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एनओसी में वाहन मालिक कर रहे खेल, विभाग को जमकर लग रहा राजस्व का चूना

वाहन मालिक गैर जिलों के लिए वाहन के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) में जमकर खेल कर रहे हैं. इससे परिवहन विभाग को राजस्व का बड़ा चूना लग रहा है. आरटीओ कार्यालय से जिस जिले में प्रदूषण की मात्रा कम है, वहां के आरटीओ कार्यालय में वाहन दर्ज कराने के लिए एनओसी ले रहे हैं.

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एनओसी में वाहन मालिक कर रहे हैं खेल
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Published : May 3, 2022, 7:36 PM IST

लखनऊ : वाहन स्वामी गैर जिलों के लिए वाहन के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) में जमकर खेल कर रहे हैं. इससे परिवहन विभाग को राजस्व का बड़ा चूना लग रहा है. वाहन मालिक उस जिले में जहां वाहन की उम्र पूरी होने के बाद दोबारा रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते हैं. वहां के आरटीओ कार्यालय से जिस जिले में प्रदूषण की मात्रा कम है, वहां के आरटीओ कार्यालय में वाहन दर्ज कराने के लिए एनओसी ले रहे हैं. जहां के लिए एनओसी ले रहे हैं, वहां भी वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं. लिहाजा, विभाग को न रजिस्ट्रेशन का पैसा मिल रहा है और न ही टैक्स का. बड़ी संख्या में वाहन मालिकों ने इस तरह का खेल किया है. इसके बाद अब परिवहन विभाग के अधिकारियों के कान खड़े हुए हैं. मामले को लेकर गंभीरता दिखाई जा रही है.

2019 से लेकर 2022 के विधानसभा चुनाव तक ट्रक, बस मालिक, ऑटो और टेंपो संचालकों ने एनओसी को लेकर बड़ा खेल किया है. अब जबकि परिवहन विभाग के संज्ञान में मामला आया है तो कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है. बाकायदा परिवहन विभाग मुख्यालय से सभी आरटीओ कार्यालयों के लिए एक पत्र जारी किया गया है. इसके तहत एनओसी लेने वाले वाहन मालिकों के वाहनों पर नजर रखने और उनका ब्यौरा जुटाने के लिए कहा गया है.

कार्यालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद जिस जिले के आरटीओ कार्यालय में वाहन रजिस्टर्ड कराना है, वहां रजिस्टर्ड कराया है या नहीं, इसकी जानकारी जुटाए जाने के निर्देश दिए गए हैं. आईटीएमएस के जरिए ऐसे वाहनों पर नजर रखने के भी निर्देश मुख्यालय स्तर से दिए गए हैं जो दूसरे जिलों में दर्ज भी नहीं हुए और उन्होंने एनओसी भी ले रखी है.

लखनऊ में पकड़े गए सात वाहन : परिवहन विभाग के सीनियर अधिकारी वीके सोनकिया (Senior Officer of Transport Department) बताते हैं कि अब तक लखनऊ जोन में ही ऐसे 37 वाहनों की शिकायत सामने आ चुकी हैं. सात तो अकेले लखनऊ में ही पकड़े जा चुके हैं. यह सभी ऑटो और टेंपो हैं. बड़ी संख्या में ऐसे वाहन प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित हो रहे हैं. इन वाहनों की धरपकड़ की जाएगी. राजस्व को चूना लगाने वाले ऐसे वाहन मालिकों के खिलाफ परिवहन विभाग कार्रवाई भी करेगा.

इसे भी पढ़ेंः अब 60 रुपये में एक हजार लीटर प्रदूषित पानी को साफ करेगा MMMTU का माइक्रोजेल

आईटीएमएस की लिए जा रही मदद : परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की राजधानी समेत प्रदेश के 10 शहरों में इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) की व्यवस्था है. अब आईटीएमएस से ऐसे वाहनों पर निगरानी रखी जा रही है. उनका कहना है कि ऑटो और टेंपो शहर में संचालित होते हैं. ऐसे में दिन में आईटीएमएस से नजर रखकर इन वाहनों को पकड़ा जा रहा है. ट्रकों की शहर में दिन में एंट्री नहीं होती. ऐसे में रात में भी आईटीएमएस के जरिए नजर रखने को कहा गया है.

इस तरह करते हैं खेल : दरअसल, उत्तर प्रदेश के 36 से ज्यादा ऐसे जिले हैं जो प्रदूषण के जद में हैं. इन जिलों में परिवहन विभाग ने 10 साल से ऊपर डीजल वाहनों और 15 साल से ऊपर पेट्रोल वाहनों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था पर रोक लगा दी है. उदाहरण के तौर पर लखनऊ में आयु पूरी कर चुके वाहन दोबारा रजिस्टर्ड नहीं हो सकते. ऐसे में वाहन मालिक यहां से हरदोई या आसपास के अन्य जिले जहां प्रदूषण की मात्रा कम है, वहां के लिए एनओसी ले रहे हैं. वहां पर वाहन भी रजिस्टर्ड नहीं करा रहे हैं. शहर की सड़क से वाहन हटा भी नहीं रहे हैं. एक ही परमिट पर नया वाहन खरीद कर संचालित भी कर रहे हैं. पुराने वाहन की चेसिस कटवाने की प्रक्रिया तो आरटीओ कार्यालय से पूरी करा लेते हैं लेकिन चेसिस जमा ही नहीं करते. इसी परमिट पर दूसरा वाहन भी खरीद लेते हैं जिससे पहले वाला वाहन भी सड़क पर संचालित होता रहता है. दूसरा नया वाहन भी उतार दिया जाता है.

क्या कहते हैं अधिकारी : परिवहन आयुक्त कार्यालय पर तैनात एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (प्रवर्तन) वीके सोनकिया ने बताया कि एनओसी लेकर दूसरे जिलों में वाहन रजिस्टर्ड न कराकर और टैक्स चोरी करने वाले ऐसे वाहनों की शिकायत प्राप्त हुई है. आईटीएमएस के जरिए इन सभी वाहनों पर नजर रखी जा रही है. एनओसी के बाद हरहाल में 30 दिन के अंदर संबंधित जिले में रजिस्ट्रेशन कराना होता है. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो रजिस्ट्रेशन रद्द करने और परमिट निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी. सभी आरटीओ कार्यालय को इससे संबंधित पत्र भेज दिया गया है.

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लखनऊ : वाहन स्वामी गैर जिलों के लिए वाहन के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) में जमकर खेल कर रहे हैं. इससे परिवहन विभाग को राजस्व का बड़ा चूना लग रहा है. वाहन मालिक उस जिले में जहां वाहन की उम्र पूरी होने के बाद दोबारा रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकते हैं. वहां के आरटीओ कार्यालय से जिस जिले में प्रदूषण की मात्रा कम है, वहां के आरटीओ कार्यालय में वाहन दर्ज कराने के लिए एनओसी ले रहे हैं. जहां के लिए एनओसी ले रहे हैं, वहां भी वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं. लिहाजा, विभाग को न रजिस्ट्रेशन का पैसा मिल रहा है और न ही टैक्स का. बड़ी संख्या में वाहन मालिकों ने इस तरह का खेल किया है. इसके बाद अब परिवहन विभाग के अधिकारियों के कान खड़े हुए हैं. मामले को लेकर गंभीरता दिखाई जा रही है.

2019 से लेकर 2022 के विधानसभा चुनाव तक ट्रक, बस मालिक, ऑटो और टेंपो संचालकों ने एनओसी को लेकर बड़ा खेल किया है. अब जबकि परिवहन विभाग के संज्ञान में मामला आया है तो कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है. बाकायदा परिवहन विभाग मुख्यालय से सभी आरटीओ कार्यालयों के लिए एक पत्र जारी किया गया है. इसके तहत एनओसी लेने वाले वाहन मालिकों के वाहनों पर नजर रखने और उनका ब्यौरा जुटाने के लिए कहा गया है.

