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एंटी टेररिज्म डे : पूर्व DGP बृजलाल ने कहा- बुलेट फॉर बुलेट का सिद्धांत ही आतंकवाद का तोड़

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनकी 28वीं पुण्यतिथि पर सभी श्रद्धांजलि दे रहे हैं. 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के बाद ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

राजीव गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री.
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Published : May 21, 2019, 1:31 PM IST

Updated : May 21, 2019, 2:20 PM IST

लखनऊ : हर साल 21 मई को पूरे देश में आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या आतंकवाद की ही देन थी, लिहाजा उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर देशवासी 'एंटी टेररिज्म डे' मनाते हैं. आजादी के बाद से लेकर अब तक भारत आतंकवाद का दंश झेल रहा है. देश में तमाम ऐसी आतंकी घटनाएं हुईं, जिन्होंने लोगों को झकझोर कर रख दिया.

21 मई को क्यों मनाते हैं 'एंटी टेररिज्म डे'
21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के बाद ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया. इस दिन हर सरकारी कार्यालयों, सरकारी उपक्रमों और अन्य सरकारी संस्थानों में आतंकवाद विरोधी शपथ दिलाई जाती है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पूर्व डीजीपी बृजलाल.

राजीव गांधी की हत्या

चौधरी चरण सिंह के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे. वह तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक रैली को संबोधित करने गए थे. उसी दौरान एक महिला उनके सामने आई. महिला का संबंध आतंकवादी संगठन एलटीटीई से था. उसके कपड़ों के नीचे विस्फोटक छिपा था. वह जैसे ही राजीव गांधी का पैर छूने के लिए झुकी तभी तेज धमाका हुआ. उस धमाके में राजीव गांधी समेत करीब 25 लोगों की मौत हो गई थी.

आतंकवाद का दंश झेल रहा भारत

आजादी के बाद से लेकर अब तक भारत आतंकवाद का दंश झेल रहा है. देश में तमाम ऐसी आतंकी घटनाएं हुईं, जिन्होंने लोगों को झकझोर कर रख दिया. देश के उन्नति की रफ्तार को धीमा करने में आतंकवाद कई बार कामयाब रहा, लिहाजा आतंकवाद की लड़ाई के लिए तमाम एजेंसियों का निर्माण किया गया जो आतंकवाद और आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं. वर्तमान स्थिति पर बात करें तो देश में आतंकवाद से लड़ने वाली एजेंसियों का सूचना तंत्र मजबूत हुआ है. मजबूत सूचना तंत्र की ही देन है कि पिछले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश में कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं हुई हैं. इसका श्रेय हमारी एजेंसियों और एजेंसी के सूचना तंत्र को जाता है.

बुलेट फॉर बुलेट सिद्धांत से होगा आतंकवाद का इलाज

खालिस्तान में आतंकी घटनाओं के दौरान आतंकवादियों से संघर्ष करने वाले यूपी के पूर्व डीजीपी और एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने बताया कि आतंकवाद का इलाज सिर्फ बुलेट फॉर बुलेट सिद्धांत पर निर्भर करता है. कई बार अंतरराष्ट्रीय और राजनीतिक दबाव के चलते आतंकवादियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं हो पाती है. ऐसे में उनका मनोबल बढ़ता चला जाता है. हमें आतंकवादियों के मनोबल को तोड़ने के लिए काम करना चाहिए. अगर आतंकवादियों तक यह संदेश पहुंच जाएगा कि अगर हमने किसी घटना को अंजाम दिया और मासूमों को अपनी गोली का निशाना बनाया तो हमारी छाती पर वार होगा. जब तक यह संदेश देने में हम कामयाब नहीं होते आतंकवाद पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकती है.

सूचना तंत्र निभाता है महत्वपूर्ण रोल

एटीएस लखनऊ से जुड़े एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सूचना तंत्र और टेक्नोलॉजी काफी कारगर साबित हो रही है. पहले हमारे पास टेक्नोलॉजी की कमी हुआ करती थी, लेकिन अब हाईटेक टेक्नोलॉजी खुफिया तंत्र हमारे काम को काफी हद तक आसान कर देता है. इसी का नतीजा है कि पिछले दिनों में कई आतंकियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल हुई है.

