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ज्ञानवापी प्रकरण: जानिए आखिर क्यों सनातन धर्मावलंबियों के लिए महत्वपूर्ण है ज्ञानवापी

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Published : May 21, 2022, 1:33 PM IST

ज्ञानवापी आखिर सनातन धर्मावलंबियों के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है. क्यों हिंदू संप्रदाय इसे अपनी महत्वपूर्ण थाती मानता है. ईटीवी भारत की टीम ने इसकी पड़ताल की तो तस्वीर अलग दिखाई दी. देखें रिपोर्ट...

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ज्ञानवापी प्रकरण

वाराणसी: ज्ञानवापी प्रकरण पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर नुक्कड़ व चाय के अड्डों तक ज्ञानवापी की चर्चा है. इस बीच इससे जुड़े कुछ वीडियो और साक्ष्य सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद माहौल गरमाया हुआ है. ऐसे में सवाल ये उठने लगा है कि आखिर ज्ञानवापी सनातन धर्मावलंबियों के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है. देखे ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

ज्ञान का कूप है ज्ञानवापी: ज्ञानवापी की बात होती है तो सबसे पहले उसके नाम पर चर्चा की जाती है. ज्ञानवापी का अर्थ होता है ज्ञान का कूप यानी जहां ज्ञान की प्राप्ति होती है. सनातन धर्मावलंबियों का कहना है कि यह वह स्थान है जहां महादेव ने आराधना के जरिए सर्वज्ञान प्राप्त किया था. इसलिए यह स्थान सनातन धर्म के लिए महत्वपूर्ण है.

ज्ञानवापी प्रकरण में सनातन धर्मावलंबियों की राय



स्कंदपुराण के काशीखण्ड में है वर्णन: ज्ञानवापी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. कहा जाता है कि महादेव यहां जल स्वरूप में विराजमान हैं. इस बात पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) का संस्कृत विद्याधर्म संकाय मुहर भी लगा रहा है. इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडे का कहना है कि ज्ञानवापी में शिव अष्ट स्वरूप में विराजमान हैं. इसका वर्णन मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है.

वह बताते हैं कि इन अष्ट रूपों में से एक जल स्वरूप है, जो अविमुक्तेश्वर के रूप में ज्ञानवापी के मुख्य परिसर में विराजमान है. उन्होंने बताया कि जब काशी में महादेव का पदार्पण हुआ था. तो उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति के लिए ज्ञानवापी में आराधना की थी और वहां जल स्वरूप में विराजमान हो गए थे. इसीलिए उन्हें अविमुक्तेश्वर कहा जाने लगा. इन्हीं के समीप में आदिविशेश्वर भी विराजमान हैं. जिनका प्रत्यक्ष रूप से हम सबको दर्शन हुआ है. उन्होंने आगे बताया कि यहां के जल का सेवन करने और महादेव की अर्चना से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है.


महादेव संग मां गौरा भी ज्ञान मंडप में विराजमान: अखिल भारतीय संत समिति (All India Sant Samiti) के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया कि काशी के पुराणों व धर्म शास्त्रों में ज्ञानवापी का वर्णन मिलता है. जहां महादेव ने आराधना की है. यहां मां गौरा के साथ महादेव विराजमान हैं. मां गौरा श्रृंगार से आच्छादित होकर जगत को ज्ञान दे रही हैं. इसीलिए परिसर में श्रृंगार गौरी के साथ महादेव का वर्णन है. उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के लिए यह एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है.


यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी विवादः वादी महिलाएं बोलीं- अंदर जो भी जाएगा वह समझ जाएगा कि वास्तविकता क्या है?

बरहहाल, चर्चाओं का बाजार भले ही गर्म हो लेकिन काशी के पुराण, धर्म शास्त्र की पुस्तकें, संत समाज, ज्योतिष इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि ज्ञानवापी सनातन धर्म की आस्था का एक महत्वपूर्ण स्थान है. यहां मां गौरा संग महादेव विराजमान हैं. इसके साथ ही वह जगत का कल्याण कर रहे हैं.



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वाराणसी: ज्ञानवापी प्रकरण पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर नुक्कड़ व चाय के अड्डों तक ज्ञानवापी की चर्चा है. इस बीच इससे जुड़े कुछ वीडियो और साक्ष्य सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद माहौल गरमाया हुआ है. ऐसे में सवाल ये उठने लगा है कि आखिर ज्ञानवापी सनातन धर्मावलंबियों के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है. देखे ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

ज्ञान का कूप है ज्ञानवापी: ज्ञानवापी की बात होती है तो सबसे पहले उसके नाम पर चर्चा की जाती है. ज्ञानवापी का अर्थ होता है ज्ञान का कूप यानी जहां ज्ञान की प्राप्ति होती है. सनातन धर्मावलंबियों का कहना है कि यह वह स्थान है जहां महादेव ने आराधना के जरिए सर्वज्ञान प्राप्त किया था. इसलिए यह स्थान सनातन धर्म के लिए महत्वपूर्ण है.

ज्ञानवापी प्रकरण में सनातन धर्मावलंबियों की राय



स्कंदपुराण के काशीखण्ड में है वर्णन: ज्ञानवापी सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. कहा जाता है कि महादेव यहां जल स्वरूप में विराजमान हैं. इस बात पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) का संस्कृत विद्याधर्म संकाय मुहर भी लगा रहा है. इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडे का कहना है कि ज्ञानवापी में शिव अष्ट स्वरूप में विराजमान हैं. इसका वर्णन मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है.

वह बताते हैं कि इन अष्ट रूपों में से एक जल स्वरूप है, जो अविमुक्तेश्वर के रूप में ज्ञानवापी के मुख्य परिसर में विराजमान है. उन्होंने बताया कि जब काशी में महादेव का पदार्पण हुआ था. तो उन्होंने ज्ञान की प्राप्ति के लिए ज्ञानवापी में आराधना की थी और वहां जल स्वरूप में विराजमान हो गए थे. इसीलिए उन्हें अविमुक्तेश्वर कहा जाने लगा. इन्हीं के समीप में आदिविशेश्वर भी विराजमान हैं. जिनका प्रत्यक्ष रूप से हम सबको दर्शन हुआ है. उन्होंने आगे बताया कि यहां के जल का सेवन करने और महादेव की अर्चना से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है.


महादेव संग मां गौरा भी ज्ञान मंडप में विराजमान: अखिल भारतीय संत समिति (All India Sant Samiti) के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने बताया कि काशी के पुराणों व धर्म शास्त्रों में ज्ञानवापी का वर्णन मिलता है. जहां महादेव ने आराधना की है. यहां मां गौरा के साथ महादेव विराजमान हैं. मां गौरा श्रृंगार से आच्छादित होकर जगत को ज्ञान दे रही हैं. इसीलिए परिसर में श्रृंगार गौरी के साथ महादेव का वर्णन है. उन्होंने बताया कि सनातन धर्म के लिए यह एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है.


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बरहहाल, चर्चाओं का बाजार भले ही गर्म हो लेकिन काशी के पुराण, धर्म शास्त्र की पुस्तकें, संत समाज, ज्योतिष इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि ज्ञानवापी सनातन धर्म की आस्था का एक महत्वपूर्ण स्थान है. यहां मां गौरा संग महादेव विराजमान हैं. इसके साथ ही वह जगत का कल्याण कर रहे हैं.



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