आगरा: आगरा की एमपी-एमएलए कोर्ट में सोमवार को कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत 3 कांग्रेस नेताओं पर आरोप तय कर दिए. कांग्रेसी नेता अजय कुमार लल्लू, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता पूर्व विधायक प्रदीप माथुर और पूर्व एमएलसी विवेक बंसल ने कोरोना काल में जिले के थाना फतेहपुर सीकरी क्षेत्र में धारा 144 का उल्लंघन किया था. इस मामले में तीनों आरोपी नेता सोमवार को स्पेशल जज (एमपी-एमएलए) अर्जुन की कोर्ट में पेश हुए. अब इस मामले में अगली तारीख 7 नंबवर दी गई है.
ये था मामला
दरअसल, कोरोना काल में प्रवासी मजदूर और छात्रों को ले जाने वाली बसों को लेकर खूब राजनीति हुई थी. बात 19 मई 2020 की है. राजस्थान से आने वाले प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए कांग्रेस नेता फतेहपुर सीकरी की सीमा पर बसों को लेकर पहुंचे थे. जिसमें यूपी कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता पूर्व विधायक प्रदीप माथुर और पूर्व एमएलसी विवेक बंसल शामिल थे. जबकि, उस दौरान जिले में धारा 144 लागू थी. इसके बाद बावजूद तीनों नेताओं ने धारा 144 का उल्लंघन किया था. इस पर फतेहपुर सीकरी थाना पुलिस ने धारा 144 के उल्लंघन, महामारी अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया था.
पुलिस की ओर से ग्रामीण न्यायालय किरावली में आरोप पत्र प्रस्तुत किए. किरावली न्यायालय की ओर से मुकदमा सुनने व निर्णय करने का क्षेत्राधिकार न होने पर बचाव पक्ष के वकीलों ने फरवरी 2021 में सीजेएम कोर्ट में पत्रावली तलब करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. इस पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और अन्य कांग्रेस नेताओं पर स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में मुकदमा चल रहा है. जिसमें सोमवार को सुनवाई हुई. इस सुनवाई में शामिल होने के लिए कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू हाजिर हुए. कोर्ट में बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने दलील पेश की. मगर, कोर्ट ने तीनों नेताओं पर धारा 188 और कोविड अधिनियम के उल्लंघन के तहत आरोप तय किए. कोर्ट ने तीनों कांग्रेसी नेताओं के मुलजिम बयान भी दर्ज कराए गए. अब इस मामले में गवाही की अगली तारीख 7 नवंबर को तय की गई है.
यह दी बचाव पक्ष ने दलील
कांग्रेस नेताओं की ओर से स्पेशल जज (एमपी-एमएलए) अर्जुन की कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा और रामदत्त दिवाकर ने दलील पेश कीं, जिसमें बचाव पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की तमाम नजीर पेश कीं. जिससे कोर्ट में यह बताया गया कि, तीनों कांग्रेसी नेताओं ने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है. उन्होंने कोरोना की गाइडलाइन का पालन किया था. राजनीतिक द्वेष में प्रशासन ने कांग्रेसी नेताओं पर झूठा मुकदमा दर्ज किया था.
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