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घाटों से लेकर मंदिरों को आगोश में लेने के बाद स्थिर हुई गंगा, सड़कों पर चल रही नावें

गंगा नदी में आई बाढ़ से वाराणसी के घाट डूब चुके हैं. गंगा नदी ने घाटों से लेकर मंदिरों को अपने आगोश में ले लिया है. सोमवार की रात गंगा का पानी स्थिर हुआ है. वाराणसी की सड़कों पर अभी भी नावें चल रही हैं.

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वाराणसी की सड़को पर नावे
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Published : Aug 30, 2022, 11:54 AM IST

वाराणसी: बीते लगभग 1 सप्ताह से गंगा अपना रौद्र रूप दिखाने के बाद आखिरकार सोमवार रात शांत हो गई. गंगा के जलस्तर में न बढ़ोतरी हो रही है और न अभी घटाव हो रहा है. स्थिर बनी हुई गंगा लोगों को थोड़ा सुकून दे रही है. लेकिन, बनारस में 84 घाटों का संपर्क टूटने के बाद पूरी तरह से घाट गंगा के आगोश में हैं. घाट किनारे मंदिर डूबे हुए हैं. इन सबके बीच गंगा सड़कों की तरफ बढ़ रही है और यहां पर गाड़ियां नहीं बल्कि नावें चलती हुई दिखाई दे रही हैं. जिला प्रशासन अपने स्तर पर हरसंभव मदद के लिए लोगों के बीच पहुंच रहा है. लेकिन, 18000 से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने की वजह से परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है.

वाराणसी में आई बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से कमर कसकर युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चला रही है. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशानुसार बाढ़ प्रभावित सभी क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट एवं विभागीय अधिकारी बराबर भ्रमण कर राहत एवं बचाव कार्य पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. सभी बाढ़ राहत केंद्रों पर जिलाधिकारी, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है.

तीर्थ पुरोहित ने दी जानकारी

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और बाढ़ राहत केंद्रों में रह रहे लोगों को राहत एवं खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है. इसके अलावा बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में मवेशियों के चारा और भूसे की भी व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है. चिकित्सा दल ने राहत शिविरों और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों को उनकी आवश्यकतानुसार बेहतर चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ मवेशियों के लिए भी चिकित्सा और टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है.

इसे भी पढ़े-बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का आकलन करेगी राजस्व विभाग टीम, शासन को सौंपी जाएगी रिपोर्ट

बाढ़ राहत शिविरों में साफ बिस्तर, प्रकाश, शौचालय, मेडिकल, सुरक्षा आदि की व्यवस्था की गई है. बाढ़ राहत शिविर में विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को तैनात किया गया है. प्रत्येक बाढ़ राहत शिविर के लिए उप जिलाधिकरी/अपर नगर मजिस्ट्रेट/तहसीलदार/नायब तहसीलदार को नोडल बनाया गया है. बाढ़ राहत शिविर में रह रहे लोगों के लिए भोजन-पानी का समुचित प्रबंध किया गया है.

वाराणसी में गंगा नदी के खतरे का जलस्तर 71.26 मीटर है. वर्ष 2021 में गंगा नदी का अधिकतम जलस्तर 72.32 मीटर था. आज मंगलवार सुबह 8 बजे तक जलस्तर 72.14 मीटर पर स्थिर बना हुआ है जो कल रात से रुका हुआ है. इसके पहले गंगा में 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार दो दिनों से बढ़ोतरी जारी थी. इसके कारण गंगा सड़कों तक पहुंच गई. अस्सी घाट पर गंगा पूरी तरह से मुख्य मार्ग पर है. जबकि, दशाश्वमेध घाट पर भी गंगा का जलस्तर अब सब्जी मंडी से आगे होते हुए मुख्य सड़क की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन अभी गंगा का पानी रुका हुआ है.

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के मुताबिक, बाढ़ से जनपद के कुल 20 वार्ड, 115 ग्राम सभा सहित कुल 135 ग्राम सभा एवं वार्ड के 28499 लोग प्रभावित हुए हैं. 19 राहत चौकी स्थापित की गई हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से सुरक्षित स्थान पर राहत शिविर के अतिरिक्त रिश्तेदार, पड़ोस और अन्य स्थान पर 4322, राहत शिविर में 3645 सहित कुल 7967 बाढ़ प्रभावितों को विस्थापित किया गया है.

