आगराः केंद्रीय हिंदी संस्थान देश और दुनिया में हिंदी की अलख जगा रहा है. दुनिया में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान में दुनियाभर के छात्र- छात्राओं को हिंदी की शिक्षा दी जाती है. इस साल 26 देशों से 100 विद्यार्थी हिंदी पढ़ने के लिए आगरा आ रहे हैं. ऐसे में दूसरे देश से आने वाले विद्यार्थी जब यहां आते हैं, तो उनके सामने भाषा, बोली, रहन सहन, खानपान और परिवार से दूर होना कभी-कभी मानसिक तनाव और दबाव का कारण बन जाता है. इस लिए उनका मानसिक दबाव और तनाव दूर करने के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान ने एक कमेटी बनाई है. इसमें साइकोलाॅजी के विशेषज्ञ शामिल हैं. ये कमेटी हर छात्र-छात्राओं की काउंसलिंग करके उनके परेशानी को जानने की कोशिश करेगा, ताकि वो पढ़ाई के दबाव में न आए और मन लगाकर संस्थान में हिंदी सीख सकें.
गौरतलब है कि दुनिया में हिंदी का क्रेज बढ़ रहा है. अधिकतर देशों में लोग हिंदी लिखना और पढ़ना चाह रहे हैं. ताकि वो भारत और उसकी संस्कृति को समझ सकें. इसी कड़ी में आगरा स्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान में हर साल विदेशों से 100 स्टूडेंट्स का चयन हिंदी सीखाने के लिए किया जाता है. ये 100 विदेशी छात्र आगरा आकर केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ते और सीखते हैं. जिनकी पढ़ाई, रहने, खाने और परिवहन का खर्च केंद्रीय हिंदी संस्थान वहन करती है.
श्रीलंका से सबसे ज्यादा आ रहे विद्यार्थीः केंद्रीय हिंदी संस्थान ने इस साल जिन 100 विदेशी स्टूडेंट को हिंदी पढ़ने के लिए प्रवेश दिया है. इसमें श्रीलंका के सबसे ज्यादा 21 स्टूडेंट हैं. केंद्रीय हिंदी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय हिंदी शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. बीना शर्मा ने बताया कि विदेशी स्टूडेंट के आगमन को देखकर तैयारी पूरी है. सभी देश से पॉलिटिकल क्लीयरेंस के लिए चयनित स्टूडेंट की सूची मंत्रालय को भेजी जा चुकी है. अब सभी 26 देश से पॉलिटिकल क्लीयरेंस का इंतजार है. जैसे ही पॉलिटिकल क्लीयरेंस आएगी. वैसे ही स्टूडेंट्स को टिकट भेजी जाएगी.
मनोवैज्ञानिक तरीके से छात्रों की समस्या का होगा हलः विभागाध्यक्ष प्रो. बीना शर्मा ने कहा, 'विदेशी छात्रों के लिए सांस्कृतिक विविधा, अलग भाषा, घर से दूर होने की स्थिति उनके मानसिक दबाव का कारण हो सकती है. इससे परेशान होकर छात्र कभी-कभी क्लास बंक कर देते हैं. ऐसे में किसी भी विदेशी छात्र के बारे में यह मान लेना कि उसने कक्षा बंक की है, तो उसका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है. ऐसा नहीं होता है. मैं अक्सर इसका जिक्र करती हूं. इसलिए, विदेशी छात्रों की हर समस्या का मनोवैज्ञानिक तरीके से हल किया जाएगा.'
योग अब अनिवार्यः विभागाध्यक्ष ने बताया कि संस्थान में विदेशी छात्र-छात्राओं की समस्याओं को दूर करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है. संस्थान में साइकोलॉजी की अध्यापिका को उसमें जोड़ा जाएगा. ताकि पढ़ाई से पूर्व छात्रों की मानसिक स्थित जानी जाए. उनकी परेशानी को दूर किया जाए. योग अब अनिवार्य किया गया है. छात्रों को कक्षा शिक्षण के साथ ही भारत की विद्या की जानकारी दी जाती है. इसमें भारत का संगीत, गायन, वादन, नृत्य और योग है. अभी तक योग का प्रशिक्षण वैकल्पिक था. अब विदेशी छात्र छात्राओं के लिए योग अनिवार्य कर दिया गया है. करना होगा. संस्थान में हिंदी भाषा दक्षता प्रमाण पत्र (100), हिंदी भाषा दक्षता डिप्लोमा (200), हिंदी भाषा दक्षता उच्च डिप्लोमा (300) और स्नाकोत्तर हिंदी डिप्लोमा (400) सीटें उपलब्ध हैं.
ये भी पढ़ेंः आर्थिक तंगी के चलते पर्वतारोही काजल पटेल सपना अधूरा, सीएम योगी से मदद की गुहार