आगरा: जिले में एमपी-एमएलए की अदालत ने 28 साल पुराने मामले में फतेहपुर सीकरी से भाजपा सांसद राजकुमार चाहर, भाजपा विधायक योगेंद्र उपाध्याय सहित आठ आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में शनिवार को बरी कर दिया. मामला आगरा कैंट जीआरपी का था. जिसमें शनिवार को सभी आरोपी कोर्ट में पेश हुए. आरोपियों पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया पर जानलेवा हमला और बलवा करने का आरोप था. स्पेशल जज एमपी-एमएलए की ओर से दिए गए बरी के आदेश से भाजपाइयों में खुशी की लहर है.
यह था मामला
मामला 2 जनवरी 1993 का है. आगरा कैंट जीआरपी के तत्कालीन एसएचओ बिजेंद्र सिंह, उप स्टेशन अधीक्षक किरन प्रताप सिंह की ओर से अलग-अलग दो मुकदमा दर्ज कराए गए थे. विवेचना के दौरान तत्कालीन पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के पीआरओ अमर सिंह ने तहरीर दी थी. जिसे विवेचक ने जीआरपी कैंट के थाना प्रभारी बिजेंद्र सिंह के मुकदमे में शामिल कर लिया था. दोनों मुकदमों में आरोप था कि हृदय नाथ सिंह, राजकुमार चाहर, योगेंद्र उपाध्याय, त्रिलोकी नाथ अग्रवाल, दुर्ग विजय सिंह भैया, योगेंद्र सिंह परिहार, सुनील शर्मा, शैलेंद्र गुलाटी, मुकेश गुप्ता और डॉ रामबाबू हरित और उनके समर्थकों ने ग्वालियर से दिल्ली जा रहे तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री माधवराव सिंधिया का विरोध किया था. आरोप यह भी था कि सभी ने शताब्दी एक्सप्रेस को रोका था. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री के कोच के शीशे भी तोड़ दिए गए थे. इसके चलते सभी के खिलाफ जानलेवा हमला, बलवा, तोड़फोड़, चोरी और रेलवे एक्ट में एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
कोर्ट में दो ही गवाह पेश
पुलिस ने इस मामले की विवेचना में दो चश्मदीद बनाए. जिनमें से एक वर्तमान में भाजपा के राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश जबकि दूसरे सुनहरी लाल गोला थे. वारदात के समय दोनों कांग्रेस में थे, मगर बाद में राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश और सुनहरी लाल ने कोर्ट में बयान दिए कि वे मौके पर नहीं थे. विवेचक ने खुद बयान दर्ज किए हैं. वे घटना के बारे में कुछ नहीं जानते हैं इसलिए केस कमजोर हो गया.
कोर्ट में वादी पेश न होने का मिला लाभ
बता दें कि, कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता हेमंत शर्मा, अनिल शर्मा और मिर्जा कय्यूम बेग ने पैरवी की. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से मुकदमे के वादी किरण सिंह प्रताप, बिजेंद्र सिंह को कोर्ट में पेश नहीं करा सके. इसमें अभियोजन पक्ष ने यह तर्क दिया कि समय अधिक होने के कारण वर्तमान में दोनों वादी कहां हैं? इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है, जबकि तीसरे वादी अमर सिंह की मौत भी हो चुकी है. इसका मुकदमे में में आरोपियों को लाभ मिला.
विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट में शनिवार को भाजपा सांसद राजकुमार चाहर, भाजपा विधायक योगेंद्र उपाध्याय, पूर्व विधायक रामबाबू हरित के साथ ही अन्य सभी आरोपी पेश हुए. आरोपियों की मौजूदगी में विशेष न्यायधीश एमपी एमएलए उमाकांत जिंदल ने संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया.
भाजपा सांसद और विधायक सहित आठ बरी, 28 साल बाद आया फैसला - भाजपा विधायक योगेंद्र उपाध्याय
28 साल पुराने एक मामले में आगरा की एमपी-एमएलए कोर्ट ने भाजपा सांसद और विधायक सहित आठ को बरी कर दिया था. बता दें कि आरोपियों पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया पर जानलेवा हमला और बलवा करने का आरोप था.
