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आगरा में दो दिवसीय 15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस का हुआ आयोजन

आगरा में इंडियन एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजिकल साइकियाट्री की '15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस' का दो दिवसीय आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित ने किया.

दो दिवसीय 15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस का हुआ आयोजन
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Published : Sep 21, 2019, 12:38 PM IST

आगरा: इंडियन एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजिकल साइकियाट्री के दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित ने किया. कॉन्फ्रेंस में मनोरोग के कारण, अत्याधुनिक तकनीक और उपचार पर विचार विमर्श किया जा रहा है. सीनियर मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. वेणुगोपाल झावड और डॉ. राजेश नागपाल ने बताया कि अब इलेक्ट्रिक शॉट टेक्निक से ज्यादा प्रभावी मैग्नेटिक और न्यूरो टेक्निक हो गई हैं. इतना ही नहीं अब मनोरोग में सर्जरी भी की जा रही है.

दो दिवसीय 15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस का हुआ आयोजन

15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस का हुआ आयोजन
इंडियन एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजिकल साइकियाट्री की '15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस' हो रही है. पहले दिन कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने अपने अपने रिसर्च और उपचार की अत्याधुनिक तकनीकों को साझा किया. इस कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 300 से ज्यादा मनोरोग विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं, जिसमें वियतनाम, थाईलैंड, यूके समेत अन्य देशों के विशेषज्ञ भी शामिल हैं. विशेषज्ञों ने बताया बायोलॉजिकल (केमिकल) बदलाव से स्क्रिजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) समेत अन्य तमाम बीमारियों के मनोरोगी बढ़े हैं.

अब बहुत चेंज आ गए हैं, अब ईसीटी बिना एनएसथीसिया के नहीं होता है. इससे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती है. ईसीटी मोर इफेक्टिव है. इसके अलावा ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस) आता है. इसमें एक कॉइल होती है. इसमें बिजली के झटके की जगह मैग्नेटिक फील्ड दिया जाता है. इसके बाद ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक डायरेक्ट स्टिमुलेशन होता है. इसमें इलेक्ट्रोड ब्रेन के ऊपर लगाया जाता है और उसमें 20 मिनट का एक सेशन होता है. दिन में दो सेशन होते हैं, दो घंटे के अंतराल में. इससे बहुत सारी बीमारी है जैसे कान में आवाज आना, याददाश्त में कमी होना, बच्चों में ज्यादा चंचलता होना सहित अन्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं. इसके साथ ही अब मनोरोग में सर्जरी भी होने लगी है. जैसे ओसीडी एक बीमारी है. उसमें हम सर्जरी करते हैं. इसमें हम सर्जरी करके ब्रेन के अंदर दो इलेक्ट्रोड लगा देते हैं. जहां भी खराबी है. उस जगह पर लगाए गए यह दोनों इलेक्ट्रोड धीरे-धीरे स्वयं स्टिमुलेट करते रहते हैं.
- डॉ. वेणुगोपाल झावड, सीनियर मनोरोग विशेषज्ञ

आगरा: इंडियन एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजिकल साइकियाट्री के दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित ने किया. कॉन्फ्रेंस में मनोरोग के कारण, अत्याधुनिक तकनीक और उपचार पर विचार विमर्श किया जा रहा है. सीनियर मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. वेणुगोपाल झावड और डॉ. राजेश नागपाल ने बताया कि अब इलेक्ट्रिक शॉट टेक्निक से ज्यादा प्रभावी मैग्नेटिक और न्यूरो टेक्निक हो गई हैं. इतना ही नहीं अब मनोरोग में सर्जरी भी की जा रही है.

दो दिवसीय 15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस का हुआ आयोजन

15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस का हुआ आयोजन
इंडियन एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजिकल साइकियाट्री की '15वीं एनुअल नेशनल कांफ्रेंस' हो रही है. पहले दिन कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने अपने अपने रिसर्च और उपचार की अत्याधुनिक तकनीकों को साझा किया. इस कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 300 से ज्यादा मनोरोग विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं, जिसमें वियतनाम, थाईलैंड, यूके समेत अन्य देशों के विशेषज्ञ भी शामिल हैं. विशेषज्ञों ने बताया बायोलॉजिकल (केमिकल) बदलाव से स्क्रिजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) समेत अन्य तमाम बीमारियों के मनोरोगी बढ़े हैं.

