वाराणसी: सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में भगवान शिव देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत हैं. भगवान शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए शिवपुराण में अनेक व्रतों का उल्लेख मिलता है, जिसमें प्रदोष व्रत अत्यन्त शुभ फलदायी माना गया है.कलयुग में इस व्रत को शीघ्र चमत्कारी बतलाया गया है. प्रदोष व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली आती है, दुःख दारिद्र्य का नाश होता है. मनोकामना एवं अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तिथियों का व्रत रखने का विधान है. सूर्यास्त और रात्रि के सन्धिकाल को प्रदोषकाल माना जाता है.
प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषविद विमल जैन ने बताया कि प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किए जाने वाला प्रदोष व्रत इस बार 23 सितम्बर, शुक्रवार को रखा जाएगा. आश्विन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 22 सितम्बर, गुरुवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् बजकर 18 मिनट पर लग चुकी है जो कि अगले दिन 23 सितम्बर, शुक्रवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि का मान 23 सितम्बर, शुक्रवार को होने के फलस्वरूप प्रदोष व्रत इसी दिन रखा जाएगा.प्रदोषकाल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना गया है.
ऐसे करें प्रदोष व्रत और पूजा: ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान व पूजा-अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए. सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुनः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके प्रदोषकाल में भगवान शिवजी को विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
अश्विन शुक्र प्रदोष व्रत 2022 योग: भगवान शिवजी को क्या करें अर्पित भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि जो भी सुलभ हो, अर्पित करके श्रृंगार करना चाहिए. धूप-दीप प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए. परम्परा के अनुसार कहीं कहीं पर जगतजननी माता पार्वतीजी की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है.
प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) में शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है. भगवान् शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोषव्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए साथ ही व्रत से सम्बन्धित कथाएx भी सुननी चाहिए. प्रदोष व्रत महिलाएँ एवं पुरुष दोनों के लिए समानरूप से फलदायी बतलाया गया है. व्रतकर्ता के लिए विशेष व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए. अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखनी चाहिए, ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करना चाहिए. अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तुओं का दान करना चाहिए, साथ ही गरीबों व असहायों को सेवा व सहायता करनी चाहिए.
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