ऑपरेशन ब्लू स्टार ने आतंकवाद को दिया मुहंतोड़ जवाब

आतंकवाद के इतिहास की बात करें तो भारत की आजादी के बाद खालिस्तान मूवमेंट को लेकर देश ने आतंकी हमले को झेला. 1980 के दशक में खालिस्तान की मांग को लेकर देश में कई आतंकी हमले हुए. 1980 के दशक में सिख नेता खालिस्तान की मांग कर रहे थे, जिसको लेकर देश को आतंकवाद का सामना करना पड़ा. आतंकवाद से निपटने के लिए तात्कालिक सरकार को ऑपरेशन ब्लू-स्टार कर आतंकवाद पर लगाम लगानी पड़ी. आतंकियों के खिलाफ इस कार्रवाई में तमाम सिख नेता और मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

खालिस्तान की मांग को लेकर पंजाब में हुए आतंकी हमलों के बाद 80 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ने लगीं. अलगाववादी नेता और पाकिस्तान के सहयोग से पाक अधिकृत कश्मीर में तमाम आतंकी हमले किए गए. इन आतंकी हमलों में तमाम अलगाववादी नेता और पाकिस्तान के आतंकी संगठ सक्रिय रहे. कश्मीर में आतंकवाद के साथ-साथ 2001 में देश की संसद में बड़ा आतंकी हमला किया गया. संसद पर हमले के बाद मुंबई में आतंकी हमला किया गया, जिसको आज तक देश भूल नहीं सका है.

इन आतंकी घटनाओं को नहीं भूल सका देश

देश में बड़े आतंकी हमलों की बात करें तो 2019 में पुलवामा हमला झकझोरने वाला था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 से अधिक जवान शहीद हो गए थे. 2016 में उरी हमला हुआ, जिसमें कई जवान शहीद हो गए थे. 2008 में मुंबई में आतंकी हमला हुआ, 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में हमला हुआ, 2001 में संसद पर हमला हुआ. इन सभी आतंकी घटनाओं को देश आज भी भूल नहीं सका है.

कौन-कौन से आतंकवादी संगठन हैं देश में सक्रिय

देश में सक्रिय आतंकवादी संगठनों में इंडियन मुजाहिद्दीन, हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया, जैश-ए-मोहम्मद, जमीअतहुल मुजाहिद्दीन जैसे संगठन हैं. आतंकवाद की लड़ाई सक्रिय एजेंसी देश को आतंकी गतिविधियां से बचाने व आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एंटी टेररिज्म स्क्वाड, एटीएस, काउंटर टेररिज्म, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए), नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड, सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी) जैसी एजेंसी आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए काम कर रही हैं.

लखनऊ : हर साल 21 मई को पूरे देश में आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या आतंकवाद की ही देन थी, लिहाजा उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर देशवासी 'एंटी टेररिज्म डे' मनाते हैं. आजादी के बाद से लेकर अब तक भारत आतंकवाद का दंश झेल रहा है. देश में तमाम ऐसी आतंकी घटनाएं हुईं, जिन्होंने लोगों को झकझोर कर रख दिया.

21 मई को क्यों मनाते हैं 'एंटी टेररिज्म डे'
21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के बाद ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया गया. इस दिन हर सरकारी कार्यालयों, सरकारी उपक्रमों और अन्य सरकारी संस्थानों में आतंकवाद विरोधी शपथ दिलाई जाती है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पूर्व डीजीपी बृजलाल.

राजीव गांधी की हत्या

चौधरी चरण सिंह के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे. वह तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक रैली को संबोधित करने गए थे. उसी दौरान एक महिला उनके सामने आई. महिला का संबंध आतंकवादी संगठन एलटीटीई से था. उसके कपड़ों के नीचे विस्फोटक छिपा था. वह जैसे ही राजीव गांधी का पैर छूने के लिए झुकी तभी तेज धमाका हुआ. उस धमाके में राजीव गांधी समेत करीब 25 लोगों की मौत हो गई थी.

आतंकवाद का दंश झेल रहा भारत

आजादी के बाद से लेकर अब तक भारत आतंकवाद का दंश झेल रहा है. देश में तमाम ऐसी आतंकी घटनाएं हुईं, जिन्होंने लोगों को झकझोर कर रख दिया. देश के उन्नति की रफ्तार को धीमा करने में आतंकवाद कई बार कामयाब रहा, लिहाजा आतंकवाद की लड़ाई के लिए तमाम एजेंसियों का निर्माण किया गया जो आतंकवाद और आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं. वर्तमान स्थिति पर बात करें तो देश में आतंकवाद से लड़ने वाली एजेंसियों का सूचना तंत्र मजबूत हुआ है. मजबूत सूचना तंत्र की ही देन है कि पिछले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश में कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं हुई हैं. इसका श्रेय हमारी एजेंसियों और एजेंसी के सूचना तंत्र को जाता है.

