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मेरठ: कोरोना पर 'वेबीनार' का आयोजन, वायरस के खतरे और उससे बचाव के उपायों पर चर्चा

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Published : May 6, 2020, 12:17 AM IST

देश में कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के बीच मेरठ की शोभित यूनिवर्सिटी में इस मुद्दे पर एक ऑनलाइन सेमीनार का आयोजन किया गया. जिसमें देश विदेश के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया.

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शोभित यूनिवर्सिटी मेरठ


मेरठ: शोभित यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित 'वेबीनार' में चीन के वुहान शहर से निकलकर दुनिया भर में तांडव मचाने वाले कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के उपायों पर चर्चा हुई. इस चर्चा में जर्मनी की प्रोफेसर अमीना ऑथर ने हिस्सा लिया. चर्चा के दौरान डॉ अमीना ऑथर ने इस दौरान बताया कि कैसे कोरोना वायरस भारत से पहले यूरोपीय देशों तक पहुंच गया. इसके अलावा इस वेबीनार में शोभित यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अमर प्रकाश गर्ग भी शामिल हुए.

भारत से पहले यूरोप कैसे पहुंचा कोरोना वायरस
इस वेबीनार मेें कोरोना संक्रमण पर चर्चा के दौरान शोभित यूनिविर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अमर प्रकाश गर्ग ने सवाल पूछा कि, चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना वायरस भारत से पहले यूरोपीय देशों तक कैसे पहुंच गया. जिसका जवाब देते हुए डॉ. अमीना ऑथर ने बताया कि चीन भारत के लोगों को अपने यहां मुख्य पदों पर वीजा बहुत कम देता है. खासतौर पर वुहान शहर में बेहद कम भारतीयों को वीजा उपलब्ध है. चीन की चेंजिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुकी डॉ अमीना ऑथर ने बताया कि, चीन में भारत के लोगों को प्रमुख पदों पर नियुक्तियां भी नहीं दी जाती हैं. जबकि यूरोपीय देशों को चीन बिल्कुल आसानी से वीजा दे देता है. यही कारण रहा कि कोरोना वायरस चीन से यूरोपियन देशों में सबसे पहले पहुंचा और यूरोपियन देशों से भारत में आया.

आसानी से नहीं जाता कोई भी वायरस
इसके साथ ही डॉ. अमीना ऑथर ने कोरोना वायरस को एक नेचुरल वायरस बताते हुए कहा कि, हमें इसे एक साधारण फ्लू की तरह ही लेना चाहिए, क्योंकि कोई भी वायरस आसानी से जाता नहीं है वह केवल निष्क्रिय हो जाता है. इसलिए हमें इसके रोकथाम के उपाय करने चाहिए. ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो आसानी से पच जाए. ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनसे शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ती रहे. इस वायरस के साथ जीने के लिए फिजिकल डिस्टेंस का ध्यान रखना होगा. हालांकि वेबीनार पर चर्चा के दौरान डॉ अमर प्रकाश गर्ग ने इसे नेचुरल वायरस होने पर संदेह जताया. उन्होंने कहा कि यदि यह नैचुरल होता तो हर प्रकार के मौसम में नहीं फैलता. इसके सभी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए.

लॉकडाउन ही बचाव का उपाय
वेबीनार में चर्चा के दौरान डॉ अमीना ऑथर ने कहा कि भारत में केवल कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय है. भारत में जनसंख्या अधिक है. अभी तक इस वायरस की कोई दवा भी नहीं आई हैै. ऐसे में भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन और सामाजिक दूरी ही फिलहाल इस वायरस से बचाव का रास्ता है.


ऐसे रखना होगा अपना ध्यान
शोभित यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अमर प्रकाश गर्ग ने कहा कि इस तरह के वातावरण में ए-सिंटोमेटिक लोग ज्यादा खतरनाक होते हैं. क्योंकि उनके अंदर किसी तरह का लक्षण दिखाई नहीं देता है. ऐसे लोगों से खुद को बचाना मुश्किल हो जाता है. इसीलिए हमें स्वस्थ रहने के लिए अपनी इम्युनिटी और खानपान पर ध्यान रखना होगा. योग-व्यायाम आदि के माध्यम से अपने आपको स्वस्थ रखना होगा. इसके अलावा सरकार को फूड सिक्योरिटी के तहत लोगों को हाई न्यूट्रीशन फूड मुहैया कराने होंगे.


