आगराः कोरोना संक्रमण के चलते एक बार फिर ताजमहल, आगरा किला सहित देश के सभी स्मारक पर्यटकों के लिए 15 मई तक 'लॉक' हैं. भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस बंदी में स्मारकों के संरक्षण और मरम्मत को लेकर कार्य योजना बनाई है. इस बंदी में एएसआई अब ताजमहल परिसर में रॉयल गेट के खराब पत्थर बदलेगा. ताजमहल की मीनार के संरक्षण का काम पूरा किया जाएगा. ताजमहल का मुख्य गुंबद चमकाने के लिए 'मडपैक ट्रीटमेंट' करने की भी एएसआई ने कार्य योजना बनाई है, जिससे आने वाले दिनों में जब ताजमहल खुले तो पर्यटकों को दमकता हुआ नजर आए.
15 मई तक के लिए बंद
एएसआई ने 15 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के चलते 13 माह में दूसरी बार ताजमहल और आगरा किला सहित अन्य स्मारक बंद कर दिए. यह बंदी अभी 15 मई तक के लिए की गई है. बीते साल 17 मार्च 2020 को ताजमहल सहित देश के सभी स्मारक 'लॉक' कर दिए गए थे. फिर 188 दिन की बंदी के बाद ताजमहल 21 सितंबर-2021 को खुला था.
रॉयल गेट के बदले जाएंगे खराब पत्थर
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि इस समय का हम सदुपयोग करना चाहते हैं. इसलिए बंदी के दौरान रॉयल गेट के खराब पत्थरों को बदलने का काम किया जाएगा. जब ताजमहल में पर्यटकों की आवाजाही होती है. उस समय इस तरह के काम करने में परेशानी आती है. करीब 19 लाख रुपये के बजट में रॉयल गेट के खराब पत्थर और मरम्मत का काम किया जाएगा. इसके साथ ही ताजमहल की साउथ-वेस्ट मीनार के संरक्षण का काम भी चल रहा है. वो भी इस बंदी के दौरान बहुत तेजी से पूरा करना है, जिससे लगी हुई पाड़ को रिमूव किया जा सके.
रॉयल गेट में लगे हैं बेशकीमती पत्थर
रॉयल गेट ताजमहल का मुख्य गेट है, जो ताजमहल की सुंदरता में चार चांद लगाता है. रॉयल गेट में लाल और अन्य रंग के बेशकीमती पत्थर लगे हैं. इस गेट की दीवार और छत के बेशकीमती पत्थर खराब हो गए हैं. पच्चीकारी के पत्थर खराब हो गए हैं. यह पत्थर क्षरण की वजह से खराब हुए हैं. पाड़ लगा कर रॉयल गेट को ठीक किया जाएगा. इस गेट का इतिहास भी ताजमहल जितना पुराना है. इस गेट को भी शाहजहां ने ही बनवाया था.
चार मीनारें लगाती हैं चार चांद
ताजमहल के निर्माण के समय ही उसके चारों कोनों पर चार मीनारें तामीर की गई थीं. प्रत्येक मीनार की ऊंचाई जमीन से कलश तक 42.95 मीटर या 140.91 फीट है. ताजमहल में लगा संगमरमर इन मीनारों में भी उपयोग किया गया है. यही वजह है कि यह मीनारें ताजमहल की खूबसूरती को और भी बढ़ा देती हैं. एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि ताजमहल की साउथ-वेस्ट मीनार के संरक्षण के लिए कार्य किया जा रहा है. मीनार के बाहर की तरफ बॉर्डर और पच्चीकारी से निकले पत्थरों को भी बदला जाएगा.
