नई दिल्ली: देश की अग्रणी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स 2018 में डब्ल्यूएफआई का मुख्य प्रायोजक बना था. इस करार के बाद ही बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट बोर्ड) द्वारा क्रिकेट खिलाड़ियों को दिए जाने वाले वार्षिक केंद्रीय अनुबंध की तरह डब्ल्यूएफआई ने देश के शीर्ष पहलवानों को वार्षिक अनुबंध देने की शुरुआत की थी. अब इस करार को 2024 पेरिस ओलंपिक तक आगे बढ़ा दिया गया.
हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलंपिक में रिकॉर्ड सात भारतीय पहलवानों ने क्वालीफाई किया था, जिसमें से रवि दहिया ने रजत जबकि बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीता. दीपक पूनिया मामूली अंतर से कांस्य पदक जीतने से चूक गए थे.
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नए करार का नाम 'मिशन 2024 पेरिस ओलंपिक-द गोल्ड क्वेस्ट' है, जिसके तहत जूनियर स्तर पर विकास के लिए 60 पहलवानों को छात्रवृत्ति दी जाएगी और कंपनी देश के 30 शीर्ष खिलाड़ियों को गोद लेगी. इसमें उनके अभ्यास का पूरे खर्च का वहन शामिल है. करार से खिलाड़ियों को विदेशी कोच रखने में मदद मिलेगी और वे विदेशों में अभ्यास भी कर सकेंगे.
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इस दौरान डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, इस करार के बाद महासंघ जमीनी स्तर के खिलाडियों को बेहतर सुविधा मुहैया कर सकेगा.
उन्होंने कहा, जब खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाते हैं तो सरकार से उन्हें पूरा समर्थन मिलता है. लेकिन जूनियर स्तर पर उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस करार के बाद हम जूनियर स्तर के खिलाड़ियों का बेहतर समर्थन कर पाएंगे. उन्होंने कहा, डब्ल्यूएफआई अब ऐसे राज्यों पर ध्यान देगा, जो इस खेल में अपेक्षाकृत कमजोर है.
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सिंह ने कहा, हमारा ध्यान अब ऐसे राज्यों पर है, जो इस खेल में दूसरे राज्य से कमजोर हैं. हम उन राज्यों में ज्यादा ध्यान देकर वहां के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने की कोशिश करेंगे.
इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सिंह और कंपनी के अधिकारियों के अलावा टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहलवानों में से बजरंग पूनिया, रवि दहिया, विनेश फोगाट, सोनम मलिक, अंशु मलिक और सीमा बिस्ला मौजूद रहे.
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को कुश्ती को 2032 ओलंपिक तक गोद लेने की घोषणा की थी.