लखनऊ: योगी सरकार 2.0 कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन कैमरे की यूनिट्स बनाने की तैयारी कर रही है. गृह विभाग बॉडीवॉर्म कैमरे, नाइट विजन युक्त ड्रोन कैमरे और हाईटेक ड्रोन कैमरे खरीद कर यूनिट बनाने की तैयारी कर रहा है. हर जिले में सीओ के अधीन ये यूनिट बनाई जाएगी. इसकी मदद से वो अपने क्षेत्र के संवेदनशील और अतिसंवेदनशील इलाकों में नजर रख सकेंगे. अपराधियों को पकड़ने के लिए इन ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा.
डीजी लॉजिस्टिक बीके मौर्य के मुताबिक उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) अभी 3635 बॉडी वॉर्म कैमरे इस्तेमाल कर रही है. जल्द ही योगी सरकार 25 हजार नए कैमरे लेगी. अभी तक 75 ड्रोन कैमरे यूपी पुलिस के पास थे. अब 425 नए ड्रोन कैमरे और लिए जाएंगे. इन ड्रोन की खास बात ये होगी कि इनके कैमरों से रिकॉर्ड की गयी फुटेज को हटाया नहीं जा सकता है. साथ ही फुटेज को सेंट्रल सर्वर पर आसानी से भेजा जा सकता है.
कानपुर में विकास दुबे के घर दबिश डालने गयी पुलिस की टीम के पास उस वक्त अगर ड्रोन कैमरे होते, तो शायद 8 पुलिसकर्मी शहीद नहीं होते. डीजी लॉजिस्टिक बीके मौर्य ने बताया कि ये ड्रोन नाइट विजन कैमरे से लैस होते हैं, जिससे पुलिसकर्मी को भेजे बिना ही अपराधी के ठिकाने की भौगोलिक स्थिति पता लग जाती है. साथ ही ये भी पता लग जाता है कि वहां पर कितने लोग मौजूद हैं. हथियार हैं या नहीं. भागने का कोई दूसरा रास्ता है या नहीं. इनकी मदद से अपराधी आसानी से पकड़ा जा सकता है.
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लखनऊ पुलिस कमिश्ररेट में तैनात पुलिसकर्मी के मुताबिक लखनऊ समेत कई जिलों में NPR (नंबर प्लेट रिकॉर्ड) कैमरे एक्टिव मोड में रहते हैं. यदि कोई अपराधी किसी घटना को अंजाम देकर भागता है और उसका चेहरा या उसकी गाड़ी के नंबर की एक छोटी सी झलक भी एनपीआर में कैद होती है, तो तुरंत उस गाड़ी के सभी संभावित रूट मैप मिल जाते हैं. इससे अधिकतम 2 मिनट में ड्रोन कैमरों की मदद से अपराधी को फॉलो कर सकते हैं. 60 फीट की ऊंचाई से ड्रोन कई गलियों को कवर करता है. ऐसे में आसानी अपराधी के रास्ते को मैप कर सकते हैं. पुलिस की टीम को सूचना दी जा सकेगी.
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