वाराणसी : ज्ञानवापी प्रकरण में 3 दिन का सर्वे पूरा हो चुका है. इस सर्वे में मस्जिद व मंदिर के तथ्यों की सच्चाई को परखा गया है. सभी को अब सर्वे रिपोर्ट का इंतज़ार है क्योंकि सर्वे में तरह-तरह के तथ्य दोनों पक्षों द्वारा पेश किए गए हैं. ऐसे में ईटीवी भारत आज आपको उस एक्सक्लूसिव तस्वीर से रूबरू कराने जा रहा है जो ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में बेहद ख़ास है.यह तस्वीर श्रृंगार गौरी के विग्रह की है. आप हैरान हो रहे होंगे कि यह कैसे हो सकता है. श्रृंगार गौरी तो ज्ञानवापी मस्जिद में विराजमान है. जी बिल्कुल, श्रृंगार गौरी का सिद्ध पीठ ज्ञानवापी मस्जिद में है, लेकिन ऐसा दावा किया जा रहा है कि उनका विग्रह आदि विश्वेश्वर मंदिर परिसर में विराजमान है. कैसे? देखें इस रिपोर्ट में.
आदि विशेश्वरनाथ मंदिर में विराजमान है मां श्रृंगार गौरी का विग्रह : वाराणसी सिविल कोर्ट में चल रहे राखी सिंह बनाम राज्य सरकार के केस में मसला श्रृंगार गौरी के सिद्धपीठ का है. यहां 5 महिलाओं ने अदालत में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन करने के लिए अगस्त 2021 में याचिका डाली थी जिस पर सुनवाई करते हुए सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने श्रृंगार गौरी व अन्य ग्रहों की स्थिति को जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर मस्जिद का सर्वे कराने का निर्देश दिया था.
सर्वे का काम पूरा हो चुका है लेकिन अभी कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट कमिश्नर ने 2 दिन का वक्त मांगा है. ऐसे में ईटीवी भारत आपको श्रृंगार गौरी के उस विग्रह को दिखाने जा रहा है. इसे लेकर दावा किया जा रहा है कि यह वही विग्रह हैं जो ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मंदिर में विराजमान था. इसे औरंगजेब ने तोड़ दिया था. अभी वर्तमान में यह विग्रह वाराणसी के बांस फाटक स्थित सत्यनारायण मंदिर परिसर के आदि विशेश्वर मंदिर के सम्मुख विराजमान है जहां मां श्रृंगार गौरी व सौभाग्य गौरी की प्रतिमा स्थापित है.
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राजा जयसिंह ने स्थापित कराया था विग्रह : इसको लेकर मंदिर के पुजारी पंडित सिद्धार्थ दवे ने बताया कि काशी विश्वेश्वर मंदिर यानी कि विश्वनाथ मंदिर को जब तोड़ा गया तो उसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद बना और राजा जयसिंह द्वितीय ने औरंगजेब से फरियाद करके मां श्रृंगार गौरी गोरी के विग्रह व आदि विशेश्वर के शक्ति को यहां पर स्थापित किया है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में आदि विशेश्वर की शक्ति यानी कि उनका अरघा और मां के विग्रह को उनके सम्मुख स्थापित किया गया है.
1669 के बाद इस मंदिर को स्थापित किया गया था क्योंकि 1669 में जब औरंगजेब ने श्रृंगार गौरी मंदिर को तोड़कर उसे मस्जिद के रूप में स्थापित किया तो उसमें तोड़ने वाली टीम में राजा जय सिंह द्वितीय भी मौजूद थे. 1669 में जब यह मंदिर टूटा तो उस दौरान श्रृंगार गौरी के विग्रह और आदि विशेश्वर के शक्ति को औरंगजेब लेकर जा रहा था. उन्होंने बताया कि ऐसा दावा किया जाता हैं कि मंदिर विध्वंस के बाद राजा जय सिंह को जब अपने अपराध का बोध हुआ तो उन्होंने औरंगजेब से मां श्रृंगार गौरी के विग्रह व आदि विशेश्वर के शक्ति को यहां पर स्थापित किया जहां आज भी इनकी आराधना पूजा की जाती है.
सैकड़ों वर्ष पुराना है विग्रह : स्थानीय लोगों ने बताया कि कई पुस्तकों में भी इस बात का जिक्र है व यह दावा किया गया है कि राजा जय सिंह ने ही अपराध बोध के कारण उस मंदिर को स्थापित कराया है. काशी में विग्रह के साथ-साथ सिद्ध पीठ का भी अत्यधिक महत्व है. मां श्रृंगार गौरी का सिद्ध पीठ ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में है. इसी को लेकर के हमारी लड़ाई चल रही है जो कि जायज है. उन्होंने कहा कि माता का विग्रह वहां से स्थापित करके यहां जरूर स्थापित कर दिया गया है. अभी भी माता का मूल सिद्ध पीठ ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ही है.
मामला चाहे जो भी हो लेकिन आदि विशेश्वर नाथ मंदिर परिसर में स्थापित मां श्रृंगार गौरी का विग्रह चर्चा का विषय जरूर बना हुआ है. लोग तरह-तरह के दावे कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि यह वही विग्रह है जो ज्ञानवापी मस्जिद में स्थापित था क्योंकि इस विग्रह को देख करके ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह हजारों वर्ष पुराना है.
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