अब बहुत चेंज आ गए हैं, अब ईसीटी बिना एनएसथीसिया के नहीं होता है. इससे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती है. ईसीटी मोर इफेक्टिव है. इसके अलावा ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस) आता है. इसमें एक कॉइल होती है. इसमें बिजली के झटके की जगह मैग्नेटिक फील्ड दिया जाता है. इसके बाद ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक डायरेक्ट स्टिमुलेशन होता है. इसमें इलेक्ट्रोड ब्रेन के ऊपर लगाया जाता है और उसमें 20 मिनट का एक सेशन होता है. दिन में दो सेशन होते हैं, दो घंटे के अंतराल में. इससे बहुत सारी बीमारी है जैसे कान में आवाज आना, याददाश्त में कमी होना, बच्चों में ज्यादा चंचलता होना सहित अन्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं. इसके साथ ही अब मनोरोग में सर्जरी भी होने लगी है. जैसे ओसीडी एक बीमारी है. उसमें हम सर्जरी करते हैं. इसमें हम सर्जरी करके ब्रेन के अंदर दो इलेक्ट्रोड लगा देते हैं. जहां भी खराबी है. उस जगह पर लगाए गए यह दोनों इलेक्ट्रोड धीरे-धीरे स्वयं स्टिमुलेट करते रहते हैं.
- डॉ. वेणुगोपाल झावड, सीनियर मनोरोग विशेषज्ञ

Intro:स्पेशल....
आगरा.
मनोरोग के पीछे केमिकल लोचा होता है, जिस पर ताजनगरी में दो दिन तक देश विदेश के विशेषज्ञों ने मंथन करेंगे. इंडियन एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजिकल साइकियाट्री की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित ने किया. इस कॉन्फ्रेंस में मनोरोग के कारण, अत्याधुनिक तकनीक और उपचार पर विचार विमर्श किया जा रहा है. ईटीवी भारत में सीनियर मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. वेणुगोपाल झावड और डॉ. राजेश नागपाल से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि अब इलेक्ट्रिक शॉट टेक्निक से ज्यादा प्रभावी मैग्नेटिक और न्यूरो टेक्निक हो गई हैं. इतना ही नहीं अब मनोरोग में सर्जरी भी की जा रही है.



Body:इंडियन एसोसिएशन ऑफ बायोलॉजिकल साइकियाट्री के '15वें एनुअल नेशनल कांफ्रेंस' हो रही है. पहले दिन कॉन्फ्रेंस में आए विशेषज्ञों ने अपने अपने रिसर्च और उपचार की अत्याधुनिक तकनीकों को साझा किया. बायोलॉजिकल (केमिकल) बदलाव से स्क्रिजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) समेत अन्य तमाम बीमारियों के मनोरोगी बढ़े हैं.

डॉ. वेणुगोपाल झावड ने बताया कि अब ईसीटी में अब बहुत चेंज आ गए हैं, अब ईसीटी बिना एनएसथीसिया के नहीं होता है. इससे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती है. ईसीईटी मोर इफेक्टिव है. इसके अलावा ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (टीएमएस) आता है. इसमें एक कॉइल होती है. इसमें बिजली के झटके की जगह मैग्नेटिक फील्ड दिया जाता है. इसके बाद ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक डायरेक्ट स्टिमुलेशन होता है. इसमें इलेक्ट्रोड ब्रेन के ऊपर लगाया जाता है. और उसमें 20 मिनट का एक सेशन होता है. दिन में दो सेशन होते हैं, दो घंटे के अंतराल में. इससे बहुत सारी बीमारी है जैसे कान में आवाज आना, याददाश्त में कमी होना, बच्चों में ज्यादा चंचलता होना सहित अन्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं. इसके साथ ही अब मनोरोग में सर्जरी भी होने लगी है. जैसे ओसीडी एक बीमारी है. उसमें हम सर्जरी करते हैं. इसमें हम सर्जरी करके ब्रेन के अंदर दो इलेक्ट्रोड लगा देते हैं. जहां भी खराबी है. उस जगह पर लगाए गए यह दोनों इलेक्ट्रोड धीरे-धीरे स्वयं स्टिमुलेशन करते रहते हैं. उसे ओसीडी के विचार कमाने लगते हैं.

डॉ. राजेश नागपाल ने बताया कि इस समय दुनिया भर में न्यूरोमोड्यूलेशन टेक्निक है, जो यूरोप में बनाई है. वहां की मशीनें भी बनाई गई है। इन मशीनों को देश में कई ऐसे विशेषज्ञ चिकित्सक है. उपयोग कर रहे हैं. वैसे अभी तक इन मशीनों को उपयोग करने के लिए भारत में कोई भी अप्रूवल अभी नहीं है.




इस सेशन के दौरान आदमी आराम से मैगजीन पड़ सकता है चेस खेल सकता है और अन्य तमाम काम भी कर सकता है उसे ही कोई भी दर्द नहीं होगा.


Conclusion:इस कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 300 से ज्यादा मनोरोग विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं. जिसमें वियतनाम, थाईलैंड, यूके समेत अन्य देशों के विशेषज्ञ भी शामिल है.
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पहली बाइट डॉ. वेणुगोपाल झावड, सीनियर मनोरोग विशेषज्ञ की।
दूसरी बाइट डॉ. राजेश नागपाल, सीनियर मनोरोग विशेषज्ञ की।

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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