आगरा : कतर में जिन आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई है, उनमें से एक आगरा के गांधीनगर निवासी कमांडर संजीव गुप्ता भी शामिल हैं. सजा के ऐलान के बाद संजीव गुप्ता का परिवार सदमे में है. उनके पैतृक मकान पर ताला पड़ा है. माता-पिता दूसरे बेटे के साथ रह रहे हैं. परिवार की आखिरी उम्मीद अब भारत सरकार पर टिकी है.
घर पर लगा हुआ ताला : बता दें कि गांधी नगर निवासी राजपाल गुप्ता रेलवे से रिटायर अधिकारी हैं. पहले वे परिवार के साथ रेलवे कॉलोनी में रहते थे. सन 1992 से वह गांधी नगर में रहते हैं. राजपाल गुप्ता के चार बेटे हैं. इनमें से एक कमांडर संजीव गुप्ता भी है. राजपाल गुप्ता के मकान पर कई महीने से ताला लगा है. वे दूसरे बेटे के साथ दयालबाग में रहने लगे हैं. कभी-कभी वे घर देखने आते हैं. इस बारे में पड़ोसी भी कुछ नहीं बोल रहे हैं. उनकी भी कमांडर संजीव गुप्ता से ज्यादा बात नहीं है. उन्हें इस बारे में जानकारी भी नहीं है कि, कमांडर संजीव गुप्ता को किस मामले में और कब सजा हुई है. कमांडर संजीव गुप्ता के भाई दयालबाग और कमलानगर में रहते हैं. एक भाई वर्तमान में दिल्ली में हैं.
वीआरएस लिया और चले गए कतर : राजपाल गुप्ता ने बताया कि संजीव गुप्ता नौसेना अधिकारी रहा है. उसने नौसेना से वीआरएस लिया. इसके बाद दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी की. सवा लाख रुपये महीना वेतन मिलता था. उसके दोस्तों ने कतर जाने को तैयार किया. वहां एक कंपनी ने अच्छी नौकरी का ऑफर दिया. सन 2018 में कमांडर संजीव गुप्ता, पत्नी और इकलौती बेटी के साथ कतर चले गए. इस दौरान बीच-बीच में भारत और आगरा परिवार के पास आते रहे. पिता, भाइयों से लगातार फोन पर बातचीत होती थी. मार्च-2022 में आखिरी बार कमांडर संजीव गुप्ता भारत आए. पत्नी और बेटी को दिल्ली में छोड़कर अकेले ही वापस कतर चले गए. फिर, भारत नहीं आ.
कतर ने कांट्रेक्टर को छोड़ा लेकिन अन्य को नहीं : पिता राजपाल गुप्ता बताते हैं कि अगस्त-2022 की बात है. कतर में आठ लोगों को पकड़ा गया था. इसमें सात पूर्व नौसेना अधिकारी थे, जबकि एक पूर्व नौसैनिक. ये सभी आठ लोग ओमान की कंपनी अलदहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में नौकरी करते थे. यह ओमान के एक सैन्य अधिकारी की कम्पनी थी. इसका काम कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने का था. इनके साथ ही कतर में कंपनी के ओमान निवासी कांट्रेक्टर को भी पकड़ा गया था. उसे चार माह बाद छोड़ दिया था. इसकी वजह के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. मगर, भारत के एक भी पूर्व नौसेना अधिकारियों को नहीं छोड़ा गया.
कुछ महीने पहले ही बेटे से कराई थी बात : परिजनों के मुताबिक कमांडर संजीव गुप्ता की गिरफ्तारी की खबर भी करीब 15 दिन बाद मिली थी. परिवार के लोग कतर गए तो वहां कमांडर संजीव गुप्ता से मिलने नहीं दिया. कई महीने के प्रयास के बावजूद भी मुलाकात नहीं कराई गई. करीब 11 माह तक सभी नौसेना अधिकारियों को अलग-अलग कमरे में रखा गया. अब तीन माह पहले से एक कमरे में दो नौसेना अधिकारियों को साथ में रखा गया है. पिता राजपाल गुप्ता बताते हैं कि, जेल से बेटे से उनकी बात कराई गई थी. उस दौरान बेटा परेशान था.
भारत सरकार पर है भरोसा : राजपाल गुप्ता का कहना है कि, बेटा कमांडर संजीव गुप्ता और पूर्व नौसेना अधिकारियों को सजा के मामले में भारत सरकार पर पूरा भरोसा है. इस मामले को विदेश मंत्रालय ने संज्ञान में लिया है. मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद कतर में भारत के राजदूत जेल में बंद भारतीय पूर्व नौसेना अधिकारियों से मिले थे. अभी तक यह नहीं बताया गया है कि, बेटा कमांडर संजीव गुप्ता और अन्य को सजा किस आधार पर दी गई है.
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