वाराणसी: सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में ये फैसला किया गया. इस बैठक में कमिश्नरी सभागार से कमिश्नर दीपक अग्रवाल एवं उद्योग विभाग के अधिकारी वर्चुअल रूप से शामिल हुए.
इस प्रस्तावित बोर्ड का मुख्य काम जीआई उत्पादों के विकास की रणनीति बनाना और उसके क्रियान्वयन के लिए आवश्यक निर्देश पारित करना होगा. इसके अतिरिक्त जीआई बोर्ड, जीआई पंजीयन के लिए नये उत्पादों को चिन्हित करने, उनके उत्पादक समूह के गठन आदि के कार्य, वर्तमान जीआई पंजीकृत उत्पादों की ब्राण्डिंग व मार्केटिंग तथा गुणवत्ता नियंत्रण आदि के सम्बन्ध में प्रक्रिया बनाएगा.
जीआई बोर्ड प्रदेश के जीआई उत्पादों के विकास के सम्बन्ध में नियमित समीक्षा बैठकें भी करेगा. इस प्रस्तावित जीआई बोर्ड में डिपार्टमेन्ट ऑफ प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्रीज एण्ड इंटरनल ट्रेड भारत सरकार, एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन, कृषि, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग, उद्योग निदेशालय, निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो, फॉरेन ट्रेड, जीआई रजिस्ट्री चेन्नई, एपीडा, टेक्सटाइल कमेटी मुम्बई, नाबार्ड आदि के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, डॉ रजनीकांत, अधिशासी निदेशक ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन वाराणसी तथा प्रदेश के जीआई उत्पादों/क्राफ्ट से सम्बन्धित उद्यमी संगठनों के रोटेशन आधार पर अधिकतम तीन प्रतिनिधि प्रस्तावित किये गये हैं. इस बोर्ड के कार्यों का निष्पादन निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो उत्तर प्रदेश करेगा.
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GI यानी Geographical Indication यानी भौगोलिक संकेत. जीआई टैग एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है. ये टैग उस उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी विशेषता बताता है. कुल मिलाकर जीआई टैग बताता है कि किसी उत्पाद विशेष की पैदावर कहां होती है या कहां बनाया जाता है. जीआई टैग किसी भी उत्पाद के लिए एक ऐसा प्रतीक होता है, जो उसकी विशेष भौगोलिक उत्पत्ति, पहचान और गुणवत्ता के लिए दिया जाता है. ये टैग उस उत्पाद की गुणवत्ता के साथ-साथ उसकी विशेषता या अलग पहचान का प्रमाण है.