मेरठ: शोभित यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित 'वेबीनार' में चीन के वुहान शहर से निकलकर दुनिया भर में तांडव मचाने वाले कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के उपायों पर चर्चा हुई. इस चर्चा में जर्मनी की प्रोफेसर अमीना ऑथर ने हिस्सा लिया. चर्चा के दौरान डॉ अमीना ऑथर ने इस दौरान बताया कि कैसे कोरोना वायरस भारत से पहले यूरोपीय देशों तक पहुंच गया. इसके अलावा इस वेबीनार में शोभित यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अमर प्रकाश गर्ग भी शामिल हुए.

भारत से पहले यूरोप कैसे पहुंचा कोरोना वायरस
इस वेबीनार मेें कोरोना संक्रमण पर चर्चा के दौरान शोभित यूनिविर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अमर प्रकाश गर्ग ने सवाल पूछा कि, चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना वायरस भारत से पहले यूरोपीय देशों तक कैसे पहुंच गया. जिसका जवाब देते हुए डॉ. अमीना ऑथर ने बताया कि चीन भारत के लोगों को अपने यहां मुख्य पदों पर वीजा बहुत कम देता है. खासतौर पर वुहान शहर में बेहद कम भारतीयों को वीजा उपलब्ध है. चीन की चेंजिंग मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुकी डॉ अमीना ऑथर ने बताया कि, चीन में भारत के लोगों को प्रमुख पदों पर नियुक्तियां भी नहीं दी जाती हैं. जबकि यूरोपीय देशों को चीन बिल्कुल आसानी से वीजा दे देता है. यही कारण रहा कि कोरोना वायरस चीन से यूरोपियन देशों में सबसे पहले पहुंचा और यूरोपियन देशों से भारत में आया.

आसानी से नहीं जाता कोई भी वायरस
इसके साथ ही डॉ. अमीना ऑथर ने कोरोना वायरस को एक नेचुरल वायरस बताते हुए कहा कि, हमें इसे एक साधारण फ्लू की तरह ही लेना चाहिए, क्योंकि कोई भी वायरस आसानी से जाता नहीं है वह केवल निष्क्रिय हो जाता है. इसलिए हमें इसके रोकथाम के उपाय करने चाहिए. ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो आसानी से पच जाए. ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें जिनसे शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ती रहे. इस वायरस के साथ जीने के लिए फिजिकल डिस्टेंस का ध्यान रखना होगा. हालांकि वेबीनार पर चर्चा के दौरान डॉ अमर प्रकाश गर्ग ने इसे नेचुरल वायरस होने पर संदेह जताया. उन्होंने कहा कि यदि यह नैचुरल होता तो हर प्रकार के मौसम में नहीं फैलता. इसके सभी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए.

लॉकडाउन ही बचाव का उपाय
वेबीनार में चर्चा के दौरान डॉ अमीना ऑथर ने कहा कि भारत में केवल कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय है. भारत में जनसंख्या अधिक है. अभी तक इस वायरस की कोई दवा भी नहीं आई हैै. ऐसे में भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन और सामाजिक दूरी ही फिलहाल इस वायरस से बचाव का रास्ता है.


ऐसे रखना होगा अपना ध्यान
शोभित यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अमर प्रकाश गर्ग ने कहा कि इस तरह के वातावरण में ए-सिंटोमेटिक लोग ज्यादा खतरनाक होते हैं. क्योंकि उनके अंदर किसी तरह का लक्षण दिखाई नहीं देता है. ऐसे लोगों से खुद को बचाना मुश्किल हो जाता है. इसीलिए हमें स्वस्थ रहने के लिए अपनी इम्युनिटी और खानपान पर ध्यान रखना होगा. योग-व्यायाम आदि के माध्यम से अपने आपको स्वस्थ रखना होगा. इसके अलावा सरकार को फूड सिक्योरिटी के तहत लोगों को हाई न्यूट्रीशन फूड मुहैया कराने होंगे.

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