कार्यालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के बाद जिस जिले के आरटीओ कार्यालय में वाहन रजिस्टर्ड कराना है, वहां रजिस्टर्ड कराया है या नहीं, इसकी जानकारी जुटाए जाने के निर्देश दिए गए हैं. आईटीएमएस के जरिए ऐसे वाहनों पर नजर रखने के भी निर्देश मुख्यालय स्तर से दिए गए हैं जो दूसरे जिलों में दर्ज भी नहीं हुए और उन्होंने एनओसी भी ले रखी है.

लखनऊ में पकड़े गए सात वाहन : परिवहन विभाग के सीनियर अधिकारी वीके सोनकिया (Senior Officer of Transport Department) बताते हैं कि अब तक लखनऊ जोन में ही ऐसे 37 वाहनों की शिकायत सामने आ चुकी हैं. सात तो अकेले लखनऊ में ही पकड़े जा चुके हैं. यह सभी ऑटो और टेंपो हैं. बड़ी संख्या में ऐसे वाहन प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित हो रहे हैं. इन वाहनों की धरपकड़ की जाएगी. राजस्व को चूना लगाने वाले ऐसे वाहन मालिकों के खिलाफ परिवहन विभाग कार्रवाई भी करेगा.

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आईटीएमएस की लिए जा रही मदद : परिवहन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की राजधानी समेत प्रदेश के 10 शहरों में इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) की व्यवस्था है. अब आईटीएमएस से ऐसे वाहनों पर निगरानी रखी जा रही है. उनका कहना है कि ऑटो और टेंपो शहर में संचालित होते हैं. ऐसे में दिन में आईटीएमएस से नजर रखकर इन वाहनों को पकड़ा जा रहा है. ट्रकों की शहर में दिन में एंट्री नहीं होती. ऐसे में रात में भी आईटीएमएस के जरिए नजर रखने को कहा गया है.

इस तरह करते हैं खेल : दरअसल, उत्तर प्रदेश के 36 से ज्यादा ऐसे जिले हैं जो प्रदूषण के जद में हैं. इन जिलों में परिवहन विभाग ने 10 साल से ऊपर डीजल वाहनों और 15 साल से ऊपर पेट्रोल वाहनों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था पर रोक लगा दी है. उदाहरण के तौर पर लखनऊ में आयु पूरी कर चुके वाहन दोबारा रजिस्टर्ड नहीं हो सकते. ऐसे में वाहन मालिक यहां से हरदोई या आसपास के अन्य जिले जहां प्रदूषण की मात्रा कम है, वहां के लिए एनओसी ले रहे हैं. वहां पर वाहन भी रजिस्टर्ड नहीं करा रहे हैं. शहर की सड़क से वाहन हटा भी नहीं रहे हैं. एक ही परमिट पर नया वाहन खरीद कर संचालित भी कर रहे हैं. पुराने वाहन की चेसिस कटवाने की प्रक्रिया तो आरटीओ कार्यालय से पूरी करा लेते हैं लेकिन चेसिस जमा ही नहीं करते. इसी परमिट पर दूसरा वाहन भी खरीद लेते हैं जिससे पहले वाला वाहन भी सड़क पर संचालित होता रहता है. दूसरा नया वाहन भी उतार दिया जाता है.

क्या कहते हैं अधिकारी : परिवहन आयुक्त कार्यालय पर तैनात एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (प्रवर्तन) वीके सोनकिया ने बताया कि एनओसी लेकर दूसरे जिलों में वाहन रजिस्टर्ड न कराकर और टैक्स चोरी करने वाले ऐसे वाहनों की शिकायत प्राप्त हुई है. आईटीएमएस के जरिए इन सभी वाहनों पर नजर रखी जा रही है. एनओसी के बाद हरहाल में 30 दिन के अंदर संबंधित जिले में रजिस्ट्रेशन कराना होता है. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो रजिस्ट्रेशन रद्द करने और परमिट निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी. सभी आरटीओ कार्यालय को इससे संबंधित पत्र भेज दिया गया है.

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