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Agra Central Jail : बंदियों के हाथ की बनी ब्रेड खाएंगे लोग, जानिए क्या है प्लानिंग

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Published : Feb 9, 2023, 1:10 PM IST

आगरा सेंट्रल जेल ने कैदियों के हुनर को उनके लिए रोजगार में बदलने के लिए एक नई पहल की है. उनको रोजगार उपलब्ध कराने के लिए एक आउटलेट खोला जा रहा है. इसमें बंदियों की बनाई ब्रेड और रोज के जरूरत के आइटम मिलेंगे.

आगरा
आगरा
आगरा सेंट्रल जेल के कैदियों पर संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

आगरा: यूपी की जेलों के बंदी और कैदियों का हुनर पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे वे जाने और अनजाने में किए अपराध की सजा काटकर जब बंदी और कैदी सलाखों से बाहर निकलें तो बेरोजगार न रहें. इसी मंशा से यूपी की जेलों में बंदियों को हुनरमंद बनाया जा रहा है. आगरा में सेंट्रल जेल की ओर से एक आउटलेट खोला जा रहा है. इस पर आगरा सेंट्रल जेल की बेकरी में बंदियों की बनाई ब्रेड और डेली नीड्स के आइटम मिलेंगे. आगरा सेंट्रल जेल के आउटलेट से कोई भी जेल की बेकरी के बने आइटम खरीद सकेगा. इससे सेंट्रल जेल के बंदियों की आमदनी बढ़ेगी.

कैदियों द्वारा निर्मित उत्पाद
कैदियों द्वारा निर्मित उत्पाद

बता दें कि आगरा सेंट्रल जेल में 2200 से ज्यादा बंदी निरुद्ध हैं. इनमें तीन पूर्व विधायक और जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन से जुड़े लोग भी शामिल हैं, जो हाई सिक्योरिटी बैरक में निरुद्ध हैं. हाल में जम्मू-कश्मीर की अलग-अलग जेलों से बंदी और कैदी आगरा सेंट्रल जेल में आए हैं. बंदियों और आगरा सेंट्रल जेल की सुरक्षा में 150 से अधिक का स्टाफ तैनात है.

आगरा सेंट्रल जेल के फर्नीचर की खूब डिमांड

आगरा सेंट्रल जेल में बंदी फर्नीचर, दरी, जूता और अन्य सामान बनाने में ट्रेंड हैं. आगरा सेंट्रल जेल में बंदियों के बनाए फर्नीचर की यूपी के साथ ही दूसरे प्रदेश में डिमांड है. आगरा सेंट्रल जेल में बनी कुर्सी, टेबल, अलमारी और अन्य फर्नीचर यूपी की अधिकतर अदालतों में लगा हुआ है. बीते साल में ही बंदियों का बनाया एक करोड़ रुपये का फर्नीचर बेचा जा चुका है. शूज मेकिंग का काम भी बंदियों ने सीख लिया है. दरी भी बंदी बना रहे हैं. अब आगरा सेंट्रल जेल की बेकरी को बढ़ाया जा रहा है. अभी बंदियों की आमदनी बढ़ाने के लिए आगरा सेंट्रल जेल की ओर से मेलों में स्टॉल लगाना शुरू कर दिया गया है.

आगरा केंद्रीय कारागार
आगरा केंद्रीय कारागार

बंदियों को मिलेगा रोजगार, परिवार की करेंगे मदद

आगरा जेल डीआईजी राधे कृष्ण मिश्रा का कहना है कि आगरा सेंट्रल जेल में सन 2002 से ही बेकरी है. तभी से बेकरी में बंदियों के लिए ही ब्रेड बनाने का काम किया जाता है. बंदियों के लिए बाहर से ब्रेड नहीं खरीदी जाती है. इसके साथ ही आगरा जिला जेल के बंदियों के लिए भी ब्रेड आगरा सेंट्रल जेल से जाती है. डीआईजी ने कहा कि अब उनकी योजना आउटलेट खोलने की है, जिससे आगरा सेंट्रल जेल में बंदियों की ओर से बनाए जा रहे फर्नीचर और अन्य उत्पाद आउटलेट से बेचे जा सकें. इसके चलते बेकरी में बंद के साथ ही ब्रेड और अन्य तमाम डेली नीड्स के आइटम भी बनाए जाएंगे. इन्हें सेंट्रल जेल के आउटलेट पर रखा जाएगा. जहां से कोई भी व्यक्ति आगरा सेंट्रल जेल की बेकरी के उत्पाद खरीद सके, जिससे आगरा सेंट्रल जेल की आमदनी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि इससे बंदियों को रोजगार मिलेगा. बंदी बेकरी में किए गए काम से मिलने वाले पैसे से अपने परिवार की मदद भी कर सकेंगे. उनके बच्चों की बेहतर पढ़ाई भी हो सकेगी.

