नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकी सेना ने पूरी तरह से देश छोड़ दिया है. बता दें, तालिबान ने अमेरिका को 31 अगस्त तक मोहलत दी थी. वहींं, अमेरिकी सेना ने एक दिन पहले ही अफगानिस्तान को छोड़ दिया है.
इसी सिलसिले में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश के नाम संबोधन में कहा कि हमारा मिशन सफल रहा. बाइडेन ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में 20 साल तक शांति बनाए रखी.
देश को संबोधित करते हुए जो बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को समाप्त करने का निर्णय क्षेत्र में नागरिक, सैन्य सलाहकारों, सेवा प्रमुखों और कमांडरों की सर्वसम्मत सिफारिश पर आधारित था. शेष अमेरिकियों के सुरक्षित मार्ग के लिए उनकी सिफारिश जारी नहीं रखने की थी.
बाइडेन ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में 20 साल तक शांति बनाए रखी. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमने जो कार्य किया है वह कोई और नहीं कर सकता था. हमने तालिबान की मौजूदगी के बावजूद जो लोग निकलना चाहते थे, उनको वहां से निकाला. हमने एक लाख लोगों को निकाला. इस दौरान काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा भी सुनिश्चित की. तालिबान को सीजफायर पर मजबूर किया. उन्होंने दावा किया कि हमने वहां से 1.25 लाख से अधिक लोगों को वहां से निकाला.
बाइडेन ने कहा कि हम अफगान गठबंधन के साथ मिलकर काम करना चाहेंगे. अब तालिबान के पास अफगानिस्तान की सत्ता है. वहां अब हजारों लोगों को नहीं भेजा जा सकता. अफगानिस्तान की जमीन का हमारे या किसी और देश के खिलाफ आतंकियों के लिए जमीन का इस्तेमाल न किया जाए. हम दुनिया को सुरक्षित रखना चाहते हैं. सोमालिया और अन्य देशों की स्थिति आपने देखी है. उन्होंने अफगानिस्तान से निकलने को रणनीति का हिस्सा बताया और कहा कि अमेरिकी सैन्य टुकड़ी के बिना वे अपने आपको मजबूत बनाने में कैसे सक्षम होंगे, ये आने वाला समय बताएगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हम ऐसा कह सकते हैं कि अभी हमारा काम पूरा नहीं हुआ है. दो दशक पहले की परिस्थितियों में हमने जो उचित समझा वो निर्णय लिया था. हम चीन से प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं. चीन और रूस हमारे साथ प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ रहे हैं. हमारा मिशन स्पष्ट होना चाहिए और मूल सिद्धांत अमेरिका के हित के आधार पर होना चाहिए. बाइडेन ने साथ ही ये भी कहा कि हम अफगानी लोगों की हमेशा मदद करते रहेंगे. महिलाओं के लिए, बच्चों के लिए हम पूरी दुनिया में उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने को तैयार हैं लेकिन यह हिंसा पर आधारित नहीं होगा. हम कूटनीतिक तरीके से मानवाधिकार सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे.
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जो बाइडेन ने कहा कि हमने दो दशक तक अफगानिस्तान में बड़ी रकम खर्च की है. हम इस रकम का अपने देश में विकास कार्यों में इस्तेमाल कर सकते थे. हमने इसका परिणाम भुगता है. हमने बहुत संघर्ष किया है, कई तरह की परेशानियां भुगती हैं. निश्चित रूप से उनका कष्ट, उनकी परेशानी पीड़ादायक है. उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि अमेरिका में हर दिन सैकड़ों लोग आत्महत्या कर रहे होते हैं, हमें उनके बारे में भी सोचना है. 20 साल लंबी लड़ाई हमारे लिए मुश्किल थी. भविष्य ज्यादा सुरक्षित हो, हमें इस दिशा में भी प्रयास करने हैं. अमेरिका का मिशन खत्म हो चुका है.