आगरा: जिले में एमपी-एमएलए की अदालत ने 28 साल पुराने मामले में फतेहपुर सीकरी से भाजपा सांसद राजकुमार चाहर, भाजपा विधायक योगेंद्र उपाध्याय सहित आठ आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में शनिवार को बरी कर दिया. मामला आगरा कैंट जीआरपी का था. जिसमें शनिवार को सभी आरोपी कोर्ट में पेश हुए. आरोपियों पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया पर जानलेवा हमला और बलवा करने का आरोप था. स्पेशल जज एमपी-एमएलए की ओर से दिए गए बरी के आदेश से भाजपाइयों में खुशी की लहर है.
यह था मामला
मामला 2 जनवरी 1993 का है. आगरा कैंट जीआरपी के तत्कालीन एसएचओ बिजेंद्र सिंह, उप स्टेशन अधीक्षक किरन प्रताप सिंह की ओर से अलग-अलग दो मुकदमा दर्ज कराए गए थे. विवेचना के दौरान तत्कालीन पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के पीआरओ अमर सिंह ने तहरीर दी थी. जिसे विवेचक ने जीआरपी कैंट के थाना प्रभारी बिजेंद्र सिंह के मुकदमे में शामिल कर लिया था. दोनों मुकदमों में आरोप था कि हृदय नाथ सिंह, राजकुमार चाहर, योगेंद्र उपाध्याय, त्रिलोकी नाथ अग्रवाल, दुर्ग विजय सिंह भैया, योगेंद्र सिंह परिहार, सुनील शर्मा, शैलेंद्र गुलाटी, मुकेश गुप्ता और डॉ रामबाबू हरित और उनके समर्थकों ने ग्वालियर से दिल्ली जा रहे तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री माधवराव सिंधिया का विरोध किया था. आरोप यह भी था कि सभी ने शताब्दी एक्सप्रेस को रोका था. इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री के कोच के शीशे भी तोड़ दिए गए थे. इसके चलते सभी के खिलाफ जानलेवा हमला, बलवा, तोड़फोड़, चोरी और रेलवे एक्ट में एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
कोर्ट में दो ही गवाह पेश
पुलिस ने इस मामले की विवेचना में दो चश्मदीद बनाए. जिनमें से एक वर्तमान में भाजपा के राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश जबकि दूसरे सुनहरी लाल गोला थे. वारदात के समय दोनों कांग्रेस में थे, मगर बाद में राज्यमंत्री डॉ. जीएस धर्मेश और सुनहरी लाल ने कोर्ट में बयान दिए कि वे मौके पर नहीं थे. विवेचक ने खुद बयान दर्ज किए हैं. वे घटना के बारे में कुछ नहीं जानते हैं इसलिए केस कमजोर हो गया.
कोर्ट में वादी पेश न होने का मिला लाभ
बता दें कि, कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता हेमंत शर्मा, अनिल शर्मा और मिर्जा कय्यूम बेग ने पैरवी की. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से मुकदमे के वादी किरण सिंह प्रताप, बिजेंद्र सिंह को कोर्ट में पेश नहीं करा सके. इसमें अभियोजन पक्ष ने यह तर्क दिया कि समय अधिक होने के कारण वर्तमान में दोनों वादी कहां हैं? इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है, जबकि तीसरे वादी अमर सिंह की मौत भी हो चुकी है. इसका मुकदमे में में आरोपियों को लाभ मिला.
विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट में शनिवार को भाजपा सांसद राजकुमार चाहर, भाजपा विधायक योगेंद्र उपाध्याय, पूर्व विधायक रामबाबू हरित के साथ ही अन्य सभी आरोपी पेश हुए. आरोपियों की मौजूदगी में विशेष न्यायधीश एमपी एमएलए उमाकांत जिंदल ने संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया.