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युद्धस्तर पर हो रहा मथुरा का विकास, चार वर्ष में चार सौ करोड़ की योजनाएं स्वीकृत

भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीराधारानी की लीलास्थली रहे पवित्र ब्रज भूमि को भगवान श्रीकृष्ण का नित्यवास स्थल माना जाता है. यह लीलास्थल आज भी श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के आस्था के केंद्र हैं. पूरे साल यहां देश-विदेश के पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है.

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Published : Aug 24, 2022, 5:14 PM IST

लखनऊ : प्रदेश सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही मथुरा का द्वापरकालीन वैभव लौटने का हर संभव प्रयास कर रही है. सबसे पहले 'उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद' का गठन कर उन्होंने मथुरा ही नहीं, राधा कृष्ण की लीलास्थली रही पूरे ब्रज क्षेत्र के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर दी. यही नहीं उनके दूसरे कार्यकाल में मंत्रिपरिषद के समक्ष हुए प्रस्तुतिकरण में भी पर्यटन विभाग ने धार्मिक लिहाज से जिन पांच शहरों को वैश्विक स्तर की सुविधाओं से संतृप्त करने का लक्ष्य रखा है, उनमें मथुरा भी है. बाकी शहर काशी, अयोध्या, चित्रकूट और गोरखपुर हैं.


उल्लेखनीय है कि भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीराधारानी की लीलास्थली रहे पवित्र ब्रज भूमि को भगवान श्रीकृष्ण का नित्यवास स्थल माना जाता है. यह लीलास्थल आज भी श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के आस्था के केंद्र हैं. पूरे साल यहां देश-विदेश के पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है. इसमें ब्रज क्षेत्र के आठ स्थल (वृंदावन बरसाना, नंदगांव गोवर्धन, राधाकुंड, गोकुल, बलदेव एवं मथुरा) धार्मिक लिहाज से सबसे प्रमुख हैं. इनको ब्रज का धरोहर माना जाता है. इन धरोहरों की पुनर्प्रतिष्ठा के उद्देश्य से ही उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया गया है.

मथुरा का विकास
मथुरा का विकास

2018 से 2022 तक योगी सरकार द्वारा लगभग 400 करोड़ रुपये की 102 परियोजनाएं स्वीकृत की गईं. इनमें से 75 फीसद पूरी हो चुकी हैं. ब्रज चौरासी कोस में मथुरा जिले की सीमा में आने वाली जगहों के नियोजित, समन्वित और सर्वांगीण विकास के साथ ब्रज की विरासत और संस्कृति संरक्षण के लिए गठन के बाद से ही ब्रज तीर्थ विकास परिषद लगातार काम कर रहा है. नंदगांव, गोवर्धन, गोकुल, महावन स्थित रसखान समाधि, चिंताहरण महादेव घाट, ब्रह्मांड घाट, भांडीर वन, भद्रवन, बंशीवट आदि धार्मिक स्थलों का तीर्थ एवं पर्यटन की दृष्टि से विकास कराया जा चुका है.

मथुरा का विकास
मथुरा का विकास

राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े सभी आठ स्थानों को सरकार तीर्थ स्थल घोषित कर चुकी है. यहां के प्रमुख पर्वों (रंगोत्सव, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक) को भव्य स्वरूप प्रदान किया गया. साथ ही देश-विदेश में इसकी शानदार ब्रांडिंग भी की गई. इससे 2017 के बाद से रंगोत्सव का पर्व लगातार चटक होता गया है. यही वजह रही कि 2017 से 2019 के दौरान यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या 5.6 करोड़ से बढ़कर 7.2 करोड़ तक पहुंच गई. आगे के दो साल वैश्विक महामारी कोविड के कारण प्रभावित रहे. 2022 में यह संख्या फिर बढ़ रही है. मार्च 2022 तक यहां 0.98 करोड़ पर्यटकों का आगमन हुआ था. यह 2020 में आने वाले 1.1 करोड़ पर्यटकों से थोड़ा ही कम है. इस बार जन्माष्टमी के दिन मुख्यमंत्री खुद मथुरा में थे. इस बार जन्माष्टमी में वहां 20 लाख से अधिक पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आना हुआ.

यह भी पढ़ें : पिछड़े ब्लॉक मुख्यालयों में विकास योजनाओं की शासन से होगी निगरानी

परिषद के गठन के बाद बरसाना एवं नंदगांव की विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली को राजकीय मेला घोषित किया गया है. रंगोत्सव एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के माध्यम से ब्रज की सांस्कृतिक कलाओं को प्रदर्शित करने के लिए यहां के लोक कलाकारों को एक बेहतर अवसर प्राप्त हुआ है. केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने प्रसाद योजना के तहत करीब 40 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की मंजूरी दी है. इसके तहत गोवर्धन का समेकित विकास कराया जा रहा है.

