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केजीएमयू में स्टूडेंट ने टीबी बीमारी की बारीकियों को समझा, जानिए विशेषज्ञों ने क्या कहा

उत्तर प्रदेश ट्यूबरक्लोसिस काउंसिल 16वीं वार्षिक कांफ्रेंस यूपीटीबीसीकान 2022 (UPTBCCON 2022) का तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार से शुरू हो गया है. केजीएमयू के शताब्दी अस्पताल फेस 2 में यूपीटीबीसीकान कार्यक्रम आयोजित हुआ.

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Published : Oct 7, 2022, 9:06 PM IST

लखनऊ : देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है. इसको लेकर तमाम कार्यक्रम एवं जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं. टीबी बीमारी कोई छुआछूत का रोग नहीं है कि मरीज के साथ अव्यवहार किया जाए. इसको लेकर खुद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल काफी सक्रिय हैं. प्रदेश सरकार लगातार देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए मरीजों की जिम्मेदारी ले रही है. यह बातें केजीएमयू के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कहीं.

उत्तर प्रदेश ट्यूबरक्लोसिस काउंसिल 16वीं वार्षिक कांफ्रेंस यूपीटीबीसीकान 2022 (UPTBCCON 2022) का तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार से शुरू हो गया है. केजीएमयू के शताब्दी अस्पताल फेस 2 में यूपीटीबीसीकान कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में देश भर से पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर यूनिट के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद रहे. इस कार्यक्रम के पहले दिन यानी शुक्रवार को देशभर के 500 से ज्यादा श्वास रोग और टीबी एक्सपर्ट्स शामिल हुए. इस दौरान फेफड़ों की जांच और सघन चिकित्सा केंद्र में होने वाले परीक्षण से संबंधित जानकारियां साझा की गईं.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि सरकार मरीजों को गोद ले रही है, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके और वह जल्द से जल्द टीबी को मात दे सकें. शुक्रवार को विशेषज्ञों ने फेफड़े और श्वास नली से संबंधित बीमारियां जैसे फेफड़े का कैंसर, छाती की सर्जरी, स्लीप मेडिसिन, इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (आइएलडी), ब्रोंकोस्कोपी, थोरेकोस्कोपी, फेफड़ा प्रत्यारोपण और कोविड के बाद होने वाली समस्याओं पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जो हमारे स्टूडेंट्स एमडी और डीएम कर रहे हैं उनके लिए यह बेहद जरूरी है कि टीबी बीमारी के बारे में तमाम बारीकियों को समझें, ताकि वह मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज कर सकें. टीबी मुक्त अभियान बहुत ही महत्वपूर्ण अभियान है. 2025 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का ड्रीम है कि देश को टीबी मुक्त बनाना है.




चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन, पूणे के डायरेक्टर डॉ. संदीप सालवी ने बताया कि फेफड़ों की बीमारी तेजी से बढ़ रही है. इसका जल्द निदान करने के लिए लंग्स फंक्शन टेस्ट के बारे में आज वर्कशॉप हुई है. यह कौन सी जांच है और इन जांचों को किस तरह से किया जाता है इसके बारे में बताया गया. पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर हैं जो कि अभी पढ़ाई कर रहे हैं उनके लिए यह सारी चीजें जानना समझना बेहद जरूरी है कि किस तरह से फेफड़ों की बीमारी तेजी से बढ़ रही है और इस पर डॉक्टरों को किस तरह से काबू पाना है और मरीज की जान को बचाना है.

यह भी पढ़ें : यूपी में एसटीपी और जैव विविधता संरक्षण के लिए मिले 482 करोड़

पुणे की पल्मोनरी रिसर्च सेंटर व एजुकेशन की रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. दिशा गोड़पडे़ ने बताया कि केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर यूनिट में टीबी मुक्त बनाने के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हो रहा है. यह कार्यक्रम उन सभी स्टूडेंट के लिए महत्वपूर्ण है जो कि अभी एमडी व डीएम कर रहे हैं. टीबी के लक्षण में सबसे पहले आपको लगातार एक या दो महीने से खांसी का आना, सिर में दर्द होना, खांसते समय बलगम में खून आना इसके बारे में स्टूडेंट्स को जानकारी होना बहुत ज्यादा जरूरी है. इस वर्कशॉप के जरिए स्टूडेंट्स यह समझेंगे कि किस तरह से टीबी का इलाज होता है. फेफड़ों के इंफेक्शन की किस तरह से जांच करते हैं यह महत्वपूर्ण बात है. इस वर्कशॉप में इन तमाम पहलुओं के बारे में व्याख्यान हो रहा है.

