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Global Investors Summit 2023 : सपनों को हकीकत में बदलने तक सरकार को करते रहना होगा प्रयास - Analysis of Alok Tripathi

यूपी में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 इस बार कई मायनों में अहम है. प्रदेश के बदले माहौल में निवेशक खूब भरोसा जता रहे हैं. यह योगी माॅडल का असर ही है कि बीते बर्षों में आयोजित की गईं इन्वेस्टर्स समिट के मुकाबले इस बार नतीजे अलग ही आएंगे. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : Feb 12, 2023, 11:49 AM IST

Updated : Feb 13, 2023, 8:14 AM IST

जानकारी देते राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

लखनऊ : प्रदेश की भाजपा सरकार ने राजधानी में तीन दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंक दी है. पूरा सरकारी तंत्र इसके प्रबंधन में लगा रहा. तमाम विभागों का बजट इसके प्रचार-प्रसार पर खर्च किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस आयोजन का शुभारंभ किया, तो वहीं गृह और रक्षा मंत्री समेत केंद्र और प्रदेश सरकार के तमाम बड़े मंत्री और नेता इस समिट का हिस्सा बने. इस समिट में देश ही नहीं दुनिया के कई देशों से निवेशकों ने भागीदारी भी की. पहले ही दिन देश के उद्योगपतियों ने राज्य में लाखों करोड़ के निवेश की घोषणाएं भी कीं. बड़ा सवाल यह है कि इस आयोजन को किस तरह देखा जाना चाहिए.


ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023

राज्य की पूर्ववर्ती सरकारें पहले भी इस तरह के आयोजन करती रही हैं. हालांकि उनकी सफलता पर सदा सवाल उठते रहे. उद्यमियों ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो कर दीं, पर उन्हें जमीन पर नहीं उतारा. संभव है कि उस समय उद्योगों के अनुकूल माहौल न रहा हो. शायद इसी कारण निवेशकों को अपने कदम खींचने पड़े. पिछले छह साल के कार्यकाल में प्रदेश की भाजपा सरकार ने कुछ मोर्चों पर जिस तरह से काम किया है, उससे देश और दुनिया में प्रदेश की छवि ही नहीं बदली, बल्कि निवेशकों का विश्वास जीतने का काम किया है. कानून व्यवस्था को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की देशभर में चर्चा हुई और कई राज्यों ने 'योगी मॉडल' अपनाने की घोषणा की.

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023

राजमार्गों और एक्सप्रेस वे का तेजी से निर्माण हुआ और प्रदेशभर में कनेक्टिविटी बेहतर हुई. हवाई अड्डों का निर्माण हुआ. इसके साथ-साथ उद्योगों के लिए जरूरी बिजली का भी जरूरी प्रबंध किया गया. शायद इसी कारण इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट निवेशकों का रुझान पहले से ज्यादा दिखाई दिए, निश्चित रूप से यह प्रदेश सरकार के लिए एक खुशी का विषय जरूर है. अतीत बताता है कि इस उत्साहजनक शुरुआत के बावजूद सरकार को अभी काफी प्रयास करने की जरूरत है. पिछले अनुभवों से सरकार को सबक लेना चाहिए. क्योंकि अतीत में कई बार ऐसा हुआ है कि वादे धरातल पर नहीं उतरे. स्वाभाविक है कि प्रदेश का कल्याण तभी होगा, जब वादे धरातल पर उतरेंगे और प्रदेश विकास की राह पर चल पड़ेगा.

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023



इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने जब पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब उन्होंने तय किया था कि प्रदेश में केवल यह अनुभव न हो कि केवल सरकार बदली है, बल्कि यह अनुभव होना चाहिए कि व्यवस्था में भी बदलाव आया है. इस दिशा में उन्होंने शुरुआती दौर में ही काम शुरू कर दिया था. व्यवस्था में बदलाव भी दिखने लगा है. उन्होंने पहली बार वर्ष 2017 में पहली बार इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था. हालांकि मैं मानता हूं कि केवल समिट आयोजित कर लेना ही काफी नहीं होता. पिछली सरकारों ने भी समिट का आयोजन किया था, लेकिन निवेश के लिए एक बेहतर व्यवस्था का होना बहुत जरूरी है. उस व्यवस्था के कई पहलू और बिंदु होते हैं. पहली शर्त है सुदृढ़ कानून व्यवस्था यानी उद्योगपतियों को सुरक्षा का वातावरण मिलना चाहिए. इसके बाद ईज ऑफ डूइंग बिजनेस होना चाहिए. बिजली की उपलब्धता होनी चाहिए. जमीन की भी उपलब्धता होनी चाहिए.

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023



डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत ही सफलता के साथ उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने का काम किया है. उनकी पहली प्राथमिकता कानून व्यवस्था ठीक करने की थी, जिसमें वह सफल रहे. योगी ने सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया, जिसका लाभ उद्योगों को मिला. इस समिट से दो करोड़ रोजगार सृजित होने का अनुमान है. पहले कानून व्यवस्था ठीक न होने के कारण पहले यहां उद्योग नहीं आते थे. जो पिछली समिट हुई थीं, उसमें आए हजारों करोड़ के प्रस्तावों का शिलान्यास भी हो चुका है. काम भी चल रहे हैं. यह एक सकारात्मक पहलू है. जैसे-जैसे प्रदेश में उद्योग बढ़ेंगे, उसी क्रम में रोजगार भी बढ़ेंगे और प्रदेश में खुशहाली आएगी.


