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मथुरा: विप्रों ने यमुना में लगाई डुबकी, पापों के प्रायश्चित के लिये की विशेष पूजा

यूपी के मथुरा में श्रावणी पर्व पर गुरुवार को विप्रों के साथ आचार्य विष्णुकांत शास्त्री केसी घाट पहुंचे. आचार्य ने विप्रों को श्रावणी पर्व का महत्व बताते हुए यमुना जी में पूजा-स्नान किया.

ब्राह्मणों   ने पवित्रता के लिए यमुना स्नान कर पूजा की
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Published : Aug 16, 2019, 9:35 AM IST

मथुरा: रक्षाबंधन के पावन पर्व पर वृंदावन के केसी घाट पर साधू-संतों ने यमुना में आस्था की डुबकी लगाई. आचार्य विष्णुकांत शास्त्री के साथ बड़ी संख्या में विप्रों ने यमुना स्नान कर पूजा-अर्चना की. श्रावणी उपाकर्म के विशेष महत्व को देखते हुए गुरुवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु केसी घाट पहुंचे.

ब्राह्मणों ने पवित्रता के लिए यमुना में स्नान कर की पूजा.

आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने बताया-

  • श्रावणी पूर्व वैदिक काल से शरीर मन और इंद्रियों की पवित्रता का पुण्य पर्व माना जाता है.
  • रक्षाबंधन पर श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाने वाला श्रावणी उपाकर्म ब्राह्मणों का सबसे बड़ा पर्व है.
  • श्रावणी उपाकर्म विधि के माध्यम से विप्रों ने गोबर, गोमूत्र, प्राशन कर शरीर के अंतः करण को शुद्ध किया.
  • श्रावणी पर्व पर हम सभी को पवित्रता के लिए गंगा स्नान करना चाहिए.
  • श्रावणी पर्व को आत्मशुद्धि का पर्व भी माना जाता है.

इसे भी पढ़ें:- मथुरा: रंगनाथ मंदिर में गज ग्रह लीला का हुआ आयोजन

ब्राह्मण वर्ष भर अपने यजमान के लिए यज्ञ, पूजा, हवन करते हैं और वर्ष में श्रावणी पर्व के दिन ही वह अपने लिए पूजन हवन करते हैं. इस पूजन से उनसे जाने-अनजाने में हुए पापों के प्रायश्चित एवं भविष्य में पुण्य कर्म उनसे अधिकाधिक संपन्न हो, इसके लिए वह पूजन करते हैं.
आचार्य विष्णुकांत शास्त्री

मथुरा: रक्षाबंधन के पावन पर्व पर वृंदावन के केसी घाट पर साधू-संतों ने यमुना में आस्था की डुबकी लगाई. आचार्य विष्णुकांत शास्त्री के साथ बड़ी संख्या में विप्रों ने यमुना स्नान कर पूजा-अर्चना की. श्रावणी उपाकर्म के विशेष महत्व को देखते हुए गुरुवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु केसी घाट पहुंचे.

ब्राह्मणों ने पवित्रता के लिए यमुना में स्नान कर की पूजा.

आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने बताया-

  • श्रावणी पूर्व वैदिक काल से शरीर मन और इंद्रियों की पवित्रता का पुण्य पर्व माना जाता है.
  • रक्षाबंधन पर श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाने वाला श्रावणी उपाकर्म ब्राह्मणों का सबसे बड़ा पर्व है.
  • श्रावणी उपाकर्म विधि के माध्यम से विप्रों ने गोबर, गोमूत्र, प्राशन कर शरीर के अंतः करण को शुद्ध किया.
  • श्रावणी पर्व पर हम सभी को पवित्रता के लिए गंगा स्नान करना चाहिए.
  • श्रावणी पर्व को आत्मशुद्धि का पर्व भी माना जाता है.

इसे भी पढ़ें:- मथुरा: रंगनाथ मंदिर में गज ग्रह लीला का हुआ आयोजन

ब्राह्मण वर्ष भर अपने यजमान के लिए यज्ञ, पूजा, हवन करते हैं और वर्ष में श्रावणी पर्व के दिन ही वह अपने लिए पूजन हवन करते हैं. इस पूजन से उनसे जाने-अनजाने में हुए पापों के प्रायश्चित एवं भविष्य में पुण्य कर्म उनसे अधिकाधिक संपन्न हो, इसके लिए वह पूजन करते हैं.
आचार्य विष्णुकांत शास्त्री

Intro:वृंदावन थाना क्षेत्र अंतर्गत रक्षाबंधन के पावन पर्व पर नगर के केसी घाट पर ब्राह्मणों ने यमुना स्नान व पूजा अर्चना कर श्रावणी पर्व मनाया. आचार्य विष्णुकांत शास्त्री के आचार्यत्व मैं बड़ी संख्या में विप्रो ने पवित्रता को यमुना स्नान कर पूजा की. श्रावणी उपाकर्म के विशेष महत्व को देखते हुए गुरुवार को बड़ी संख्या में विप्र गण केसी घाट पहुंचे ,जहां यमुना की गोद में सभी ने आस्था की डुबकी लगाकर इस पर्व को बनाया.


Body:इस पर्व को आत्म शुद्धि का पर्व मारा जाता है ,सरल भाषा में यदि कहा जाए तो ब्राह्मण वर्ष भर अपने यजमान के लिए यज्ञ पूजा हवन आदि करता है. लेकिन वर्ष में 1 दिन ही वह स्वयं के लिए पूजन हवन आदि करता है. इस पूजन से उसके द्वारा जाने अनजाने में हुए पापों के प्रायश्चित एवं भविष्य में पुण्य कर्म उसके द्वारा ,अधिकाधिक संपन्न हो ,इसके लिए वह पूजन करता है.


Conclusion:श्रावणी पूर्व वैदिक काल से शरीर मन और इंद्रियों की पवित्रता का पुण्य पर्व माना जाता है. रक्षाबंधन पर श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाने वाले श्रावणी उपाकर्म ब्राह्मणों का सबसे बड़ा पर्व है. आचार्य विष्णुकांत शास्त्री के आचार्यत्व मैं विप्रो ने गोबर, गोमूत्र, प्राशन कर शरीर के अतः कारण को शुद्ध किया. श्रावणी उपाकर्म के महत्व एवं मान्यता के बारे में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने जानकारी दी.
बाइट -विष्णुकांत शास्त्री
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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