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कोरोना कहर: दुकानों के शटर डाउन, सेल के पोस्टर चस्पा

पूरे विश्व में कोरोना वायरस का कहर देखने को मिल रहा है. भारत भी इस महामारी की चपेट में है. पिछले तीन महीने के लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. आगरा में बड़े से लेकर छोटे दुकानदारों पर इसका असर देखने को मिला है.

corona impact on industries
ताजनगरी पर कोरोना का कहर
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Published : Jul 30, 2020, 12:14 PM IST

आगरा: पूरी दुनिया कोरोना महामारी से कराह रही है. पहले तीन माह से लंबा लॉकडाउन फिर अनलॉक की पाबंदियों से कारोबार तबाह हो गया है. ताजनगरी में पर्यटन, जूता, कुटीर उद्योग, पेठा, फर्नीचर, कपड़ा और अन्य कारोबार से जुड़े छोटे कारोबारी ज्यादा प्रभावित हुए हैं. कोरोना कहर और पाबंदियों के चलते ग्राहक दुकानों पर आ नहीं रहे हैं. खरीदारी न के बराबर हैं. ऐसे में दुकानदारों को शॉप या शोरूम का किराया भी घर से देना पड़ रहा है, इसलिए शॉप और शोरूम बंद हो रहे हैं. दुकानों पर सेल या आउटलेट का पोस्टर चस्पा हो गए हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

कोरोना का दंश झेल रहे कारोबारी

लॉकडाउन में दुकानें बंद थी. इससे सहालग, गर्मी, ईद पर भी कपड़ों की बिक्री नहीं हुई. करोड़ों रुपये का कपड़ा कारोबार बंदी और मंदी की मार झेल रहा है. यह हाल आगरा के शूज कारोबार का भी हुआ है.

आगरा का मशहूर पेठा और पर्यटन से जुड़े लोग भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. फर्नीचर, मार्बल और रेस्टोरेंट्स से जुड़े छोटे कारोबारी अपने प्रतिष्ठानों के शटर गिरा रहे हैं. फर्नीचर कारोबारी संचित जैन ने बताया कि कोरोना से बने इन हालात में दुकान मालिक से किराए को लेकर बातचीत की, लेकिन जो उम्मीद थी. वह राहत किराए में नहीं मिली. ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं. ऐसे में दुकान का किराया निकालना भी मुश्किल था, इसलिए मैंने दुकान बंद कर दी.

वहीं इलेक्ट्रॉनिक आइटम मैकेनिक रफीक ने बताया कि इस समय बहुत ज्यादा हालत खराब है. खर्चे की तो पूछिए मत. काम निकल नहीं रहा है. ग्राहक कम आ रहे हैं. महीने में दुकान का किराया भी मुश्किल से निकल रहा है. कोरोना की वजह से पड़ोसी चश्मा की दुकान बंद कर गए हैं. अब दुकान को बेचने का पोस्टर चस्पा कर दिया है.

आगरा में कपड़े की दुकान करने वाले अनुज ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या है कि सरकार की ओर से बीच-बीच में दुकानें बंद कराई जाती हैं और कभी खुलवाई जाती हैं. इससे ग्राहकों को पता नहीं चल पा रहा है कि कब दुकानें खुलेंगी और कब बंद रहेंगी. दुकानों का किराया बहुत ज्यादा है. पहले अच्छी कमाई थी, लेकिन अब ग्राहक ही नहीं आ रहे हैं. किराया कम करने को लेकर दुकान के मालिक से बात हुई है. अगर बात नहीं बनी तो मुझे भी दुकान बंद करनी पड़ेगी.

उद्योग धंधों पर बंदी और मंदी की मार

  • पर्यटन उद्योग को एक हजार करोड़ रुपये का घाटा.
  • शूज इंडस्ट्रीज को तीन हजार करोड़ रुपये का घाटा.
  • मार्बल कारोबार को पांच सौ करोड़ रुपये की चपत.
  • हैंडीक्राफ्ट कारोबार में तीन सौ करोड़ रुपये का घाटा.
  • पेठा कारोबार में दो सौ करोड़ रुपये का नुकसान
  • चांदी कारोबार में सौ करोड़ रुपये का घाटा.

ताजनगरी में चाहे संजय प्लेस हो या शहर की लाइफलाइन एमजी रोड. सदर बाजार हो या फतेहाबाद रोड. ताजगंज या सुभाष बाजार. हर बाजार में दुकानदार परेशान हैं. कोरोना की बंदिश के चलते जहां बाजार अनलॉक-टू में खुले हैं. अभी भी लोग खरीदारी करने में घबरा रहे हैं. यही वजह है कि बाजारों में दुकानदार लगातार घाटे में हैं. शॉप और शोरूम के शटर गिर रहे हैं.