यह भी पढ़े-गंगा का जलस्तर बढ़ने से कई गांव हुए जलमग्न, जिम्मेदारों को नहीं है खबर..

वाराणसी: बीते लगभग 1 सप्ताह से गंगा अपना रौद्र रूप दिखाने के बाद आखिरकार सोमवार रात शांत हो गई. गंगा के जलस्तर में न बढ़ोतरी हो रही है और न अभी घटाव हो रहा है. स्थिर बनी हुई गंगा लोगों को थोड़ा सुकून दे रही है. लेकिन, बनारस में 84 घाटों का संपर्क टूटने के बाद पूरी तरह से घाट गंगा के आगोश में हैं. घाट किनारे मंदिर डूबे हुए हैं. इन सबके बीच गंगा सड़कों की तरफ बढ़ रही है और यहां पर गाड़ियां नहीं बल्कि नावें चलती हुई दिखाई दे रही हैं. जिला प्रशासन अपने स्तर पर हरसंभव मदद के लिए लोगों के बीच पहुंच रहा है. लेकिन, 18000 से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने की वजह से परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है.

वाराणसी में आई बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से कमर कसकर युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य चला रही है. जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशानुसार बाढ़ प्रभावित सभी क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट एवं विभागीय अधिकारी बराबर भ्रमण कर राहत एवं बचाव कार्य पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. सभी बाढ़ राहत केंद्रों पर जिलाधिकारी, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है.

तीर्थ पुरोहित ने दी जानकारी

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और बाढ़ राहत केंद्रों में रह रहे लोगों को राहत एवं खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है. इसके अलावा बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में मवेशियों के चारा और भूसे की भी व्यवस्था सुनिश्चित कराई गई है. चिकित्सा दल ने राहत शिविरों और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों को उनकी आवश्यकतानुसार बेहतर चिकित्सा सुविधा के साथ-साथ मवेशियों के लिए भी चिकित्सा और टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है.

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बाढ़ राहत शिविरों में साफ बिस्तर, प्रकाश, शौचालय, मेडिकल, सुरक्षा आदि की व्यवस्था की गई है. बाढ़ राहत शिविर में विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को तैनात किया गया है. प्रत्येक बाढ़ राहत शिविर के लिए उप जिलाधिकरी/अपर नगर मजिस्ट्रेट/तहसीलदार/नायब तहसीलदार को नोडल बनाया गया है. बाढ़ राहत शिविर में रह रहे लोगों के लिए भोजन-पानी का समुचित प्रबंध किया गया है.

वाराणसी में गंगा नदी के खतरे का जलस्तर 71.26 मीटर है. वर्ष 2021 में गंगा नदी का अधिकतम जलस्तर 72.32 मीटर था. आज मंगलवार सुबह 8 बजे तक जलस्तर 72.14 मीटर पर स्थिर बना हुआ है जो कल रात से रुका हुआ है. इसके पहले गंगा में 1 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार दो दिनों से बढ़ोतरी जारी थी. इसके कारण गंगा सड़कों तक पहुंच गई. अस्सी घाट पर गंगा पूरी तरह से मुख्य मार्ग पर है. जबकि, दशाश्वमेध घाट पर भी गंगा का जलस्तर अब सब्जी मंडी से आगे होते हुए मुख्य सड़क की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन अभी गंगा का पानी रुका हुआ है.

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के मुताबिक, बाढ़ से जनपद के कुल 20 वार्ड, 115 ग्राम सभा सहित कुल 135 ग्राम सभा एवं वार्ड के 28499 लोग प्रभावित हुए हैं. 19 राहत चौकी स्थापित की गई हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से सुरक्षित स्थान पर राहत शिविर के अतिरिक्त रिश्तेदार, पड़ोस और अन्य स्थान पर 4322, राहत शिविर में 3645 सहित कुल 7967 बाढ़ प्रभावितों को विस्थापित किया गया है.

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