मथुरा: गोवर्धन के राधा कुंड में अहोई अष्टमी की रात में लोगों ने अस्था की डुबकी लगाई. रविवार को राधा कुंड में महिलाओं ने पुत्र प्राप्ति के लिए स्नान किया. लाखों की संख्या में भक्तजन यहां पहुंचे थे.
अहोई अष्टमी स्नान को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. गोवर्धन परिसर को पूरे 12 जोन, आठ सेक्टर में बांटा गया था. ऐसी मान्यता है कि अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि 12 बजे कुंड में स्नान (Devotees take dip in Radha Kund of Mathura) करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां अपनी अस्था लेकर आते हैं और उनकी मनोकामना एक साल के अंदर पूरी हो जाती है. राधा कुंड में पति-पत्नी एक साथ स्नान करते हैं तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है. बता दें कि अहोई अष्टमी स्नान को पुत्र प्राप्ति स्नान भी कहा जाता है. यहां विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं. इसके लिए जिला प्रशासन 15 दिन पहले से ही तैयारियों में जुट जाता है. ताकि किसी भी श्रद्धालु को कोई असुविधा न हो.
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जिला प्रशासन ने अहोई अष्टमी स्नान को लेकर गोवर्धन के राधा कुंड (Radha Kund in Mathura) परिसर को 12 जोन और 8 सेक्टरों में बांटा है. सभी श्रद्धालुओं के आने और जाने के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए हैं. स्नान के समय कुंड के पास लाखों की संख्या में भीड़ एकत्रित हो जाती है. वहीं, पुलिस पीएसी के साथ सादा कपड़ों में भी पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. अहोई अष्टमी स्नान रविवार रात 12 बजे से दूसरे दिन सोमवार 12 बजे तक होता है.
ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में कृष्ण को मारने के लिए राक्षस अलग-अलग वेशभूषा धारण करके आते थे. बछड़े के रूप में राक्षस का वध किया गया. तो कृष्ण भगवान पर गौ हत्या का पाप लगा था. राधा जी ने अपने प्रियतम कृष्ण से कहा पाप से मुक्ति पाने के लिए आपको गोवर्धन में देवी-देवताओं का आह्नान करना पड़ेगा. भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बंसी से कुंड का निर्माण किया और कुंड में सभी देवी देवताओं का वास हुआ. कृष्ण ने राधा जी के संग कुंड में स्नान किया और कहा जो भी पति पत्नी अहोई अष्टमी की मध्यरात्रि इस कुंड में स्नान करेगा, उसे पुत्र प्राप्ति होगी तभी से राधा कुंड में स्नान करने की परंपरा चली आ रही है.
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