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मुजफ्फरनगर: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही आई सामने, मरीजों को उपलब्ध नहीं कराई गई एंबुलेंस

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉक डाउन कर दिया गया है. साथ ही निजी अस्पतालों सहित सरकारी अस्पतालों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे अपने अस्पताल में व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखें. इसके बावजूद मुजफ्फरनगर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आ रही है, जिसका खामियाजा आम आदमी को उठाना पड़ रहा है.

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Published : Mar 28, 2020, 7:41 AM IST

ठेले पर बैठा मरीज.
ठेले पर बैठा मरीज.

मुजफ्फरनगर: जिले में कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉक डाउन के दौरान जहां लोग अपने घरों में हैं, वहीं कुछ मजबूर लोग ऐसे भी हैं जिन्हें किसी कारणवश बाहर जाना पड़ता है. देश में कोरोना वायरस को लेकर अस्पतालों को तमाम तरह के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है. जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का सही से इलाज नहीं किया जा रहा है.

जानकारी देता पीड़िता का पति.

पहला मामला
जिले की नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के गांव नियाजउपुरा निवासी जरीफ की मां का पैर एक्सीडेंट में टूट गया था. जरीफ ने अपनी मां को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया. इलाज में लापरवाही के कारण पीड़ित ने जब डॉक्टरों से बातचीत की तो डॉक्टर ने उसकी मां को मेरठ रेफर कर दिया और एंबुलेंस देने से मना कर दिया. इसके बाद जरीफ अपनी मां को रेहड़ी में बैठाकर मेरठ के लिए रवाना हो गए.

दूसरा मामला
जिले के थाना शाहपुर क्षेत्र के गांव रसूलपुर निवासी युवक की 7 साल की बेटी का पैर टूट गया. बेटी के इलाज के लिए युवक ने एंबुलेंस बुलाने का प्रयास किया तो एंबुलेंस चालक ने उससे 2 हजार रुपए की मांग की. इसके बाद मजबूरी में युवक बेटी को इलाज के लिए प्राइवेट वाहन में लेकर अस्पताल के लिए निकल पड़ा.

तीसरा मामला
वहीं तीसरे मामले में एक मजबूर पिता बारिस में भी अपने बीमार बच्चे को रेहड़ी में ही लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचा था. बच्चे के पिता का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टरों ने बच्चे का इलाज न होने की बात कहकर वापस भेज दिया. एक तरफ देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है, तो वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टर और अधिकारी लापरवाही बरतने से परहेज नहीं कर रहे हैं.

मुजफ्फरनगर: जिले में कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉक डाउन के दौरान जहां लोग अपने घरों में हैं, वहीं कुछ मजबूर लोग ऐसे भी हैं जिन्हें किसी कारणवश बाहर जाना पड़ता है. देश में कोरोना वायरस को लेकर अस्पतालों को तमाम तरह के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है. जिले के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का सही से इलाज नहीं किया जा रहा है.

जानकारी देता पीड़िता का पति.

पहला मामला
जिले की नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के गांव नियाजउपुरा निवासी जरीफ की मां का पैर एक्सीडेंट में टूट गया था. जरीफ ने अपनी मां को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया. इलाज में लापरवाही के कारण पीड़ित ने जब डॉक्टरों से बातचीत की तो डॉक्टर ने उसकी मां को मेरठ रेफर कर दिया और एंबुलेंस देने से मना कर दिया. इसके बाद जरीफ अपनी मां को रेहड़ी में बैठाकर मेरठ के लिए रवाना हो गए.

दूसरा मामला
जिले के थाना शाहपुर क्षेत्र के गांव रसूलपुर निवासी युवक की 7 साल की बेटी का पैर टूट गया. बेटी के इलाज के लिए युवक ने एंबुलेंस बुलाने का प्रयास किया तो एंबुलेंस चालक ने उससे 2 हजार रुपए की मांग की. इसके बाद मजबूरी में युवक बेटी को इलाज के लिए प्राइवेट वाहन में लेकर अस्पताल के लिए निकल पड़ा.

तीसरा मामला
वहीं तीसरे मामले में एक मजबूर पिता बारिस में भी अपने बीमार बच्चे को रेहड़ी में ही लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचा था. बच्चे के पिता का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टरों ने बच्चे का इलाज न होने की बात कहकर वापस भेज दिया. एक तरफ देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है, तो वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टर और अधिकारी लापरवाही बरतने से परहेज नहीं कर रहे हैं.

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