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काशी में गंगा नदी को स्वच्छ बनाए रखने के लिए छोड़ी गईं 2 लाख मछलियां

वाराणसी के अस्सी घाट पर नमामि गंगा के तहत मत्स्य रैंचिंग, डॉल्फिन एवं जल संरक्षण जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसमें दो लाख से ज्यादा मछलियां सफाई के लिए गंगा में छोड़ी (Fishes left in Ganges for cleaning) गई.

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गंगा में मछलियां प्रवाहित करते
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Published : Aug 19, 2022, 4:31 PM IST

वाराणसी: गंगा की स्वच्छता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आजादी के 75 वर्ष महोत्सव के तहत शुक्रवार को काशी में रिवर रैंचिग कार्यक्रम का(River Ranching Program in Kashi) आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम में दो लाख से ज्यादा अलग-अलग प्रजाति की मछलियों को गंगा में प्रवाहित किया गया. यह मछलियां नदी की स्वच्छता को बनाए रखने के साथ-साथ पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मददगार साबित होगी.

केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक गंगा में न डालने की अपील
अस्सी घाट पर नमामि गंगा पर शुक्रवार को मत्स्य रैंचिंग, डॉल्फिन एवं जल संरक्षण जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ. यहीं से केंद्रीय पशुपालन मंत्री ने गंगा में लगभग दो लाख से ज्यादा मछलियों को प्रवाहित किया है. कार्यक्रम में केंद्रीय पशुपालन श्री गिरिराज सिंह, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लोगों से अपील की कि नदी की स्वच्छता को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें किसी भी प्रकार की केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुएं एवं शैंपू, सर्फ, बिस्किट, साबुन इत्यादि की पुड़िया को गंगा में न प्रवाहित करें.

मंत्री ने कहा कि इससे न केवल गंगा प्रदूषित होती है, बल्कि नदी में रहने वाले जीवों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इस परियोजना के तहत चार अलग-अलग राज्यों को कवर करते हुए गंगा नदी के अलग-अलग क्षेत्रों में 56 लाख से अधिक देशी गंगा कार्प रोहू, कतला और मृगल फिंगरलिंग, अंगुलिकाओं को छोड़ा जा चुका है. इसी के तहत अस्सी घाट पर गंगा नदी में 2 लाख से ज्यादा मछलियों को छोड़ा गया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी की जैव विविधता को बनाए रखने एवं मछुआरों के बेहतर जीविकोपार्जन को उचित दिशा देना हैं.


यह भी पढ़ें:हापुड़: नमामि गंगे विचार मंच के कार्यकर्ताओं ने चलाया स्वच्छ गंगा अभियान


विविध प्रजाति की मछलियां नदी के पर्यायवरण को रखेंगी शुद्ध
बता दें कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन प्रायोजित परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों में मछली की विविधता का अन्वेषण, सर्वेक्षण, बहुमूल्य मछलियों जैसे-रोहू, कतला, मृगल, कालबासु और माहसीर के स्टॉक मूल्यांकन के साथ-साथ चयनित मछली प्रजातियों के बीज का उत्पादन और उसके स्टॉक में वृद्धि शामिल है. कालबासु, कतला, मृगल और रोहू जैसी मछलियां न केवल नदी के स्टॉक में वृद्धि करेंगी बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करेंगी.

यह भी पढ़ें:जर्मनी की कंपनी साफ कर रही वाराणसी की नदियों का कचरा

वाराणसी: गंगा की स्वच्छता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आजादी के 75 वर्ष महोत्सव के तहत शुक्रवार को काशी में रिवर रैंचिग कार्यक्रम का(River Ranching Program in Kashi) आयोजन हुआ. इस कार्यक्रम में दो लाख से ज्यादा अलग-अलग प्रजाति की मछलियों को गंगा में प्रवाहित किया गया. यह मछलियां नदी की स्वच्छता को बनाए रखने के साथ-साथ पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मददगार साबित होगी.

केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक गंगा में न डालने की अपील
अस्सी घाट पर नमामि गंगा पर शुक्रवार को मत्स्य रैंचिंग, डॉल्फिन एवं जल संरक्षण जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ. यहीं से केंद्रीय पशुपालन मंत्री ने गंगा में लगभग दो लाख से ज्यादा मछलियों को प्रवाहित किया है. कार्यक्रम में केंद्रीय पशुपालन श्री गिरिराज सिंह, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने लोगों से अपील की कि नदी की स्वच्छता को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इसमें किसी भी प्रकार की केमिकल वस्तु, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी वस्तुएं एवं शैंपू, सर्फ, बिस्किट, साबुन इत्यादि की पुड़िया को गंगा में न प्रवाहित करें.

मंत्री ने कहा कि इससे न केवल गंगा प्रदूषित होती है, बल्कि नदी में रहने वाले जीवों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इस परियोजना के तहत चार अलग-अलग राज्यों को कवर करते हुए गंगा नदी के अलग-अलग क्षेत्रों में 56 लाख से अधिक देशी गंगा कार्प रोहू, कतला और मृगल फिंगरलिंग, अंगुलिकाओं को छोड़ा जा चुका है. इसी के तहत अस्सी घाट पर गंगा नदी में 2 लाख से ज्यादा मछलियों को छोड़ा गया है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी की जैव विविधता को बनाए रखने एवं मछुआरों के बेहतर जीविकोपार्जन को उचित दिशा देना हैं.


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विविध प्रजाति की मछलियां नदी के पर्यायवरण को रखेंगी शुद्ध
बता दें कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन प्रायोजित परियोजना के प्रमुख उद्देश्यों में मछली की विविधता का अन्वेषण, सर्वेक्षण, बहुमूल्य मछलियों जैसे-रोहू, कतला, मृगल, कालबासु और माहसीर के स्टॉक मूल्यांकन के साथ-साथ चयनित मछली प्रजातियों के बीज का उत्पादन और उसके स्टॉक में वृद्धि शामिल है. कालबासु, कतला, मृगल और रोहू जैसी मछलियां न केवल नदी के स्टॉक में वृद्धि करेंगी बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करेंगी.

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