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ठीक होने के बाद भी कई महीनों पागलखाने में रही सीता, 21 महीनें बाद देखा अपना बेटा - mental health center

आगरा के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में 21 महीने से रह रही बिहार की सीता की घर वापसी हो गई. सीता नोएडा पुलिस को लावारिस हालत में मिली थी. यहां उसने एक बेटे को भी जन्म दिया था.

मानसिक स्वास्थ्य केंद्र से रिहा हुई सीता
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Published : Apr 4, 2019, 3:07 PM IST

आगरा : जिले के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में 21 महीने पहले खराब मानसिक स्थिति में आई सीता की बुधवार की घर वापसी हो गई. बिहार की रहने वाली सीता नोएडा पुलिस को लावारिस हालत में मिली थी. पता याद न होने के कारण सीता के सही होने के बाद भी वह यहां बंद थी. समाजसेवी महफूज संस्था के कॉर्डिनेटर नरेश पारस के प्रयासों से आखिरकार सीता को रिहाई मिल गयी.

मानसिक स्वास्थ्य केंद्र से रिहा हुई सीता

ढाई साल पहले बिहार की रहने वाली सीता की मानसिक स्थिति खराब हो गयी थी और वो घर से लापता हो गयी थी. इसके बाद उसे गर्भवती अवस्था मे नोएडा पुलिस ने मानसिक चिकित्सालय में भर्ती कराया था. इसके बाद सीता को बेटा हुआ, जिसे राजकीय बाल गृह में भेज दिया गया था. कुछ दिनों के इलाज के बाद सीता सही हो गई, लेकिन पता याद न होने के कारण उसे पागलखाने में ही रहना पड़ रहा था.

वहीं मानसिक चिकित्सालय पहुंचे समाजसेवी नरेश पारस को पता चला कि परिजनों के न आने के चलते यहां कई महिलाएं और पुरुष ठीक होने के बाद भी रह रहे हैं. इसके बाद नरेश पारस ने सीता की काउंसलिंग कर उसका पता जाना और सीता को उसके परिवार से मिला दिया. नरेश पारस की मेहनत से सीता 21 महीने बाद अपने बच्चे से भी मिल पाई.

आगरा : जिले के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में 21 महीने पहले खराब मानसिक स्थिति में आई सीता की बुधवार की घर वापसी हो गई. बिहार की रहने वाली सीता नोएडा पुलिस को लावारिस हालत में मिली थी. पता याद न होने के कारण सीता के सही होने के बाद भी वह यहां बंद थी. समाजसेवी महफूज संस्था के कॉर्डिनेटर नरेश पारस के प्रयासों से आखिरकार सीता को रिहाई मिल गयी.

मानसिक स्वास्थ्य केंद्र से रिहा हुई सीता

ढाई साल पहले बिहार की रहने वाली सीता की मानसिक स्थिति खराब हो गयी थी और वो घर से लापता हो गयी थी. इसके बाद उसे गर्भवती अवस्था मे नोएडा पुलिस ने मानसिक चिकित्सालय में भर्ती कराया था. इसके बाद सीता को बेटा हुआ, जिसे राजकीय बाल गृह में भेज दिया गया था. कुछ दिनों के इलाज के बाद सीता सही हो गई, लेकिन पता याद न होने के कारण उसे पागलखाने में ही रहना पड़ रहा था.

वहीं मानसिक चिकित्सालय पहुंचे समाजसेवी नरेश पारस को पता चला कि परिजनों के न आने के चलते यहां कई महिलाएं और पुरुष ठीक होने के बाद भी रह रहे हैं. इसके बाद नरेश पारस ने सीता की काउंसलिंग कर उसका पता जाना और सीता को उसके परिवार से मिला दिया. नरेश पारस की मेहनत से सीता 21 महीने बाद अपने बच्चे से भी मिल पाई.

Intro:आगरा के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र से कल बिहार की सीता की रिहाई हो गयी।सीता पिछले 21 माह से पागलखाने में इलाज के लिए बन्द थी।उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उसके अपनो को पता नही था कि गीता यहां है और ठीक होने के बाद भी उसे वहां से छोड़ा नही जा सकता था।समाजसेवी महफूज संस्था के कॉर्डिनेटर नरेश पारस के प्रयासों से आखिरकार सीता को रिहाई मिल गयी।


Body:ढाई साल पहले बिहार की रहने वाली सीता की मानसिक स्थिति खराब हो गयी थी और वो घर से लापता हो गयी थी।इसके बाद उसे गर्भवती अवस्था मे नोएडा पुलिस ने मानसिक चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था।इसके बाद सीता को पुत्र की प्राप्ति हुई और उस पुत्र को राजकीय बाल गृह में भेज दिया गया।समाजसेवी नरेश पारस किसी कार्य से मानसिक चिकित्सालय पहुंचे तो उन्हें पता चला कि परिजनों के न आने के चलते यहां कई महिलाएं और पुरुष ठीक होने के बाद भी रह रहे हैं।इसके बाद नरेश पारस ने सीता से बात की तो सीता ने टूटा फूटा पता बताया,जिसे ट्रेस कराने के बाद नरेश पारस ने सीता को उसके पररवार से मिला दिया।परिजनों के आने के बाद छह दिन कोर्ट के चक्कर लगाने के बाद सीता को परिजनों के सपुर्द करा दिया।सीता के भाई ने बताया की सीता के गायब होने की बिहार में रिपोर्ट तक नही लिखी गयी थी और उसकी मानसिक अवस्था के चलते पति ने भी दूसरी शादी कर ली अब जब पता चला तो वो उसे लेने आये हैं।खैर सीता को तो ढाई साल बाद अपना परिवार मिल गया पर अब देखना यह होगा कि मानसिक चिकित्सालय में ऐसी अन्य सीताओ को कब अपना परिवार मिलता है।


Conclusion:बाईट सीता का भाई

बाईट नरेश पारस
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