोर्ट ने दोनों ही मामलों में सुनवाई के लिए 25 अगस्त 2023 की तिथि नियत की है.


जामा मस्जिद मामले में एक पक्षकार और आया
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर बनाम जामा मस्जिद मामले में शुक्रवार को एक पक्षकार और सामने आ गया. अधिवक्ता जुनैद इरशादी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कहा कि इस मामले में उन्हें भी पक्षकार बनाया जाए. मेरे पास भी इससे जुड़े अहम साक्ष्य हैं.

शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा ने कराया था निर्माण
इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि मुगल शहंशाह शाहजहां के 14 संतानें थीं. जिसमें मेहरून्निसा बेगम, जहांआरा, दारा शिकोह, शाह शूजा, रोशनआरा, औरंगजेब, उमेदबक्श,. सुरैया बानो बेगम, मुराद लुतफुल्ला, दौलत आफजा और गौहरा बेगम शामिल थी. शाहजहां की सबसे प्रिय बेटी जहांआरा थी. उसने अपनी वजीफा की रकम से सन् 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. जामा मस्जिद 271 फुट लंबी और 270 फीट चौड़ी है. इसमें करीब पांच लाख रुपए खर्च हुए थे. जामा मस्जिद में एक साथ 10 हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं.

औरंगजेब ने मूर्तियां दबाईं थी
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराया था. केशवदेव मंदिर की मूर्तियों के साथ ही तमाम पुरावशेष आगरा लाए गए थे. इन सभी मूर्तियों और पुरावशेष को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया गया था. औरंगजेब ने यह इसलिए किया था क्योंकि मस्जिद में आने वाले नमाजियों के पैरों के नीचे ये मूर्तियां और विग्रह रहें. औरंगजेब का यह बहुत ही निंदनीय कार्य था. इन मूर्तियों को अब वहां से बाहर निकाला जाना चाहिए.

औरंगजेब के इस कृत्य का किताबों में जिक्र
वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों के साथ अन्य विग्रहों के बारे में तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में लिखा है. सन् 1940 में एसआर शर्मा ने 'भारत में मुगल समराज' नाम से लिखी किताब में मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के दबाए जाने का जिक्र है. औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में, इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में, मेरी पुस्तक 'तवारीख़-ए-आगरा' में और मथुरा के महशहूर साहित्यकार प्रो. चिंतामणि शुक्ल की पुस्तक ' मथुरा जनपद का राजनीतिक इतिहास' में भी जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दबाने का विस्तार से जिक्र किया है. इन मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे से निकालने से यह पता चल जाएगा कि मथुरा के केशवदेव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण समेत अन्य तमाम देवी देवताओं की मूर्तियां और विग्रह किस तरह के थे.


ये भी पढ़ेंः Ghosi Assembly By-Election: अरविंद राजभर समेत 6 उम्मीदवारों का नामांकन रद, ओपी राजभर लगाया गंभीर आरोप

ये भी पढ़ेंः Etawah Lion Safari : शेरनी सोना के शावकों की मौत से खुला राज, पहली बार जन्मे शावक कभी नहीं बचते

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.