वाराणसी: शहर में 15 से 17 नवंबर तक एग्रो प्रोडक्ट का इंटरनेशनल फूड फेयर लगेगा. इसमें 20 देशों के 8 हजार प्रदर्शनकर्ता, स्टाक होल्डर, सेलर, विजिटर शामिल होंगे. कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि पहली बार वाराणसी में ऐसा इंटरनेशनल फूड फेयर लगेगा. यह मेला टीएफसी (ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर) में लगेगा. मेले में देश-विदेश के 8000 लोगों को प्रतिभाग करने की संभावना है.
इसमें देश विदेश के बड़े होटलों, निर्यातक, प्रदर्शनकर्ता, खरीददार, विजिटर, विभिन्न क्षेत्रों के स्टॉकहोल्डर आदि होंगे. उन्होंने बताया कि मेला का आयोजन सिआल व एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) की संयुक्त प्रयास से होगा. इस इंटरनेशनल फूड फेयर से वाराणसी विश्व पटल पर और उभरेगा. मेले में इन्वेस्टर भी आएंगे. यहां बड़े इन्वेस्टमेंट की व्यापक संभावनाएं बढ़ेंगी.
इस इंटरनेशनल फूड फेयर को लेकर कमिश्नर की अध्यक्षता में कमिश्नरी सभागार में बुधवार को बैठक भी हुई. कमिश्नर ने बताया कि दिल्ली से बाहर पहली बार वाराणसी में इंटरनेशनल फूड फेयर लगेगा. ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर (टीएफसी) लालपुर में इसका आयोजन होगा. फेयर में देश-विदेश से लगभग 8000 लोगों को आमंत्रित किया जाएगा. इसमें होटल, निर्यातक आदि शामिल होंगे. बैठक के दौरान कमिश्नर ने मेले को लेकर ट्रांसपोर्ट, सुरक्षा, ब्रांडिंग, एयरपोर्ट पर व्यवस्था और अन्य कार्यक्रमों के स्थल, एग्जीबिशन स्थल आदि पर विस्तार से चर्चा की.
कमिश्नर ने सुझाव दिया कि देश-विदेश के डेलीगेट्स को वाराणसी के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों, गंगा आरती, सारनाथ, गंगा में नौकायन आदि का भ्रमण कराया जाए. एपीओ के माध्यम से एक ग्रुप प्रोडक्ट का प्रदर्शन होगा. विदेश में वाराणसी के उत्पाद, यहां के रॉ-मैटेरियल की जानकारी व पहुंच होगी. फूड वाराणसी इंटरनेशनल फेयर में उत्तर प्रदेश सरकार की प्रभावी सहायक भूमिका रहेगी.
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बुधवार को मंडलीय सभागार में खिड़कियां घाट के पुनर्निर्माण व सौंदर्यीकरण योजना के प्रगति की समीक्षा की. उन्होंने कार्यदाई संस्था को हिदायत दी कि देव दीपावली तक खिड़कियां घाट का कार्य पूर्ण कर उसको ऑपरेशनल करें. पुनर्निर्माण योजना में आंशिक बदलाव का संस्था द्वारा पावर प्ले के माध्यम से प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया गया. कमिश्नर ने कहा कि राजघाट से भैसासुर घाट, आदिकेशव घाट तक पूरे प्रोजेक्ट एरिया में कोई भी पेड़ नहीं कटेगा. कई ग्रीन बेल्ट, पार्क आदि बनेंगे जिसके लिए वृक्षारोपण होगा. यह कार्य वन विभाग के माध्यम से कराया जाएगा.
इसमें 4 वर्षों तक वृक्षों के रखरखाव/संरक्षण का भी प्रावधान होगा. तब तक वृक्ष बड़े होकर स्थाई हो जाएंगे. कमिश्नर ने कार्यदाई संस्था को कहा कि पुनर्निर्माण की डिजाइन ऐसी बने जिसमें इस वर्ष बढ़े गंगा जल स्तर को ध्यान में रखकर हो और उससे घाट से संचालन बंद नहीं हो तथा कार्यो को कोई नुकसान नहीं हो क्योंकि प्रत्येक तीन-चार वर्षों में इस स्तर पर गंगाजल पहुंचने की संभावना हो सकती है. परियोजना में लाइटिंग, जेटी निर्माण, स्थल विकास, घाट पुनर्निर्माण, नावों के सीएनजी में कन्वर्ट होने आदि बिंदुओं पर विस्तार से समीक्षा हुई. कमिश्नर ने समस्त नावों को देवदीपावली तक सीएनजी में कन्वर्ट कराने पर विशेष जोर दिया.
बता दें की करीब 11.5 एकड़ में बन रहे इस घाट पर हो रहे जीर्णोद्धार कार्य की लागत लगभग 35.83 करोड़ है, इस प्रोजेक्ट का डिजाइन, इंजीनियरिंग और डीपीआर बनाने वाली कंपनी प्लानर इंडिया है. गाबियन और रेटेशन वाल से घाट तैयार कराया जा रहा है, यानी देखने में पुराने घाटों की तरह होगा और बाढ़ में घाट सुरक्षित रहेगा. खास बात यह कि यह निर्माण इको फ्रेंडली है. घाट पर ही वाहनों के पार्किंग की भी व्यवस्था होगी, जो अन्य घाटों पर नहीं है. यहां पर फ़ूड प्लाज़ा, आरओ प्लांट, हैंडीक्राफ्ट मार्केट भी होगा. 1.6 एकड़ में एक बहुउद्देशीय प्लेटफार्म बन रहा है, जिस पर एक साथ दो हेलीकॉप्टर उतर सकते हैं.