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राम बहादुर राय बोले, हिन्दी के राष्ट्र भाषा नहीं होने का असली कारण उसके चिंतन का दोष

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मूल्य अनुशीलन केंद्र महामना सभागार में हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

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Published : Sep 3, 2022, 9:18 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मूल्य अनुशीलन केंद्र महामना सभागार में हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. उसके साथ 25 ऐसे लोगों को सम्मानित किया गया जो समाचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किए हैं.

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रों के साथ शास्त्र पढ़ने वाले बटुको ने किया. भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया. भारत माता और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण हुआ.कार्यक्रम का शुभारंभ सभी विशिष्ट मुख्य अतिथियों के सम्मान के साथ किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राम बहादुर राय अध्यक्ष आईजीएनसीए संगोष्ठी में मुख्य वक्ता अतुल भाई कोठारी राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास कार्यक्रम की अध्यक्षता अरविंद भालचंद्र अध्यक्ष हिंदुस्थान विशिष्ट अतिथि नीलकंठ तिवारी विधायक दक्षिणी विधानसभा वाराणसी रहे.

राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
अपने संबोधन में राम बहादुर राय ने वाराणसी को लेकर कहा कि वाराणसी का निर्माण वरुणा नदी और असि नदी के नाम पर हुआ है लेकिन दुखद है कि आज असि नदी विलुप्त प्राय है. उन्होंने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री से अनुरोध करना चाहिए कि 140 से 150 किमी तक असि नदी के अस्तीत्व को लेकर प्रयास करें. इससे पर्यटन बढ़ेगा और भारतीय भाषाओं का विकास भी होगा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि यशस्वी शब्द उनके लिए छोटा है, वो अवतारी पुरुष हैं.

इसे भी पढ़ेंः यूपी बीजेपी से अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने की ऐसी पोस्ट, संशय में पड़े लोग

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि मां, मातृभूमि और मातृभाषा का विकल्प नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि भाषा अनेक है लेकिन देश एक है, संस्कृति एक है और भाव भी एक है. भारत में भाषाओं की विभिन्नता के बावजूद भाव सभी को एकरूप बनाए रखता है. हम अक्सर दूसरे की भाषा समझने में त्रुटियां कर सकते हैं लेकिन भाव को हम सही समझते हैं.

विशिष्ट अतिथि वाराणसी शहर दक्षिणी विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषाएं विषय काशी के अनुकूल है. यहां परस्पर एकात्मता का भाव देखने को मिलता है. विभिन्न भाषा के लोगों का एक साथ गलियों में निवास से काशी में वशिष्ट की स्थिति बनती है. उन्होंने कहा कि काशी की गलियों में जब जाइए तब वैदिक ऋचाएं मिलती हैं. वेद के मंत्र सुनने को मिलते हैं. इसे जो सुनता है वो यहां का होकर रह जाता है.

इनका हुआ सम्मान
संगोष्ठी में भारतीय भाषा सम्मान से सम्मानित विद्वानों में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्याय के वरिष्ठ अर्चक डॉ श्रीकांत मिश्र (संस्कृत), डॉ लहरी राम मीणा (हिंदी), उर्दू भाषा के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक लईक रिजवी (उर्दू), प्रो. कृष्णकांत शर्मा (असमिया), काशी हिन्दू विवि में मराठी विभाग के प्रोफेसर डॉ संदीप ज्योतिराम भूयेकर (मराठी), दयाराम नागवानी (सिंधी), डॉ करमा सोनम पामलो (भोटी), प्रो. बिंदु लाहिड़ी (बांग्ला), डॉ मंगलागौरी वी राव (कन्नड़), डॉ के. शशि कुमार (मलयालम), डॉ शारदा सुंदरी (तेलुगू), डॉ गोवनामणि धनराज (तमिल), सुनील दत्त वशिष्ठ (पंजाबी), गौतम कुमार झा (मैथिली), डॉ विश्वनाथ त्रिपाठी (नेपाली), प्रो. मृत्युंजय मिश्र (उड़िया) और कृष्ण मुरारी राय (भोजपुरी) शामिल रहे। वहीं गुजराती भाषा के लिए अतुल भाई कोठारी जी को भारतीय भाषा सम्मान से सम्मानित किया गया.

छात्र आशीर्वाद दुबे ने बताया आज संस्था के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें बहुत से विद्वानों को सुनने का मौका मिला. यह मात्र एक ऐसा संस्था है, जो निष्पक्षता से अपना कार्य कर रहा है. राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषा पर चर्चा हुआ. हिंदुस्थान समाचार एजंसी के सदस्य शुभम ने बताया कि हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के 75 वर्ष पूर्ण इस कार्यक्रम का आयोजन काशी हिंदू विश्वविद्यालय में किया गया. उसके साथी पत्रकारिता जगत के विद्वान राम बहादुर राय को सुनने का मौका मिला, जिसमें मुख्य वक्ता अतुल भाई कोठारी रहे और सभी विद्वानों ने अपनी बात कही शहर दक्षिणी के विधायक ने भी संस्कृति और सभ्यता प्रस्तुत किया.
इसे भी पढ़ेंः अब Twitter पर राहुल गांधी को पछाड़ आगे निकले सीएम योगी आदित्यनाथ, ये है वजह

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मूल्य अनुशीलन केंद्र महामना सभागार में हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. उसके साथ 25 ऐसे लोगों को सम्मानित किया गया जो समाचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किए हैं.

कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रों के साथ शास्त्र पढ़ने वाले बटुको ने किया. भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया. भारत माता और मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण हुआ.कार्यक्रम का शुभारंभ सभी विशिष्ट मुख्य अतिथियों के सम्मान के साथ किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राम बहादुर राय अध्यक्ष आईजीएनसीए संगोष्ठी में मुख्य वक्ता अतुल भाई कोठारी राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास कार्यक्रम की अध्यक्षता अरविंद भालचंद्र अध्यक्ष हिंदुस्थान विशिष्ट अतिथि नीलकंठ तिवारी विधायक दक्षिणी विधानसभा वाराणसी रहे.

राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषा विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
अपने संबोधन में राम बहादुर राय ने वाराणसी को लेकर कहा कि वाराणसी का निर्माण वरुणा नदी और असि नदी के नाम पर हुआ है लेकिन दुखद है कि आज असि नदी विलुप्त प्राय है. उन्होंने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री से अनुरोध करना चाहिए कि 140 से 150 किमी तक असि नदी के अस्तीत्व को लेकर प्रयास करें. इससे पर्यटन बढ़ेगा और भारतीय भाषाओं का विकास भी होगा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि यशस्वी शब्द उनके लिए छोटा है, वो अवतारी पुरुष हैं.

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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि मां, मातृभूमि और मातृभाषा का विकल्प नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि भाषा अनेक है लेकिन देश एक है, संस्कृति एक है और भाव भी एक है. भारत में भाषाओं की विभिन्नता के बावजूद भाव सभी को एकरूप बनाए रखता है. हम अक्सर दूसरे की भाषा समझने में त्रुटियां कर सकते हैं लेकिन भाव को हम सही समझते हैं.

विशिष्ट अतिथि वाराणसी शहर दक्षिणी विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषाएं विषय काशी के अनुकूल है. यहां परस्पर एकात्मता का भाव देखने को मिलता है. विभिन्न भाषा के लोगों का एक साथ गलियों में निवास से काशी में वशिष्ट की स्थिति बनती है. उन्होंने कहा कि काशी की गलियों में जब जाइए तब वैदिक ऋचाएं मिलती हैं. वेद के मंत्र सुनने को मिलते हैं. इसे जो सुनता है वो यहां का होकर रह जाता है.

इनका हुआ सम्मान
संगोष्ठी में भारतीय भाषा सम्मान से सम्मानित विद्वानों में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्याय के वरिष्ठ अर्चक डॉ श्रीकांत मिश्र (संस्कृत), डॉ लहरी राम मीणा (हिंदी), उर्दू भाषा के वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक लईक रिजवी (उर्दू), प्रो. कृष्णकांत शर्मा (असमिया), काशी हिन्दू विवि में मराठी विभाग के प्रोफेसर डॉ संदीप ज्योतिराम भूयेकर (मराठी), दयाराम नागवानी (सिंधी), डॉ करमा सोनम पामलो (भोटी), प्रो. बिंदु लाहिड़ी (बांग्ला), डॉ मंगलागौरी वी राव (कन्नड़), डॉ के. शशि कुमार (मलयालम), डॉ शारदा सुंदरी (तेलुगू), डॉ गोवनामणि धनराज (तमिल), सुनील दत्त वशिष्ठ (पंजाबी), गौतम कुमार झा (मैथिली), डॉ विश्वनाथ त्रिपाठी (नेपाली), प्रो. मृत्युंजय मिश्र (उड़िया) और कृष्ण मुरारी राय (भोजपुरी) शामिल रहे। वहीं गुजराती भाषा के लिए अतुल भाई कोठारी जी को भारतीय भाषा सम्मान से सम्मानित किया गया.

छात्र आशीर्वाद दुबे ने बताया आज संस्था के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर इस संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें बहुत से विद्वानों को सुनने का मौका मिला. यह मात्र एक ऐसा संस्था है, जो निष्पक्षता से अपना कार्य कर रहा है. राष्ट्रीय एकात्मता और भारतीय भाषा पर चर्चा हुआ. हिंदुस्थान समाचार एजंसी के सदस्य शुभम ने बताया कि हिंदुस्थान समाचार एजेंसी के 75 वर्ष पूर्ण इस कार्यक्रम का आयोजन काशी हिंदू विश्वविद्यालय में किया गया. उसके साथी पत्रकारिता जगत के विद्वान राम बहादुर राय को सुनने का मौका मिला, जिसमें मुख्य वक्ता अतुल भाई कोठारी रहे और सभी विद्वानों ने अपनी बात कही शहर दक्षिणी के विधायक ने भी संस्कृति और सभ्यता प्रस्तुत किया.
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