वाराणसी: सावन का महीना हो और काशी का जिक्र न किया जाए, तो शायद सावन अधूरा सा लगता है. सावन के मौके पर काशी का एक अद्भुत रंग देखने को मिलता है. इस बार सावन की शुरुआत गुरुवार यानी 14 जुलाई (sawan start date 2022) से हो चुकी है. इन सबके बीच काशी में भक्तों संग का कांवड़ियों के आने का सिलसिला भी जारी हो गया है. क्या आपको पता है कि इस बार का सावन कुछ ऐसे अद्भुत संयोग लेकर आया है. इसमें भगवान भोलेनाथ की आराधना आपको मनचाहा फल दे सकती है. तो आइए जानते है काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी (Pandit Rishi Dwivedi, the astrologer of Kashi) से कि इस बार का सावन हर साल के सावन से अलग क्यों है...
काशी धर्म परिषद के महासचिव और प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि सावन की शुरुआत 14 जुलाई से हो गई है और इसका समापन 12 अगस्त यानी रक्षाबंधन वाले दिन श्रावणी कर्म करने के बाद होगा. वैसे तो सावन अपने आप में भोलेनाथ का पूरा महीना माना जाता है. लेकिन, इस बार का सावन जो संयोग लेकर आया है, वह दशकों बाद देखने को मिल रहा है. इसकी बड़ी वजह यह है कि इस बार सावन के चार सोमवार में से पहले सोमवार को ही प्रदोष व्रत (sawan pradosh vrat 2022) पड़ने जा रहा है. प्रदोष अपने आप में बेहद खास है और भगवान भोलेनाथ का सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है.
हर महीने पड़ने वाले प्रदोष व्रत के 2 हिस्से होते हैं- एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष. यदि इन दोनों हिस्सों में सोम प्रदोष और भौम प्रदोष मिल जाए, तो भोलेनाथ को समर्पित की गई पूजा सफल हो जाती है. इस बार यह दोनों सहयोग सावन के महीने में देखने को मिल रहे हैं. सावन के पहले सोमवार की बात की जाए, तो यह 18 जुलाई को पड़ रहा है. बता दें कि सावन का पहला सोमवार (sawan ka pehla somwar 2022) सोम प्रदोष (som pradosh in july 2022) के साथ ही शुरू हो रहा है. इसके अतिरिक्त दूसरा सोमवार 25 जुलाई, तीसरा सोमवार 1 अगस्त और चतुर्थ सोमवार 9 अगस्त को पड़ेगा.
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पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि कई दशकों के बाद ऐसे दुर्लभ संयोग देखने को मिल रहे हैं, जो सावन को बेहद खास बनाने वाले हैं. सावन के सोमवार के साथ पड़ रहे प्रदोष पर रुद्राभिषेक और बाबा का जलाभिषेक करने से हर मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. कहा भी गया है कि काशी में गंगा और भोलेनाथ का अद्भुत संगम है, जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सभी को देने वाला है और इस संगम के साथ काशी ज्ञान के रूप में प्रकाशित करती है. जो तीनों लोगों से ऊपर है और काशी का ज्योतिर्लिंग स्वरूप इसे अपने आप में और अद्भुत बनाता है. इसलिए माना जाता है कि सावन के महीने में काशी में किया जाने वाला अनुष्ठान पूजन और भगवान विश्वेश्वर को किया गया जल अर्पित सभी मनोवांछित फल को देने वाला होता है.
पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि सिर्फ सावन के सोमवार की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि इस महीने पड़ने वाली मास शिवरात्रि और भौम व्रत के लिए भी सावन विशेष रूप से जाना जाता है. महाशिवरात्रि की बात की जाए, तो इसका व्रत 26 जुलाई को होगा. जबकि भोम व्रत 26 जुलाई, 2 अगस्त और 9 अगस्त को रखा जाएगा. इस व्रत के लिए सौभाग्य की कामना संघ महिलाएं भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती की पूजा और मंगला गौरी का दर्शन करती हैं. यदि कुंवारी कन्या इस व्रत को करके माता पार्वती की पूजा करें, तो उन्हें मनोवांछित वर की मिल सकता है. उनका कहना है कि भगवान भोलेनाथ को कई नामों से जाना जाता है.
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