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स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम से सुविधाएं गो लाइव, पैनिक बटन दबाने पर मिलेगी मदद - आगरा नगर निगम

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आगरा नगर निगम में बनाए गए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से गुरुवार को तमाम सुविधाएं 'गो लाइव' की गई. इस मौके पर स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम में विशेषज्ञों ने तमाम सुविधाओं को लेकर जानकारी दी.

कंट्रोल सेंटर से सुविधाओं को किया गो लाइव.
कंट्रोल सेंटर से सुविधाओं को किया गो लाइव.
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Published : Jan 1, 2021, 2:10 PM IST

आगरा: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम में बनाए गए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से गुरुवार को कई सुविधाएं 'गो लाइव' की गई. 'गो लाइव' की टेस्टिंग तीन महीने तक चलेगी. इसके बाद सभी सुविधाएं सुचारू होंगी. इस बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि ट्रैफिक सिग्नल पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से ऑनलाइन चालान, इमरजेंसी पैनिक बटन किस तरह से काम करता है, इसकी जानकारी मिल सकेगी.

स्‍मार्ट सिटी में हाेगी सभी आधुनिक सुविधाएं.


आगरा नगर निगम परिसर में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर 282 करोड़ रुपये की लागत में तैयार हुआ है. यहां से शहर के 240 स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जा सकती है. शहर के नागरिकों की सुविधाओं के लिए ज्योग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम भी संचालित होगा. स्मार्ट सिटी में आईसीटी बेस्ड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट किस तरह से काम करेगा. यह भी यहां से निगरानी में रहेगा.

स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम.
स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम.

जीपीएस से रखी जाएगी नजर

नगर निगम में स्थित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से अपशिष्ट के पर्यवेक्षण के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी एडिफिकेशन डिवाइस लगाई जायेगी. जिससे डस्टबिन भरे जाने पर तत्काल ही जानकारी मिल जायेगी. डस्टबिन को खाली कराया जा सकेगा. इसके साथ ही नगर निगम के गाड़ियों में भी जीपीएस लगाकर मॉनिटरिंग की जाएगी.

पैनिक बटन पर मिलेगी मदद

इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से कर्मचारी और पुलिस अधिकारी शहर के सभी चौराहों और तिराहों के साथ प्रमुख स्थान पर लोगों से संवाद कर सकते हैं. कंट्रोल रूम से सीधा संवाद करके आपातकालीन स्थिति में ट्रैफिक को डाइवर्ट कराया जा सकता है. जाम में फंसी एंबुलेंस को निकाला जा सकता है. चौराहा और तिराहे पर लगाए पैनिक बटन से इमरजेंसी में तत्काल पुलिस की मदद मिलेगी.

'गो लाइव' की शुरुआत की गई, जिससे स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम से सुविधाओं को 'गो लाइव' किया गया है. यह टेस्टिंग 3 महीने तक चलेगी. इस दौरान कंट्रोल रूम में बैठे विशेषज्ञ और कर्मचारी तमाम सुविधाओं में सुधार करेंगे. क्या-क्या दिक्कत आएंगी, उन्हें समझेंगे. फिर उनका सुधार किया जाएगा. इसके बाद इसे शहर के लोगों के लिए लागू कर दिया जाएगा. आगरा पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भी इस बारे में बता दिया जाएगा.

-निखिल टी फुंडे, नगर आयुक्त

आगरा: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम में बनाए गए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से गुरुवार को कई सुविधाएं 'गो लाइव' की गई. 'गो लाइव' की टेस्टिंग तीन महीने तक चलेगी. इसके बाद सभी सुविधाएं सुचारू होंगी. इस बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि ट्रैफिक सिग्नल पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से ऑनलाइन चालान, इमरजेंसी पैनिक बटन किस तरह से काम करता है, इसकी जानकारी मिल सकेगी.

स्‍मार्ट सिटी में हाेगी सभी आधुनिक सुविधाएं.


आगरा नगर निगम परिसर में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर 282 करोड़ रुपये की लागत में तैयार हुआ है. यहां से शहर के 240 स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जा सकती है. शहर के नागरिकों की सुविधाओं के लिए ज्योग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम भी संचालित होगा. स्मार्ट सिटी में आईसीटी बेस्ड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट किस तरह से काम करेगा. यह भी यहां से निगरानी में रहेगा.

स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम.
स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम.

जीपीएस से रखी जाएगी नजर

नगर निगम में स्थित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से अपशिष्ट के पर्यवेक्षण के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी एडिफिकेशन डिवाइस लगाई जायेगी. जिससे डस्टबिन भरे जाने पर तत्काल ही जानकारी मिल जायेगी. डस्टबिन को खाली कराया जा सकेगा. इसके साथ ही नगर निगम के गाड़ियों में भी जीपीएस लगाकर मॉनिटरिंग की जाएगी.

पैनिक बटन पर मिलेगी मदद

इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से कर्मचारी और पुलिस अधिकारी शहर के सभी चौराहों और तिराहों के साथ प्रमुख स्थान पर लोगों से संवाद कर सकते हैं. कंट्रोल रूम से सीधा संवाद करके आपातकालीन स्थिति में ट्रैफिक को डाइवर्ट कराया जा सकता है. जाम में फंसी एंबुलेंस को निकाला जा सकता है. चौराहा और तिराहे पर लगाए पैनिक बटन से इमरजेंसी में तत्काल पुलिस की मदद मिलेगी.

'गो लाइव' की शुरुआत की गई, जिससे स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम से सुविधाओं को 'गो लाइव' किया गया है. यह टेस्टिंग 3 महीने तक चलेगी. इस दौरान कंट्रोल रूम में बैठे विशेषज्ञ और कर्मचारी तमाम सुविधाओं में सुधार करेंगे. क्या-क्या दिक्कत आएंगी, उन्हें समझेंगे. फिर उनका सुधार किया जाएगा. इसके बाद इसे शहर के लोगों के लिए लागू कर दिया जाएगा. आगरा पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भी इस बारे में बता दिया जाएगा.

-निखिल टी फुंडे, नगर आयुक्त

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