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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण की सुनवाई टली, 4 अगस्त को होगी सुनवाई

ज्ञानवापी मस्जिद श्रृंगार गौरी केस में सोमवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोपहर 2:00 बजे के बाद सुनवाई होनी थी लेकिन नहीं हो सकी. अब अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी.

gyanvapi case varanasi fast track court
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Published : Jul 25, 2022, 7:52 AM IST

Updated : Jul 25, 2022, 5:21 PM IST

वाराणसी: वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई सोमवार को एक वकील के निधन की वजह से नहीं हो सकी. इस मामले में पहले कोर्ट ने 27 जुलाई की डेट मुकर्रर की थी, लेकिन दोनों पक्ष के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में अन्य मामले में तिथि होने की बात कहकर डेट आगे बढ़ाने की अपील की थी. जिस पर कोर्ट ने 4 अगस्त की अगली डेट सुनवाई के लिए निर्धारित की है

दरअसल, ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इस मामले की सुनवाई सीनियर सिविल डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत से ट्रांसफर होकर जिला जज न्यायालय में करवाई जा रही है. अभी मामला सुनवाई योग्य है या नहीं इसे लेकर कोर्ट में बहस चल रही है. इस मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से अपनी बातें रखते हुए हिंदू पक्ष यानी वादी की तरफ से दाखिल 51 बिंदुओं पर बहस पूरी की जा चुकी थी. जिसके बाद पहले वादी संख्या 2 से 5 मंजू व्यास रेखा पाठक सीता साहू और लक्ष्मी देवी के वकीलों ने अपनी बातें कोर्ट के सामने रखी थी.जिसमें हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने ज्ञानवापी परिसर को देवता की संपत्ति बताते हुए श्री काशी विश्वनाथ एक्ट एक्ट पर तमाम दलीलें पेश की थी और मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए ज्ञानवापी परिसर पर हिंदुओं का मालिकाना होने की बात कही गई थी. इसके बाद वादी संख्या एक राखी सिंह के वकीलों की तरफ से पूरे मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए यह दलील दी गई है कि प्रकरण श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन को लेकर है न कि ज्ञानवापी परिसर में क्या है. यह दोनों अलग मामले हैं. इसलिए यह मामला सुनवाई योग्य है, इसे स्वीकृत किया जाए और आगे की कार्रवाई शुरू हो.

इस पर राखी सिंह के वकीलों की तरफ से तमाम दलीलें भी दी गई है हिंदू पक्ष ने 100 जजमेंट के साथ 361 पन्ने अपने और कमेंट के कोर्ट के सामने रखे हैं, जिसमें कहा गया है कि 1993 तक यहां यानी श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी तो अब भी होनी चाहिये. वर्ष 1993 में सरकार ने अचानक बैरकेडिंग लगाकर नियमित दर्शन और पूजा बंद कराई थी. इसलिए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट के प्रावधान श्रृंगार गौरी प्रकरण में लागू नहीं होते हैं.

उन्होंने कहा था कि हमारा ज्ञानवापी की किसी जमीन पर कोई दावा नहीं है. हमारा दावा सिर्फ श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है. फिलहाल अब 4 अगस्त को इस प्रकरण की सुनवाई आगे बढ़ाई जाएगी. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन का कहना है कि इस मामले में मुस्लिम पक्ष को काउंटर फाइल करना है और आपत्ति दर्ज करानी है. ऐसा माना जा रहा है कि 4 अगस्त को मुस्लिम पक्ष की दलीलें पूरी हो जाएंगे और उसके बाद न्यायालय इस मामले में फैसला दे सकता है.

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वाराणसी: वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई सोमवार को एक वकील के निधन की वजह से नहीं हो सकी. इस मामले में पहले कोर्ट ने 27 जुलाई की डेट मुकर्रर की थी, लेकिन दोनों पक्ष के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में अन्य मामले में तिथि होने की बात कहकर डेट आगे बढ़ाने की अपील की थी. जिस पर कोर्ट ने 4 अगस्त की अगली डेट सुनवाई के लिए निर्धारित की है

दरअसल, ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इस मामले की सुनवाई सीनियर सिविल डिविजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत से ट्रांसफर होकर जिला जज न्यायालय में करवाई जा रही है. अभी मामला सुनवाई योग्य है या नहीं इसे लेकर कोर्ट में बहस चल रही है. इस मामले में मुस्लिम पक्ष की तरफ से अपनी बातें रखते हुए हिंदू पक्ष यानी वादी की तरफ से दाखिल 51 बिंदुओं पर बहस पूरी की जा चुकी थी. जिसके बाद पहले वादी संख्या 2 से 5 मंजू व्यास रेखा पाठक सीता साहू और लक्ष्मी देवी के वकीलों ने अपनी बातें कोर्ट के सामने रखी थी.जिसमें हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने ज्ञानवापी परिसर को देवता की संपत्ति बताते हुए श्री काशी विश्वनाथ एक्ट एक्ट पर तमाम दलीलें पेश की थी और मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए ज्ञानवापी परिसर पर हिंदुओं का मालिकाना होने की बात कही गई थी. इसके बाद वादी संख्या एक राखी सिंह के वकीलों की तरफ से पूरे मामले को सुनवाई योग्य बताते हुए यह दलील दी गई है कि प्रकरण श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन को लेकर है न कि ज्ञानवापी परिसर में क्या है. यह दोनों अलग मामले हैं. इसलिए यह मामला सुनवाई योग्य है, इसे स्वीकृत किया जाए और आगे की कार्रवाई शुरू हो.

इस पर राखी सिंह के वकीलों की तरफ से तमाम दलीलें भी दी गई है हिंदू पक्ष ने 100 जजमेंट के साथ 361 पन्ने अपने और कमेंट के कोर्ट के सामने रखे हैं, जिसमें कहा गया है कि 1993 तक यहां यानी श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी तो अब भी होनी चाहिये. वर्ष 1993 में सरकार ने अचानक बैरकेडिंग लगाकर नियमित दर्शन और पूजा बंद कराई थी. इसलिए प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट या किसी अन्य एक्ट के प्रावधान श्रृंगार गौरी प्रकरण में लागू नहीं होते हैं.

उन्होंने कहा था कि हमारा ज्ञानवापी की किसी जमीन पर कोई दावा नहीं है. हमारा दावा सिर्फ श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा के लिए है. फिलहाल अब 4 अगस्त को इस प्रकरण की सुनवाई आगे बढ़ाई जाएगी. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन का कहना है कि इस मामले में मुस्लिम पक्ष को काउंटर फाइल करना है और आपत्ति दर्ज करानी है. ऐसा माना जा रहा है कि 4 अगस्त को मुस्लिम पक्ष की दलीलें पूरी हो जाएंगे और उसके बाद न्यायालय इस मामले में फैसला दे सकता है.

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Last Updated : Jul 25, 2022, 5:21 PM IST
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