आगरा: यूपी में 'नाम बदलने' और 'महापुरुषों' के इर्द गिर्द ही राजनीति घूमती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने आगरा में निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम (Mughal Museum in agra) का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj Museum agra) कर दिया था. मगर, 24 माह में नाम बदलने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम में एक ईंट नहीं लगी है. जबकि, विधानसभा चुनाव में छत्रपति शिवाजी महाराज म्यूजियम पर भाजपा ने राजनैतिक रोटियां सेंकीं और सुर्खियां बटोरी. अब समाजवादी पार्टी भी सरकार को घेर रही है. इधर, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग अब बजट की डिमांड का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज रहा है.
जून 2016 में यूपी के तत्कालीन सीएम और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आगरा को मुगल म्यूजियम की सौगात दी. उन्होंने ताजमहल के पूर्वी गेट से 1400 मीटर की दूरी पर म्यूजियम का शिलान्यास किया था. मगर, सन् 2017 में सपा सरकार चली गई तो पहले बजट के अभाव के कारण म्यूजियम का काम अटका रह गया. फिर कोविड के चलते मार्च-2020 में काम रुक गया. 99 करोड़ रुपये में म्यूजियम का 75 प्रतिशत काम हो चुका है.
दरअसल, 14 सितंबर-2020 को सीएम योगी ने मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज किया था. इस पर सूबे की राजनीति गरमाई. फिर यूपी के विधानसभा चुनाव में चुनाव में सीएम योगी ने किरावली, शमशाबाद, आंवलखेड़ा की जनसभा में छत्रपति शिवाजी म्यूजियम का नाम खूब जिक्र किया. इधर, सपा मुखिया पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा था.
यूपी पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्रा ने बताया कि, सपा शासन काल के निर्माण कार्यों की आगरा कमिश्नर ने आईआईटी रुड़की से जांच कराई. जिसमें कई लैंटर में दरार मिली. पहले म्यूजियम का बजट 141 करोड़ रुपये का था. अब इसकी अनुमानित लागत 170 करोड़ रुपये से ज्यादा है. शासन को बजट का प्रस्ताव बनाकर भेजा है. जिससे के म्यूजियम का रुका निर्माण कार्य शुरू कराया जा सके. इस म्यूजियम में छत्रपति शिवाजी के जीवन से संबंधित वस्तुओं का समावेश रहेगा. यहां महाराष्ट्र के म्यूजियम से शिवाजी महाराज से जुड़ी कुछ वस्तुएं लानी है. म्यूजियम का आंतरिक ढांचा मराठा साम्राज्य की थीम पर बनेगा.
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99 दिन औरंगजेब की कैद में रहे थे शिवाजी
इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' बताते हैं कि, छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. वे 11 मई 1666 को आगरा आए थे. आगरा किले में औरंगजेब और शिवाजी महाराज की मुलाकात दीवान-ए-खास में हुई थी. मगर, मुलाकात में उचित सम्मान नहीं मिलने पर छत्रपति शिवाजी ने नाराजगी जताई. इस पर औरंगजेब ने शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी को नजरबंद करके कैद कर लिया. इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र इतिहासकार जदुनाथ सरकार की किताब में है.
काम पर नहीं, सिर्फ नाम बदलने पर जोर
सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष लाल सिंह लोधी का कहना है कि, यूपी में भाजपा सरकार का काम सिर्फ नाम बदलने का रह गया है. सपा मुखिया के तमाम प्रोजेक्ट के नाम बदलने का काम सरकार कर रही है. इसके साथ ही जिलों के नाम बदलने पर भी सरकार का जोर है. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आगरा में करोड़ों रुपये के विकास कार्य कराए थे. उन्होंने लखनऊ एक्सप्रेसवे भी बनवाया था.
सपा करती तुष्टीकरण की राजनीति
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक डॉ. जीएस धर्मेश का कहना है कि, आगरा में छत्रपति शिवाजी म्यूजियम जल्द बन जाएगा. जिससे यहां ताजमहल देखने आने वाले पर्यटक शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा और उनसे जुड़े हुए इतिहास को जान सकेंगे. सरकार जल्द ही इस म्यूजियम के अधूरे काम को पूरा करेगी. कुछ वजह से यह काम अटका हुआ था. उन्होंने कहा कि, सपा का काम तुष्टीकरण की राजनीति करना है. मुगल का नाम लेना भी सही नहीं है. मुगल आक्रांता थे.
एक नजर म्यूजियम पर
- सन् 2015 में मुगल म्यूजियम बनाने की योजना बनी थी.
- 5.9 एकड़ जमीन पर शिल्पग्राम के नजदीक म्यूजियम का निर्माण हो रहा.
- 5 जनवरी 2016 को तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने शिलान्यास किया था.
- 31 मई 2017 तक टाटा प्रोजेक्ट्स को म्यूजियम का निर्माण पूरा करना था.
- 141.89 करोड़ रुपये की लागत की योजना अब देरी से बढ़कर 172 करोड़ रुपये हुई.
- 14 सितंबर 2020 को सीएम योगी ने मुगल म्यूजियम का नाम छत्रपति शिवाजी किया.
- 24 माह बाद भी नाम बदला गया. मगर, छत्रपति शिवाजी म्यूजियम अटका हुआ है.
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