यह भी पढ़ें : Delhi Mumbai Expressway : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के पहले खंड का रविवार को उद्घाटन करेंगे मोदी

जानकारी देते राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

लखनऊ : प्रदेश की भाजपा सरकार ने राजधानी में तीन दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंक दी है. पूरा सरकारी तंत्र इसके प्रबंधन में लगा रहा. तमाम विभागों का बजट इसके प्रचार-प्रसार पर खर्च किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस आयोजन का शुभारंभ किया, तो वहीं गृह और रक्षा मंत्री समेत केंद्र और प्रदेश सरकार के तमाम बड़े मंत्री और नेता इस समिट का हिस्सा बने. इस समिट में देश ही नहीं दुनिया के कई देशों से निवेशकों ने भागीदारी भी की. पहले ही दिन देश के उद्योगपतियों ने राज्य में लाखों करोड़ के निवेश की घोषणाएं भी कीं. बड़ा सवाल यह है कि इस आयोजन को किस तरह देखा जाना चाहिए.


ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023

राज्य की पूर्ववर्ती सरकारें पहले भी इस तरह के आयोजन करती रही हैं. हालांकि उनकी सफलता पर सदा सवाल उठते रहे. उद्यमियों ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो कर दीं, पर उन्हें जमीन पर नहीं उतारा. संभव है कि उस समय उद्योगों के अनुकूल माहौल न रहा हो. शायद इसी कारण निवेशकों को अपने कदम खींचने पड़े. पिछले छह साल के कार्यकाल में प्रदेश की भाजपा सरकार ने कुछ मोर्चों पर जिस तरह से काम किया है, उससे देश और दुनिया में प्रदेश की छवि ही नहीं बदली, बल्कि निवेशकों का विश्वास जीतने का काम किया है. कानून व्यवस्था को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की देशभर में चर्चा हुई और कई राज्यों ने 'योगी मॉडल' अपनाने की घोषणा की.

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023

राजमार्गों और एक्सप्रेस वे का तेजी से निर्माण हुआ और प्रदेशभर में कनेक्टिविटी बेहतर हुई. हवाई अड्डों का निर्माण हुआ. इसके साथ-साथ उद्योगों के लिए जरूरी बिजली का भी जरूरी प्रबंध किया गया. शायद इसी कारण इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट निवेशकों का रुझान पहले से ज्यादा दिखाई दिए, निश्चित रूप से यह प्रदेश सरकार के लिए एक खुशी का विषय जरूर है. अतीत बताता है कि इस उत्साहजनक शुरुआत के बावजूद सरकार को अभी काफी प्रयास करने की जरूरत है. पिछले अनुभवों से सरकार को सबक लेना चाहिए. क्योंकि अतीत में कई बार ऐसा हुआ है कि वादे धरातल पर नहीं उतरे. स्वाभाविक है कि प्रदेश का कल्याण तभी होगा, जब वादे धरातल पर उतरेंगे और प्रदेश विकास की राह पर चल पड़ेगा.

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023



इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने जब पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब उन्होंने तय किया था कि प्रदेश में केवल यह अनुभव न हो कि केवल सरकार बदली है, बल्कि यह अनुभव होना चाहिए कि व्यवस्था में भी बदलाव आया है. इस दिशा में उन्होंने शुरुआती दौर में ही काम शुरू कर दिया था. व्यवस्था में बदलाव भी दिखने लगा है. उन्होंने पहली बार वर्ष 2017 में पहली बार इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था. हालांकि मैं मानता हूं कि केवल समिट आयोजित कर लेना ही काफी नहीं होता. पिछली सरकारों ने भी समिट का आयोजन किया था, लेकिन निवेश के लिए एक बेहतर व्यवस्था का होना बहुत जरूरी है. उस व्यवस्था के कई पहलू और बिंदु होते हैं. पहली शर्त है सुदृढ़ कानून व्यवस्था यानी उद्योगपतियों को सुरक्षा का वातावरण मिलना चाहिए. इसके बाद ईज ऑफ डूइंग बिजनेस होना चाहिए. बिजली की उपलब्धता होनी चाहिए. जमीन की भी उपलब्धता होनी चाहिए.

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023



डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहुत ही सफलता के साथ उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाने का काम किया है. उनकी पहली प्राथमिकता कानून व्यवस्था ठीक करने की थी, जिसमें वह सफल रहे. योगी ने सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया, जिसका लाभ उद्योगों को मिला. इस समिट से दो करोड़ रोजगार सृजित होने का अनुमान है. पहले कानून व्यवस्था ठीक न होने के कारण पहले यहां उद्योग नहीं आते थे. जो पिछली समिट हुई थीं, उसमें आए हजारों करोड़ के प्रस्तावों का शिलान्यास भी हो चुका है. काम भी चल रहे हैं. यह एक सकारात्मक पहलू है. जैसे-जैसे प्रदेश में उद्योग बढ़ेंगे, उसी क्रम में रोजगार भी बढ़ेंगे और प्रदेश में खुशहाली आएगी.


यह भी पढ़ें : Delhi Mumbai Expressway : दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के पहले खंड का रविवार को उद्घाटन करेंगे मोदी

Last Updated : Feb 13, 2023, 8:14 AM IST
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