23 लाख रुपये से दुरुस्त होंगी मीनारें
मीनार के संरक्षण कार्य में करीब 23 लाख रुपये का खर्च होगा. इस संरक्षण कार्य में मीनार के खराब पत्थर बदले जाएंगे. ज्वाइंट में लगे काले पत्थर भी बदले जा रहे हैं. जब मीनार पर मडपैक किया गया था, उस समय पच्चीकारी और बॉर्डर में लगे पत्थरों के निकलने और खराब होने की जानकारी हुई थी. बंदी के एक माह में ताजमहल की साउथ-वेस्ट मीनार के संरक्षण का काम तेजी से पूरा करना है, जिससे लगी हुई पाड़ को रिमूव किया जा सके.
मुख्य गुम्मद का मडपैक ट्रीटमेंट
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि इस बंदी के दौरान हम मेहमानखाना के फसाट का काम करेंगे. कुछ इल्ले वर्क हैं, वो पूरा करना है. ताजमहल का मुख्य गुम्मद डबल डाम में है. इसके ऊपर बेशकीमती देश-विदेश के चमकीले पत्थर लगे हुए हैं. सबसे महत्वपूर्ण काम ताजमहल के मुख्य गुम्मद के मडपैक ट्रीटमेंट का काम है. पुरातत्वविद ने बताया कि समय पर मडपैक ट्रीटमेंट पूरा हो जाता है, तो पर्यटकों को ताजमहल और चमकता हुआ नजर आएगा. वहीं एएसआई को कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच प्रशिक्षित मजदूरों की कमी होने का डर सता रहा है, जिसे दूर करने का प्रयास किया जा रहा है.
एएसआई का सराहनीय कदम
टूरिज्म गिल्ड आगरा के उपाध्यक्ष राजीव सक्सेना का कहना है कि एएसआई की ओर से इस बंदी के दौरान अपने स्मारकों के संरक्षण कार्य करने का कदम सराहनीय है. बीते साल के लॉकडाउन में रेलवे ने जिस तरह से अपने रेलवे ट्रैक की मरम्मत का कार्य किया था, उसकी खूब सराहना हुई. वैसे ही इस बंदी के दौरान यदि एएसआई स्मारकों की मरम्मत और संरक्षण का कार्य करता है तो यह बेहतर साबित होगा.
टोडरमल के बारादरी का संरक्षण
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि मुगल बादशाह अकबर के वित्तमंत्री राजा टोडरमल नवरत्न में शामिल थे. राजा टोडरमल का जन्म एक जनवरी 1500 में बताया जाता है. उन्होंने अकबर के समय में भूमि की पैमाइश का तरीका निकाला था. फतेहपुर सीकरी में टोडरमल की बारादरी को संरक्षित किया जा रहा है. बारादरी का अर्थ होता है हर ओर से दीवार से ढका हुआ. यह बारादरी पहले उपेक्षित थी. अभी खुदाई के दौरान बारादरी में एक जलाशय निकला है, जो करीब 450 साल पुराना है. इसका वास्तुशिल्प गजब का है.
टोडरमल ने भागवत पुराण का किया था अनुवाद
जलाशय की हर दीवार पर नौ डिजाइन पैटर्न हैं. इस जलाशय का फव्वारा लाल बलुआ पत्थर का है. फव्वारे का पाइप किस धातु का है, इसकी अभी जांच चल रही है. बारादरी को संरक्षित करने के लिए एएसआई ने काम शुरू कर दिया है. राजा टोडरमल ने भागवत पुराण का फारसी में अनुवाद किया था. 8 नवंबर 1589 को लाहौर में राजा टोडरमल का निधन हो गया था. राजा टोडरमल की बारादरी के संरक्षण पर करीब 23 लाख रुपये का खर्च है.
क्या है मडपैक ट्रीटमेंट
मडपैक ट्रीटमेंट दरअसल, मुल्तानी मिट्टी का लेप है. इस लेप को पत्थर पर लगाकर पानी से धोया जाता है. इस प्रकार की सफाई में किसी भी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता है. इससे पत्थर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है. जिस तरह से मुल्तानी मिट्टी लगाने से चेहरे में निखार आता है. इसी तरह ताजमहल में भी चमक लाई जाएगी. इसके पहले भी ताजमहल का मडपैक ट्रीटमेंट किया जा चुका है.