जकार्ता: जोरदार वापसी करके अगले दौर के जिए क्वालीफाई करने वाली आत्मविश्वास से भरी भारतीय पुरुष हॉकी टीम शनिवार को एशिया कप के सुपर चार के अपने मैच में जापान से भिड़ेगी तो उसकी नजरें बेहतर प्रदर्शन करके इस टीम के खिलाफ ग्रुप चरण में मिली हार का बदला चुकता करने पर टिकी होंगी. अंतिम ग्रुप लीग मैच में इंडोनेशिया की कमजोर टीम का सामना करने के बावजूद सरदार सिंह के मार्गदर्शन में खेल रही युवा टीम की एक घंटे में 16 गोल दागने के लिए सराहना हो रही है.
भारत को पाकिस्तान को पछाड़कर सुपर चार में जगह बनाने के लिए 15-0 या इससे बेहतर अंतर से जीत दर्ज करने की जरूरत थी और टीम ऐसा करने में सफल रही. भारत और पाकिस्तान दोनों के पूल ए में चार अंक रहे लेकिन मौजूदा चैंपियन भारत ने बेहतर गोल अंतर के कारण अगले दौर में जगह बनाई. इस ग्रुप में जापान शीर्ष पर रहा.
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पहले दो मैच में हालांकि भारत का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा. मेजबान होने के नाते पहले ही अगले साल होने वाले विश्व कप में जगह बनाने के कारण भारत ने टूर्नामेंट में युवा खिलाड़ियों को उतारने का फैसला किया जिससे कि उन्हें अनुभव मिल सके. भारतीय टीम में 12 ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने इससे पहले सीनियर स्तर पर कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला.
भारत ने पहले मैच में पाकिस्तान से 1-1 से ड्रॉ खेला और फिर उसे जापान के खिलाफ 2-5 की हार का सामना करना पड़ा जिससे उस पर ग्रुप चरण से ही बाहर होने का खतरा मंडरा रहा था. भारत ने हालांकि जोरदार वापसी करते हुए इंडोनेशिया के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज की और अगले दौर में जगह बनाई. टीम को जापान से भी मदद मिली जिसने पाकिस्तान को अपने अंतिम ग्रुप मैच में 3-2 से हराया.
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भारतीय टीम सुपर चार चरण में अब बेहतर प्रदर्शन करना चाहेगी जहां जापान और उसके अलावा दक्षिण कोरिया और मलेशिया ने जगह बनाई है. ये सभी टीम एक दूसरे से एक बार भिड़ेंगी जिसके बाद शीर्ष दो टीम के बीच फाइनल होगा. भारत अब जापान से ग्रुप चरण में मिली हार का बदला लेना चाहेगा. टीम की राह हालांकि आसान नहीं होगी. जापान की टीम पलटवार करने में माहिर है और ग्रुप चरण में भारत के खिलाफ इसका नजारा पेश कर चुकी है.
पेनल्टी कॉर्नर पर अधिक गोल करने में नाकामी भारत की चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि टीम के पास रूपिंदरपाल सिंह और अमित रोहिदास जैसा ड्रैगफ्लिकर नहीं है. यहां तक कि इंडोनेशिया की कमजोर टीम के खिलाफ भी भारत 20 से अधिक पेनल्टी कॉर्नर में से आधों को भी गोल में नहीं बदल सका. भारत की रक्षापंक्ति को गति पर निर्भर जापान के खिलाड़ियों को रोकने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा. मिडफील्ड को भी गोल करने के अधिक मौके बनाने होंगे.
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इंडोनेशिया के खिलाफ पांच गोल करने वाले दिपसान टिर्की ने पेनल्टी कॉर्नर पर बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन कुल मिलाकर यह भारत का कमजोर पक्ष है क्योंकि टीम पिछले मैच में 22 पेनल्टी कॉर्नर पर नौ ही गोल कर सकी. युवा उत्तम सिंह को बेहतर फिनिशिंग करनी होगी। पवन राजभर भारत के लिए स्टार रहे हैं. उन्होंने अपनी गति की बदौलत ना सिर्फ मौके बनाए बल्कि गोल भी किए. अनुभवी एसवी सुनील ने पिछले मैच में दो गोल किए लेकिन ऐसा लगता है कि उन पर आयु का असर पड़ रहा है और उनकी गति कम हुई है.
भारत को हालांकि अगर जापान को हराना है तो दोनों टीम के बीच पहले मुकाबले की तुलना में अधिक अनुशासन के साथ खेलना होगा. सुपर चार चरण के एक अन्य मैच में दक्षिण कोरिया की टीम मलेशिया से भिड़ेगी.