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Gyanvapi Case: अखिल भारतीय संत समिति का बड़ा एलान, शिव उपासना से निकलेगा समाधान

ज्ञानवापी प्रकरण में साधु-संत बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. ऐसे में अखिल भारतीय संत समिति ने भी एक नई घोषणा की है. आंदोलन को नई धार देने के लिए उन्होंने शिव उपासना का आवाहन किया है और लोगों से अपील की है कि वह घर और आस-पास के शिवालयों में भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें.

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भगवान भोलेनाथ
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Published : Jun 7, 2022, 4:46 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी प्रकरण में साधु-संत बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. एक ओर जहां स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आमरण अनशन पर बैठे हैं तो वहीं, दूसरी ओर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत ने कारसेवा का ऐलान कर दिया है. ऐसे में अखिल भारतीय संत समिति ने भी एक नई घोषणा की है. आंदोलन को नई धार देने के लिए उन्होंने शिव उपासना का आवाहन किया है और लोगों से अपील की है कि वह घर और आस-पास के शिवालयों में भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें.

महादेव की मुक्ति के लिए अब हर सोमवार को मंदिर और घर में होगा जलाभिषेक

अखिल भारतीय संत समिति का बड़ा एलान

ज्ञानवापी की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है, जिसकी तारीख 4 जुलाई निर्धारित की गई है. लेकिन उसके इतर ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग के दावे को प्रबल मानते हुए साधु-संतों ने महादेव की पूजा-अर्चना का ऐलान कर दिया है. इसकी तस्वीर बीते दिनों से लगातार वाराणसी में देखने को मिल रही है. इस आंदोलन को धार देते हुए अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने सोमवार को शिवालयों में अभिषेक का ऐलान किया है.

उन्होंने कहा है कि इस मामले का समाधान शिव उपासना से ही हो सकता है. हम सभी हिंदुओं से अपील करते हैं कि सभी लोग सोमवार के दिन अपने घरों और मंदिरों में महादेव का अभिषेक कर उनकी उपासना करें. उन्होंने कहा कि शिव उपासना के जरिए हमारे सिर्फ यही मनोकामना है कि न्यायालय में चल रहा प्रकरण जल्द समाप्त हो और हमारे बाबा मुक्त कराया जाएं.

इसे भी पढ़ेंः Gyanvapi Case: धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में आज आएगा फैसला

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के बैठक के बाद साधु -संत हुए सक्रिय

गौरतलब है कि, बीते दिनों तमाम मुस्लिम संगठनों की सभा के बाद हिंदू संगठन सक्रिय हुए हैं. संतों की ओर से जहां एक ओर बैठक की जा रही है. वहीं, दूसरी ओर ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा अर्चना करने की मांग भी तेजी से बढ़ती जा रही है. जिसको लेकर के अखिल भारतीय संत समिति जलाभिषेक का ऐलान किया गया है. बहरहाल अदालत के फैसले के बाद यह बातें स्पष्ट हो पाएंगी कि मंदिर परिसर में मिला पत्थर शिवलिंग है या कुछ और लेकिन साधु-संत सनातन परंपरा के संरक्षण का हवाला देकर आंदोलन को नई धार दे रहे हैं.

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वाराणसी: ज्ञानवापी प्रकरण में साधु-संत बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. एक ओर जहां स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आमरण अनशन पर बैठे हैं तो वहीं, दूसरी ओर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत ने कारसेवा का ऐलान कर दिया है. ऐसे में अखिल भारतीय संत समिति ने भी एक नई घोषणा की है. आंदोलन को नई धार देने के लिए उन्होंने शिव उपासना का आवाहन किया है और लोगों से अपील की है कि वह घर और आस-पास के शिवालयों में भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें.

महादेव की मुक्ति के लिए अब हर सोमवार को मंदिर और घर में होगा जलाभिषेक

अखिल भारतीय संत समिति का बड़ा एलान

ज्ञानवापी की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है, जिसकी तारीख 4 जुलाई निर्धारित की गई है. लेकिन उसके इतर ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग के दावे को प्रबल मानते हुए साधु-संतों ने महादेव की पूजा-अर्चना का ऐलान कर दिया है. इसकी तस्वीर बीते दिनों से लगातार वाराणसी में देखने को मिल रही है. इस आंदोलन को धार देते हुए अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने सोमवार को शिवालयों में अभिषेक का ऐलान किया है.

उन्होंने कहा है कि इस मामले का समाधान शिव उपासना से ही हो सकता है. हम सभी हिंदुओं से अपील करते हैं कि सभी लोग सोमवार के दिन अपने घरों और मंदिरों में महादेव का अभिषेक कर उनकी उपासना करें. उन्होंने कहा कि शिव उपासना के जरिए हमारे सिर्फ यही मनोकामना है कि न्यायालय में चल रहा प्रकरण जल्द समाप्त हो और हमारे बाबा मुक्त कराया जाएं.

इसे भी पढ़ेंः Gyanvapi Case: धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में आज आएगा फैसला

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के बैठक के बाद साधु -संत हुए सक्रिय

गौरतलब है कि, बीते दिनों तमाम मुस्लिम संगठनों की सभा के बाद हिंदू संगठन सक्रिय हुए हैं. संतों की ओर से जहां एक ओर बैठक की जा रही है. वहीं, दूसरी ओर ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा अर्चना करने की मांग भी तेजी से बढ़ती जा रही है. जिसको लेकर के अखिल भारतीय संत समिति जलाभिषेक का ऐलान किया गया है. बहरहाल अदालत के फैसले के बाद यह बातें स्पष्ट हो पाएंगी कि मंदिर परिसर में मिला पत्थर शिवलिंग है या कुछ और लेकिन साधु-संत सनातन परंपरा के संरक्षण का हवाला देकर आंदोलन को नई धार दे रहे हैं.

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