यह भी पढ़ें : योगी सरकार की एकतरफा कार्रवाई के आरोप पर क्या बोले जेडीयू नेता धनंजय सिंह, देखिए

लखनऊ : प्रदेश सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही मथुरा का द्वापरकालीन वैभव लौटने का हर संभव प्रयास कर रही है. सबसे पहले 'उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद' का गठन कर उन्होंने मथुरा ही नहीं, राधा कृष्ण की लीलास्थली रही पूरे ब्रज क्षेत्र के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर दी. यही नहीं उनके दूसरे कार्यकाल में मंत्रिपरिषद के समक्ष हुए प्रस्तुतिकरण में भी पर्यटन विभाग ने धार्मिक लिहाज से जिन पांच शहरों को वैश्विक स्तर की सुविधाओं से संतृप्त करने का लक्ष्य रखा है, उनमें मथुरा भी है. बाकी शहर काशी, अयोध्या, चित्रकूट और गोरखपुर हैं.


उल्लेखनीय है कि भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीराधारानी की लीलास्थली रहे पवित्र ब्रज भूमि को भगवान श्रीकृष्ण का नित्यवास स्थल माना जाता है. यह लीलास्थल आज भी श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के आस्था के केंद्र हैं. पूरे साल यहां देश-विदेश के पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है. इसमें ब्रज क्षेत्र के आठ स्थल (वृंदावन बरसाना, नंदगांव गोवर्धन, राधाकुंड, गोकुल, बलदेव एवं मथुरा) धार्मिक लिहाज से सबसे प्रमुख हैं. इनको ब्रज का धरोहर माना जाता है. इन धरोहरों की पुनर्प्रतिष्ठा के उद्देश्य से ही उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया गया है.

मथुरा का विकास
मथुरा का विकास

2018 से 2022 तक योगी सरकार द्वारा लगभग 400 करोड़ रुपये की 102 परियोजनाएं स्वीकृत की गईं. इनमें से 75 फीसद पूरी हो चुकी हैं. ब्रज चौरासी कोस में मथुरा जिले की सीमा में आने वाली जगहों के नियोजित, समन्वित और सर्वांगीण विकास के साथ ब्रज की विरासत और संस्कृति संरक्षण के लिए गठन के बाद से ही ब्रज तीर्थ विकास परिषद लगातार काम कर रहा है. नंदगांव, गोवर्धन, गोकुल, महावन स्थित रसखान समाधि, चिंताहरण महादेव घाट, ब्रह्मांड घाट, भांडीर वन, भद्रवन, बंशीवट आदि धार्मिक स्थलों का तीर्थ एवं पर्यटन की दृष्टि से विकास कराया जा चुका है.

मथुरा का विकास
मथुरा का विकास

राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े सभी आठ स्थानों को सरकार तीर्थ स्थल घोषित कर चुकी है. यहां के प्रमुख पर्वों (रंगोत्सव, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक) को भव्य स्वरूप प्रदान किया गया. साथ ही देश-विदेश में इसकी शानदार ब्रांडिंग भी की गई. इससे 2017 के बाद से रंगोत्सव का पर्व लगातार चटक होता गया है. यही वजह रही कि 2017 से 2019 के दौरान यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या 5.6 करोड़ से बढ़कर 7.2 करोड़ तक पहुंच गई. आगे के दो साल वैश्विक महामारी कोविड के कारण प्रभावित रहे. 2022 में यह संख्या फिर बढ़ रही है. मार्च 2022 तक यहां 0.98 करोड़ पर्यटकों का आगमन हुआ था. यह 2020 में आने वाले 1.1 करोड़ पर्यटकों से थोड़ा ही कम है. इस बार जन्माष्टमी के दिन मुख्यमंत्री खुद मथुरा में थे. इस बार जन्माष्टमी में वहां 20 लाख से अधिक पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आना हुआ.

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परिषद के गठन के बाद बरसाना एवं नंदगांव की विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली को राजकीय मेला घोषित किया गया है. रंगोत्सव एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के माध्यम से ब्रज की सांस्कृतिक कलाओं को प्रदर्शित करने के लिए यहां के लोक कलाकारों को एक बेहतर अवसर प्राप्त हुआ है. केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने प्रसाद योजना के तहत करीब 40 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की मंजूरी दी है. इसके तहत गोवर्धन का समेकित विकास कराया जा रहा है.

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