मेरठ: कृषि कानून के विरोध में दिल्ली की सीमा पर धरने पर बैठे भाकियू कार्यकर्ताओं ने अब 1 अगस्त से दूसरा आंदोलन चालू करने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके जरिए गांवों में जाकर सरकार की किसान विरोधी नीतियों के बारे में चौपाल लगाने की योजना है.
केंद्र सरकार के कृषि कानून व न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले कई महीने से आंदोलन चल रहा है. भाकियू ने अब आंदोलन के दूसरे चरण की रणनीति बनाई है. आंदोलन के दूसरे चरण में भाकियू के बैनर तले कार्यकर्ता किसानों के गन्ने का साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये बकाया भुगतान, बिजली दर, शिक्षा, स्वास्थ्य और पानी के मुद्दे को लेकर गांवों में जाएंगे. भारतीय किसान यूनियन कार्यकर्ता किसानों को अपने पक्ष में जोड़ने का काम करेंगे. भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 11 जुलाई को भाकियू अपने 18 मंडलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक करेगी. इसमें रणनीति स्पष्ट रूप से बतायी जाएगी.
उन्होंने बताया कि कृषि कानून और एमएसपी के मुद्दे पर आंदोलन पिछले सात महीने से चल रहा है. प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा गन्ना किसानों का है. इनका साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी किसानों को गन्ने का बकाया भुगतान नहीं मिल रहा है. जबकि देश भर में गन्ना किसानों का साढ़े 21 हजार करोड़ रुपये सरकार पर बकाया है.
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केंद्र व प्रदेश सरकार ने अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया. इसके अलावा बिजली के बढ़ते दाम से भी किसान परेशान हैं. अब भारतीय किसान यूनियन ने तय किया कि 11 जुलाई को 18 मंडलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक होगी. इसमें रणनीति बनाई जाएगी. एक अगस्त से गांव-गांव में जाकर लोगों को विभिन्न मुद्दों के तीन कृषि कानून व एमएसपी को लेकर जागरूक किया जाएगा.