आगरा: पूरी दुनिया कोरोना महामारी से कराह रही है. पहले तीन माह से लंबा लॉकडाउन फिर अनलॉक की पाबंदियों से कारोबार तबाह हो गया है. ताजनगरी में पर्यटन, जूता, कुटीर उद्योग, पेठा, फर्नीचर, कपड़ा और अन्य कारोबार से जुड़े छोटे कारोबारी ज्यादा प्रभावित हुए हैं. कोरोना कहर और पाबंदियों के चलते ग्राहक दुकानों पर आ नहीं रहे हैं. खरीदारी न के बराबर हैं. ऐसे में दुकानदारों को शॉप या शोरूम का किराया भी घर से देना पड़ रहा है, इसलिए शॉप और शोरूम बंद हो रहे हैं. दुकानों पर सेल या आउटलेट का पोस्टर चस्पा हो गए हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

कोरोना का दंश झेल रहे कारोबारी

लॉकडाउन में दुकानें बंद थी. इससे सहालग, गर्मी, ईद पर भी कपड़ों की बिक्री नहीं हुई. करोड़ों रुपये का कपड़ा कारोबार बंदी और मंदी की मार झेल रहा है. यह हाल आगरा के शूज कारोबार का भी हुआ है.

आगरा का मशहूर पेठा और पर्यटन से जुड़े लोग भी बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. फर्नीचर, मार्बल और रेस्टोरेंट्स से जुड़े छोटे कारोबारी अपने प्रतिष्ठानों के शटर गिरा रहे हैं. फर्नीचर कारोबारी संचित जैन ने बताया कि कोरोना से बने इन हालात में दुकान मालिक से किराए को लेकर बातचीत की, लेकिन जो उम्मीद थी. वह राहत किराए में नहीं मिली. ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं. ऐसे में दुकान का किराया निकालना भी मुश्किल था, इसलिए मैंने दुकान बंद कर दी.

वहीं इलेक्ट्रॉनिक आइटम मैकेनिक रफीक ने बताया कि इस समय बहुत ज्यादा हालत खराब है. खर्चे की तो पूछिए मत. काम निकल नहीं रहा है. ग्राहक कम आ रहे हैं. महीने में दुकान का किराया भी मुश्किल से निकल रहा है. कोरोना की वजह से पड़ोसी चश्मा की दुकान बंद कर गए हैं. अब दुकान को बेचने का पोस्टर चस्पा कर दिया है.

आगरा में कपड़े की दुकान करने वाले अनुज ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या है कि सरकार की ओर से बीच-बीच में दुकानें बंद कराई जाती हैं और कभी खुलवाई जाती हैं. इससे ग्राहकों को पता नहीं चल पा रहा है कि कब दुकानें खुलेंगी और कब बंद रहेंगी. दुकानों का किराया बहुत ज्यादा है. पहले अच्छी कमाई थी, लेकिन अब ग्राहक ही नहीं आ रहे हैं. किराया कम करने को लेकर दुकान के मालिक से बात हुई है. अगर बात नहीं बनी तो मुझे भी दुकान बंद करनी पड़ेगी.

उद्योग धंधों पर बंदी और मंदी की मार

  • पर्यटन उद्योग को एक हजार करोड़ रुपये का घाटा.
  • शूज इंडस्ट्रीज को तीन हजार करोड़ रुपये का घाटा.
  • मार्बल कारोबार को पांच सौ करोड़ रुपये की चपत.
  • हैंडीक्राफ्ट कारोबार में तीन सौ करोड़ रुपये का घाटा.
  • पेठा कारोबार में दो सौ करोड़ रुपये का नुकसान
  • चांदी कारोबार में सौ करोड़ रुपये का घाटा.

ताजनगरी में चाहे संजय प्लेस हो या शहर की लाइफलाइन एमजी रोड. सदर बाजार हो या फतेहाबाद रोड. ताजगंज या सुभाष बाजार. हर बाजार में दुकानदार परेशान हैं. कोरोना की बंदिश के चलते जहां बाजार अनलॉक-टू में खुले हैं. अभी भी लोग खरीदारी करने में घबरा रहे हैं. यही वजह है कि बाजारों में दुकानदार लगातार घाटे में हैं. शॉप और शोरूम के शटर गिर रहे हैं.

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