बुलेट फॉर बुलेट सिद्धांत से होगा आतंकवाद का इलाज

खालिस्तान में आतंकी घटनाओं के दौरान आतंकवादियों से संघर्ष करने वाले यूपी के पूर्व डीजीपी और एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने बताया कि आतंकवाद का इलाज सिर्फ बुलेट फॉर बुलेट सिद्धांत पर निर्भर करता है. कई बार अंतरराष्ट्रीय और राजनीतिक दबाव के चलते आतंकवादियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं हो पाती है. ऐसे में उनका मनोबल बढ़ता चला जाता है. हमें आतंकवादियों के मनोबल को तोड़ने के लिए काम करना चाहिए. अगर आतंकवादियों तक यह संदेश पहुंच जाएगा कि अगर हमने किसी घटना को अंजाम दिया और मासूमों को अपनी गोली का निशाना बनाया तो हमारी छाती पर वार होगा. जब तक यह संदेश देने में हम कामयाब नहीं होते आतंकवाद पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकती है.

सूचना तंत्र निभाता है महत्वपूर्ण रोल

एटीएस लखनऊ से जुड़े एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सूचना तंत्र और टेक्नोलॉजी काफी कारगर साबित हो रही है. पहले हमारे पास टेक्नोलॉजी की कमी हुआ करती थी, लेकिन अब हाईटेक टेक्नोलॉजी खुफिया तंत्र हमारे काम को काफी हद तक आसान कर देता है. इसी का नतीजा है कि पिछले दिनों में कई आतंकियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल हुई है.

ऑपरेशन ब्लू स्टार ने आतंकवाद को दिया मुहंतोड़ जवाब

आतंकवाद के इतिहास की बात करें तो भारत की आजादी के बाद खालिस्तान मूवमेंट को लेकर देश ने आतंकी हमले को झेला. 1980 के दशक में खालिस्तान की मांग को लेकर देश में कई आतंकी हमले हुए. 1980 के दशक में सिख नेता खालिस्तान की मांग कर रहे थे, जिसको लेकर देश को आतंकवाद का सामना करना पड़ा. आतंकवाद से निपटने के लिए तात्कालिक सरकार को ऑपरेशन ब्लू-स्टार कर आतंकवाद पर लगाम लगानी पड़ी. आतंकियों के खिलाफ इस कार्रवाई में तमाम सिख नेता और मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

खालिस्तान की मांग को लेकर पंजाब में हुए आतंकी हमलों के बाद 80 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ने लगीं. अलगाववादी नेता और पाकिस्तान के सहयोग से पाक अधिकृत कश्मीर में तमाम आतंकी हमले किए गए. इन आतंकी हमलों में तमाम अलगाववादी नेता और पाकिस्तान के आतंकी संगठ सक्रिय रहे. कश्मीर में आतंकवाद के साथ-साथ 2001 में देश की संसद में बड़ा आतंकी हमला किया गया. संसद पर हमले के बाद मुंबई में आतंकी हमला किया गया, जिसको आज तक देश भूल नहीं सका है.

इन आतंकी घटनाओं को नहीं भूल सका देश

देश में बड़े आतंकी हमलों की बात करें तो 2019 में पुलवामा हमला झकझोरने वाला था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 से अधिक जवान शहीद हो गए थे. 2016 में उरी हमला हुआ, जिसमें कई जवान शहीद हो गए थे. 2008 में मुंबई में आतंकी हमला हुआ, 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में हमला हुआ, 2001 में संसद पर हमला हुआ. इन सभी आतंकी घटनाओं को देश आज भी भूल नहीं सका है.

कौन-कौन से आतंकवादी संगठन हैं देश में सक्रिय

देश में सक्रिय आतंकवादी संगठनों में इंडियन मुजाहिद्दीन, हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया, जैश-ए-मोहम्मद, जमीअतहुल मुजाहिद्दीन जैसे संगठन हैं. आतंकवाद की लड़ाई सक्रिय एजेंसी देश को आतंकी गतिविधियां से बचाने व आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एंटी टेररिज्म स्क्वाड, एटीएस, काउंटर टेररिज्म, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए), नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड, सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी) जैसी एजेंसी आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए काम कर रही हैं.

Intro:एंकर लखनऊ। आजादी के बाद से ही भारत को आतंकवाद का सामना करना पड़ा है। आजादी के बाद से अब तक देश में तमाम आतंकी घटनाएं हुई हैं जिन्होंने देश को झकझोर। देश की उन्नति की रफ्तार को धीमा करने में आतंकवाद कई बार कामयाब रहा लिहाजा आतंकवाद की लड़ाई के लिए तमाम एजेंसियों का निर्माण किया गया जो आतंकवाद व आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं। वर्तमान स्थिति पर बात करें तो देश की आतंकवाद से लड़ने वाली एजेंसियों का सूचना तंत्र मजबूत हुआ है मजबूत सूचना तंत्र की ही देन है कि पिछले 5 वर्षों में उत्तर प्रदेश में कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं हुई है इसका श्रेय हमारी एजेंसियों वा एजेंसी के सूचना तंत्र को जाता है।