यह भी पढ़ें: Public Works Department : 2026 से पहले 200 नए पुलों के निर्माण के लिए बना रहे मास्टर प्लान


आगरा सेंट्रल जेल के कैदियों पर संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

आगरा: यूपी की जेलों के बंदी और कैदियों का हुनर पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे वे जाने और अनजाने में किए अपराध की सजा काटकर जब बंदी और कैदी सलाखों से बाहर निकलें तो बेरोजगार न रहें. इसी मंशा से यूपी की जेलों में बंदियों को हुनरमंद बनाया जा रहा है. आगरा में सेंट्रल जेल की ओर से एक आउटलेट खोला जा रहा है. इस पर आगरा सेंट्रल जेल की बेकरी में बंदियों की बनाई ब्रेड और डेली नीड्स के आइटम मिलेंगे. आगरा सेंट्रल जेल के आउटलेट से कोई भी जेल की बेकरी के बने आइटम खरीद सकेगा. इससे सेंट्रल जेल के बंदियों की आमदनी बढ़ेगी.

कैदियों द्वारा निर्मित उत्पाद
कैदियों द्वारा निर्मित उत्पाद

बता दें कि आगरा सेंट्रल जेल में 2200 से ज्यादा बंदी निरुद्ध हैं. इनमें तीन पूर्व विधायक और जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन से जुड़े लोग भी शामिल हैं, जो हाई सिक्योरिटी बैरक में निरुद्ध हैं. हाल में जम्मू-कश्मीर की अलग-अलग जेलों से बंदी और कैदी आगरा सेंट्रल जेल में आए हैं. बंदियों और आगरा सेंट्रल जेल की सुरक्षा में 150 से अधिक का स्टाफ तैनात है.

आगरा सेंट्रल जेल के फर्नीचर की खूब डिमांड

आगरा सेंट्रल जेल में बंदी फर्नीचर, दरी, जूता और अन्य सामान बनाने में ट्रेंड हैं. आगरा सेंट्रल जेल में बंदियों के बनाए फर्नीचर की यूपी के साथ ही दूसरे प्रदेश में डिमांड है. आगरा सेंट्रल जेल में बनी कुर्सी, टेबल, अलमारी और अन्य फर्नीचर यूपी की अधिकतर अदालतों में लगा हुआ है. बीते साल में ही बंदियों का बनाया एक करोड़ रुपये का फर्नीचर बेचा जा चुका है. शूज मेकिंग का काम भी बंदियों ने सीख लिया है. दरी भी बंदी बना रहे हैं. अब आगरा सेंट्रल जेल की बेकरी को बढ़ाया जा रहा है. अभी बंदियों की आमदनी बढ़ाने के लिए आगरा सेंट्रल जेल की ओर से मेलों में स्टॉल लगाना शुरू कर दिया गया है.

आगरा केंद्रीय कारागार
आगरा केंद्रीय कारागार

बंदियों को मिलेगा रोजगार, परिवार की करेंगे मदद

आगरा जेल डीआईजी राधे कृष्ण मिश्रा का कहना है कि आगरा सेंट्रल जेल में सन 2002 से ही बेकरी है. तभी से बेकरी में बंदियों के लिए ही ब्रेड बनाने का काम किया जाता है. बंदियों के लिए बाहर से ब्रेड नहीं खरीदी जाती है. इसके साथ ही आगरा जिला जेल के बंदियों के लिए भी ब्रेड आगरा सेंट्रल जेल से जाती है. डीआईजी ने कहा कि अब उनकी योजना आउटलेट खोलने की है, जिससे आगरा सेंट्रल जेल में बंदियों की ओर से बनाए जा रहे फर्नीचर और अन्य उत्पाद आउटलेट से बेचे जा सकें. इसके चलते बेकरी में बंद के साथ ही ब्रेड और अन्य तमाम डेली नीड्स के आइटम भी बनाए जाएंगे. इन्हें सेंट्रल जेल के आउटलेट पर रखा जाएगा. जहां से कोई भी व्यक्ति आगरा सेंट्रल जेल की बेकरी के उत्पाद खरीद सके, जिससे आगरा सेंट्रल जेल की आमदनी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि इससे बंदियों को रोजगार मिलेगा. बंदी बेकरी में किए गए काम से मिलने वाले पैसे से अपने परिवार की मदद भी कर सकेंगे. उनके बच्चों की बेहतर पढ़ाई भी हो सकेगी.

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