बीजिंग : चीन ने कहा है कि वॉशिंगटन का यह आरोप कि उसने कोरोना वायरस की उत्पति के बारे में अंतरराष्ट्रीय जांच को रोका और सूचना साझा नहीं की,उसका उद्देश्य घातक वायरस की उत्पति के मुद्दे का राजनीतिकरण करना और उसे कलंकित करना था.
अमेरिकी खुफिया समुदाय की रिपोर्ट में कोविड-19 की उत्पति का पता नहीं चल सका है.अमेरिकी खुफिया समुदाय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 की उत्पति का कारण बने सार्स-कोव-2 वायरस का विकास जैविक हथियार के तौर पर नहीं किया गया.
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वायरस की उत्पति के बारे में पारदर्शिता बरतने में चीन इंकार कर रहा है और सूचनाओं को वह छिपा रहा है.रिपोर्ट आने के बाद बाइडेन ने कहा कि इस महामारी की उत्पति के बारे में महत्वपूर्ण सूचना चीन में मौजूद है.फिर भी शुरू से ही चीन के सरकारी अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं और वैश्विक जन स्वास्थ्य समुदाय के सदस्यों को इसकी पहुंच से दूर रखा है.
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अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया विभाग के निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 ने शुरुआत में छोटे पैमाने पर मनुष्यों को संक्रमित किया और कोविड-19 के पहले मामले के बारे में चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में पता चला.
बहरहाल, कोरोना वायरस की उत्पति के बारे में खुफिया समुदाय(आईसी) में एकराय नहीं है और यह वायरस चीन की प्रयोगशाला से निकला या प्राकृतिक रूप से, इसे लेकर भी खुफिया समुदाय की राय बंटी हई है.
रिपोर्ट में इस बात के लिए चीन की आलोचना की गई है कि वह महत्वपूर्ण सूचनाएं नहीं दे रहा है और जांच को रोक रहा है लेकिन रिपोर्ट को यहां चीन के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि इसमें बीजिंग को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है और यह डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों की जांच की तरह ही है.वॉशिंगटन में रिपोर्ट जारी होने के तुरंत बाद चीन ने कहा, अमेरिकी खुफिया समुदाय ने रिपोर्ट में धोखाधड़ी की जो वैज्ञानिक रूप से ठोस नहीं है.
(पीटीआई-भाषा)