लखनऊ: रोडवेज बसों का संचालन मुश्किल होने लगा है. सरकार से अगर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को बकाया भुगतान मिल जाए, तो उसकी गाड़ी पटरी पर लौट आए. कोरोना काल के दौरान फ्री बस सेवा और पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगी बसों का भुगतान सरकार ने अब नहीं किया है.
भुगतान नहीं होने से परिवहन निगम के सामने तमाम समस्याएं खड़ी हो रही हैं. कर्मचारियों को वेतन देने में मुश्किलें पैदा हो रही हैं, तो नई बसों की खरीद भी नहीं की जा सकी है. साढ़े नौ लाख से ज्यादा यात्रियों को परिवहन निगम की बसों से उनके घर भेजा गया था. उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव में परिवहन निगम की 1500 बसें सरकार ने किराए पर ली थीं. अप्रैल और मई माह में चुनाव संपन्न हो गए, लेकिन अब भी तकरीबन 183 करोड़ 75 लाख से ज्यादा का बकाया परिवहन निगम का भुगतान नहीं हो पाया है.
प्रत्येक वित्तीय वर्ष में परिवहन निगम अपने बस बेड़े में नई बसें जोड़ता है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष में एक भी नई बस खरीदी नहीं जा सकी है. बसों की खरीद के लिए 390 करोड़ रुपए की आवश्यकता है, लेकिन परिवहन निगम के पास बस खरीद के लिए पैसे नहीं है. ऐसे में एक भी नई बस नहीं खरीदी गई. 1200 बसें खरीदने का परिवहन निगम का प्लान था.
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कोविड-19 का असर परिवहन निगम की बसों पर भी पड़ा है. लगभग 140 करोड़ रुपए के घाटे में इन दिनों परिवहन निगम चल रहा है. बसें इसलिए संचालित नहीं हो पा रही हैं, क्योंकि स्पेयर पार्ट्स की कमी है और उनकी भी खरीद नहीं हो पा रही है. इससे बसों को सही समय पर मरम्मत नहीं हो पा रही है. सरकार से परिवहन निगम को भुगतान मिले, तो उसका काम चले.
परिवहन निगम के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि कई बार बकाए के भुगतान के लिए शासन को पत्र भेजा गया है. बार-बार आश्वासन मिला, लेकिन भुगतान एक पैसे का भी नहीं हुआ. अगर शासन से भुगतान हो जाए तो परिवहन निगम की जो व्यवस्थाएं बिगड़ रही हैं, वह दुरुस्त हो जाएं.
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