यह भी पढ़ें : गोंडा में बाढ़ जैसे हालात, आगामी 24 घंटे तक भारी बारिश के आसार, 8 अक्टूबर तक स्कूल बंद

लखनऊ : देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है. इसको लेकर तमाम कार्यक्रम एवं जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं. टीबी बीमारी कोई छुआछूत का रोग नहीं है कि मरीज के साथ अव्यवहार किया जाए. इसको लेकर खुद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल काफी सक्रिय हैं. प्रदेश सरकार लगातार देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए मरीजों की जिम्मेदारी ले रही है. यह बातें केजीएमयू के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कहीं.

उत्तर प्रदेश ट्यूबरक्लोसिस काउंसिल 16वीं वार्षिक कांफ्रेंस यूपीटीबीसीकान 2022 (UPTBCCON 2022) का तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार से शुरू हो गया है. केजीएमयू के शताब्दी अस्पताल फेस 2 में यूपीटीबीसीकान कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में देश भर से पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर यूनिट के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद रहे. इस कार्यक्रम के पहले दिन यानी शुक्रवार को देशभर के 500 से ज्यादा श्वास रोग और टीबी एक्सपर्ट्स शामिल हुए. इस दौरान फेफड़ों की जांच और सघन चिकित्सा केंद्र में होने वाले परीक्षण से संबंधित जानकारियां साझा की गईं.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि सरकार मरीजों को गोद ले रही है, ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके और वह जल्द से जल्द टीबी को मात दे सकें. शुक्रवार को विशेषज्ञों ने फेफड़े और श्वास नली से संबंधित बीमारियां जैसे फेफड़े का कैंसर, छाती की सर्जरी, स्लीप मेडिसिन, इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (आइएलडी), ब्रोंकोस्कोपी, थोरेकोस्कोपी, फेफड़ा प्रत्यारोपण और कोविड के बाद होने वाली समस्याओं पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि जो हमारे स्टूडेंट्स एमडी और डीएम कर रहे हैं उनके लिए यह बेहद जरूरी है कि टीबी बीमारी के बारे में तमाम बारीकियों को समझें, ताकि वह मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज कर सकें. टीबी मुक्त अभियान बहुत ही महत्वपूर्ण अभियान है. 2025 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का ड्रीम है कि देश को टीबी मुक्त बनाना है.




चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन, पूणे के डायरेक्टर डॉ. संदीप सालवी ने बताया कि फेफड़ों की बीमारी तेजी से बढ़ रही है. इसका जल्द निदान करने के लिए लंग्स फंक्शन टेस्ट के बारे में आज वर्कशॉप हुई है. यह कौन सी जांच है और इन जांचों को किस तरह से किया जाता है इसके बारे में बताया गया. पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर हैं जो कि अभी पढ़ाई कर रहे हैं उनके लिए यह सारी चीजें जानना समझना बेहद जरूरी है कि किस तरह से फेफड़ों की बीमारी तेजी से बढ़ रही है और इस पर डॉक्टरों को किस तरह से काबू पाना है और मरीज की जान को बचाना है.

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पुणे की पल्मोनरी रिसर्च सेंटर व एजुकेशन की रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. दिशा गोड़पडे़ ने बताया कि केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर यूनिट में टीबी मुक्त बनाने के लिए तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित हो रहा है. यह कार्यक्रम उन सभी स्टूडेंट के लिए महत्वपूर्ण है जो कि अभी एमडी व डीएम कर रहे हैं. टीबी के लक्षण में सबसे पहले आपको लगातार एक या दो महीने से खांसी का आना, सिर में दर्द होना, खांसते समय बलगम में खून आना इसके बारे में स्टूडेंट्स को जानकारी होना बहुत ज्यादा जरूरी है. इस वर्कशॉप के जरिए स्टूडेंट्स यह समझेंगे कि किस तरह से टीबी का इलाज होता है. फेफड़ों के इंफेक्शन की किस तरह से जांच करते हैं यह महत्वपूर्ण बात है. इस वर्कशॉप में इन तमाम पहलुओं के बारे में व्याख्यान हो रहा है.

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