Body:वियो 1 पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या आतंकवाद की देन थी लिहाजा उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर हम एंटी टेररिज्म डे मनाते हैं खालिस्तान में आतंकी घटनाओं के दौरान आतंकवादियों से संघर्ष करने वाले पूर्व आईपीएस ऑफिसर एससी एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने बताया कि आतंकवाद का इलाज सिर्फ बुलेट फॉर बुलेट सिद्धांत पर निर्भर करता है कई बार अंतरराष्ट्रीय व राजनीतिक दबाव के चलते आतंकवादियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही या नहीं हो पाती हैं ऐसे में उनका मनोबल बढ़ता हमें आतंकवादियों के मनोबल को तोड़ने के लिए काम करना चाहिए अगर आतंकवादियों तक या संदेश पहुंच जाएगा कि अगर हमने किसी घटना को अंजाम दिया और मासूमों को अपनी गोली का निशाना बनाया तो हमारी छाती पर वार होगा। जब तक यह मैसेज देने में हम कामयाब नहीं होते आतंकवाद पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकती है। वियो 2 एटीएस लखनऊ से जुड़े एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सूचना तंत्र व टेक्नोलॉजी काफी कारगर साबित हो रही है पहले हमारे पास टेक्नोलॉजी की कमी हुआ करती थी लेकिन अब हाईटेक टेक्नोलॉजी खुफिया तंत्र हमारे काम को काफी हद तक आसान कर देता है। इसी का नतीजा है कि पिछले दिनों में कई आतंकियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल हुई है। वियो 3 आजादी के बाद से ही भारत को आतंकवाद का दंश झेलना पड़ा है आतंकवाद की इतिहास की बात करें तो भारत की आजादी के बाद खालिस्तान मूवमेंट को लेकर देश ने आतंकी हमले को झेला। 1980 के दशक में खालिस्तान की मांग को लेकर देश में कई आतंकी हमले हुए। 1980 के दशक में सिख नेता खालिस्तान की मांग कर रहे थे जिसको लेकर देश को आतंकवाद का सामना करना पड़ा। आतंकवाद से निपटने के लिए तात्कालिक सरकार को ब्लू स्टार ऑपरेशन कर आतंकवाद पर लगाम लगानी पड़ी। आतंकी हमले आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही में तमाम सिख नेता और मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। खालिस्तान की मांग को लेकर पंजाब में हुए आतंकी हमलों के बाद 80 के दशक में जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ी अलगाववादी नेता व पाकिस्तान के सहयोग से पाक अधिकृत कश्मीर में तमाम आतंकी हमले किए गए। इन आतंकी हमलों में तमाम अलगाववादी नेता व पाकिस्तान के आतंकी संगठ सक्रिय रहे। कश्मीर में आतंकवाद के साथ साथ 2001 में देश की संसद में बड़ा आतंकी हमला किया गया। संसद पर हमले के बाद मुंबई में आतंकी अटैक किया गया जिसको आज तक देश भूल नहीं सका है। बड़े आतंकी हमले देश में हुए बड़े आतंकी हमलों की बात करें तो 2019 में पुलवामा अटैक देश में बड़ा आतंकी हमला है। 2016 में उरी अटैक हुआ जिसमें हमारे कई जवान शहीद हुए, 2008 में मुंबई अटैक, 2006 में मुंबई ट्रेन मुंबई अटैक, 2001 का संसद अटैक इन सभी आतंकी घटनाओं को देश आज भी भूल नहीं सका है। देश में सक्रिय आतंकवादी संगठन देश में इंडियन मुजाहिद्दीन, हिज्बुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा, इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया, जैस ए मोहम्मद, जमीअतहुल मुजाहिद्दीन जैसे संगठन सक्रिय हैं आतंकवाद की लड़ाई सक्रिय एजेंसी देश को आतंकी गतिविधियां से बचाने व आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए एंटी टेररिज्म स्क्वाड, एटीएस, काउंटर टेररिज्म, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी, एनआईए नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड, सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स, सीआरपीएफ, इंटेलिजेंस ब्यूरो, आईबी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स, एनएसजी जैसी एजेंसी आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए काम कर रही हैं।


Conclusion:बाइट पूर्व आईपीएस व एससी एसटी आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने टीवी से बातचीत में बताया कि आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए बुलेट फॉर बुलेट के सिद्धांत को लागू करना होगा। अगर हम आतंकवादियों को मैसेज देने में कामयाब होते हैं कि अगर उन्होंने किसी भी मासूम की जान ली तो उन्हें भी बख्शा नहीं जाएगा तभी हम आतंकवाद में पूरी तरीके से लगाम लगाने में कामयाब हो पाएंगे। संवाददाता प्रशांत मिश्रा 90 2639 25 26
Last Updated : May 21, 2019, 2:20 PM IST
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