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आगरा फिल्म सिटी संघर्ष समिति की मांग, 'आगरा में ही बनायी जाए फिल्म सिटी' - नोएडा फिल्म सिटी

उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा में फिल्म सिटी बनाने की बात कही है. आगरा के लोगों का भी कहना है कि आगरा में विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल मौजूद है और आगरा को पूरे विश्व में जाना जाता है. साथ ही साथ यहां देशी-विदेशी विदेशी पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है. इसलिए आगरा में ही फिल्म सिटी बनाई जाए.

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आगरा फिल्म सिटी संघर्ष समिति की बैठक.
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Published : Oct 3, 2020, 3:18 AM IST

आगराः जिले में फिल्म सिटी की मांग जोर शोर से की जा रही है. जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा में फिल्म सिटी बनाने की बात कही है. आगरा के लोगों का भी कहना है कि आगरा में विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल मौजूद है और आगरा को पूरे विश्व में जाना जाता है. साथ ही साथ यहां देशी-विदेशी विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. इसलिए आगरा में ही फिल्म सिटी बनाई जाए.

फिल्म सिटी की मांग को लेकर इंडियन क्लब में आगरा फिल्म सिटी संघर्ष समिति के लोगों ने प्रेस वार्ता कर फिल्म सिटी को लेकर अपनी आवाज बुलंद की. समिति के अध्यक्ष निर्माता रंजीत शर्मा ने कहा कि आगरा सालों से शूटिंग फ्रेंडली शहर रहा है और ऐतिहासिक लोकेशंस का यहां होना इसमें चार चांद लगाता है. आगरा की बाकी शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है. इसीलिए फिल्म सिटी का सही स्थान आगरा शहर होना चाहिए.

वहीं लेखक निर्देशक सूरज तिवारी ने कहा कि जहां नोएडा में एक फिल्म सिटी पहले से मौजूद है. वहां दूसरी फिल्म सिटी लगाना कितना तार्किक है. जबकि आगरा में पहले से 1000 एकड़ जमीन पर सरकार का किंगडम कंपनी के संजय खान से करार हो चुका था तो फिर वह लैंड कहां गई. उस पर फिल्म सिटी क्यों नहीं बनाई जा सकती. आगरा को न तो एयरपोर्ट, न थीम पार्क, न हाईकोर्ट और न इंटरनेशनल स्टेडियम ही दिया तो कम से कम फिल्म सिटी तो दे देते.

इप्टा के रघुवंशी कहते हैं कि आगरा में पहले से ही बहुत सारे उद्योग खत्म हो चुके हैं. कम से कम फिल्म उद्योग से संबंधित उद्योगों को और लोगों को काम मिल सकेगा. लाइन प्रोड्यूसर एसपी शुक्ल ने कहा कि हमारे पास अगर 10 फिल्में शूट होने के लिए आती हैं. लगभग सात से आठ फिल्मों की लोकेशन फिल्ममेकर आगरा के आसपास रखना चाहते हैं. फिर फिल्म सिटी नोएडा में क्यों बनाई जा रही है.

वहीं एक्टर लाइन प्रोड्यूसर प्रमोद राणा का कहना है कि जिस भाषा में हिंदी फिल्में बनती हैं. वह भाषा सिर्फ और सिर्फ आगरा और उसके आसपास ही बोली जाती है तो फिर शुद्ध हिंदी भाषा वाले इस बेल्ट में हमारी हिंदी फिल्म सिटी क्यों नहीं. नाटक कर्मी अनिल जैन का कहना है कि फिल्म सिटी होने से आगरा में प्रतिभाओं को पंख लग जाएंगे. उन लोगों को कहीं बाहर काम करने की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा. फिल्म समीक्षक डॉ. महेश धाकड़ कहते हैं कि देश में चार जगह पहले से ही फिल्म सिटी है, लेकिन आगरा जैसे ऐतिहासिक विरासत लिए सांस्कृतिक धरोहरों के शहर में फिल्म सिटी क्यों नहीं होनी चाहिए.

आगराः जिले में फिल्म सिटी की मांग जोर शोर से की जा रही है. जिस तरह से उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा में फिल्म सिटी बनाने की बात कही है. आगरा के लोगों का भी कहना है कि आगरा में विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल मौजूद है और आगरा को पूरे विश्व में जाना जाता है. साथ ही साथ यहां देशी-विदेशी विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. इसलिए आगरा में ही फिल्म सिटी बनाई जाए.

फिल्म सिटी की मांग को लेकर इंडियन क्लब में आगरा फिल्म सिटी संघर्ष समिति के लोगों ने प्रेस वार्ता कर फिल्म सिटी को लेकर अपनी आवाज बुलंद की. समिति के अध्यक्ष निर्माता रंजीत शर्मा ने कहा कि आगरा सालों से शूटिंग फ्रेंडली शहर रहा है और ऐतिहासिक लोकेशंस का यहां होना इसमें चार चांद लगाता है. आगरा की बाकी शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है. इसीलिए फिल्म सिटी का सही स्थान आगरा शहर होना चाहिए.

वहीं लेखक निर्देशक सूरज तिवारी ने कहा कि जहां नोएडा में एक फिल्म सिटी पहले से मौजूद है. वहां दूसरी फिल्म सिटी लगाना कितना तार्किक है. जबकि आगरा में पहले से 1000 एकड़ जमीन पर सरकार का किंगडम कंपनी के संजय खान से करार हो चुका था तो फिर वह लैंड कहां गई. उस पर फिल्म सिटी क्यों नहीं बनाई जा सकती. आगरा को न तो एयरपोर्ट, न थीम पार्क, न हाईकोर्ट और न इंटरनेशनल स्टेडियम ही दिया तो कम से कम फिल्म सिटी तो दे देते.

इप्टा के रघुवंशी कहते हैं कि आगरा में पहले से ही बहुत सारे उद्योग खत्म हो चुके हैं. कम से कम फिल्म उद्योग से संबंधित उद्योगों को और लोगों को काम मिल सकेगा. लाइन प्रोड्यूसर एसपी शुक्ल ने कहा कि हमारे पास अगर 10 फिल्में शूट होने के लिए आती हैं. लगभग सात से आठ फिल्मों की लोकेशन फिल्ममेकर आगरा के आसपास रखना चाहते हैं. फिर फिल्म सिटी नोएडा में क्यों बनाई जा रही है.

वहीं एक्टर लाइन प्रोड्यूसर प्रमोद राणा का कहना है कि जिस भाषा में हिंदी फिल्में बनती हैं. वह भाषा सिर्फ और सिर्फ आगरा और उसके आसपास ही बोली जाती है तो फिर शुद्ध हिंदी भाषा वाले इस बेल्ट में हमारी हिंदी फिल्म सिटी क्यों नहीं. नाटक कर्मी अनिल जैन का कहना है कि फिल्म सिटी होने से आगरा में प्रतिभाओं को पंख लग जाएंगे. उन लोगों को कहीं बाहर काम करने की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा. फिल्म समीक्षक डॉ. महेश धाकड़ कहते हैं कि देश में चार जगह पहले से ही फिल्म सिटी है, लेकिन आगरा जैसे ऐतिहासिक विरासत लिए सांस्कृतिक धरोहरों के शहर में फिल्म सिटी क्यों नहीं होनी चाहिए.

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