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IAS का मतलब 'आई एम सेफ', हर मामले में IPS पर होती है कार्रवाई?

उत्तर प्रदेश सरकार जितनी तत्परता IPS के खिलाफ कार्रवाई करने में दिखाती है, उतनी तेजी IAS के खिलाफ नहीं दिखाती. सत्ता के गलियारों में लोग अब कहने लगे हैं कि IAS का मतलब होता है 'आई एम सेफ'.

ias vs ips
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Published : Jul 28, 2021, 1:38 PM IST

Updated : Jul 28, 2021, 7:41 PM IST

लखनऊ: हाथरस कांड में योगी सरकार ने SIT की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आने पर तत्कालीन एसपी IPS विक्रांत वीर को निलंबित कर मामले को दबाने का प्रयास किया. लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी प्रवीण कुमार के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न होने की वजह से सत्ता के गलियारों में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.


कहा जा रहा है कि चाहे कोई भी मामला हो, ऐसे मामलों में IAS खुद को बचा लेते हैं और IPS अफसरों को ही सरकार के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है. भ्रष्टाचार व अन्य कई मामलों में आठ IPS अफसरों पर योगी सरकार का डंडा चला. कई IAS भ्रष्टाचार व अन्य मामलों में फंसे, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अब सवाल यह है कि जिन मामलों में इन पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई तो उस जिले के डीएम कैसे बच गए?

अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें IPS के साथ IAS भी बराबर के साझीदार थे. मगर किसी आईएएस के खिलाफ अब तक कोई कड़ी कार्रवाई योगी सरकार ने नहीं की. यहां तक कि बुलंदशहर में IAS अभय सिंह के सरकारी बंगले पर जब छापा पड़ा तो उनके घर से बेनामी सम्पत्ति के दस्तावेज तथा लाखों की नकदी बरामद हुई. राज्य सरकार ने उनको वेटिंग में डालने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की.

इसी तरह विशेष सचिव रहे IAS ईश्वर पाण्डेय ने अपनी पोस्टिंग को लेकर तथाकथित दलालों को लाखों रुपए दिए. जब यह मामला खुला तो शोर मचा पर ईश्वर पाण्डे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. विशेष सचिव परिवहन रहे IAS ईश्वर पांडेय ने कानपुर विकास प्राधिकरण में अपनी तैनाती के लिये कुछ तथाकथित दलालों को लाखों रुपये दिए थे. दलाल पकड़े गये तो राज खुला. इस प्रकरण में भी ट्रांसफर के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई.

कोरोना काल में कोविड किट खरीद घोटाले को लेकर कई जिलों में मामले उजागर हुए. पर अब तक किसी भी IAS के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, जो भी कार्रवाई हुई है वह केवल DPRO तथा उनके अधीन काम करने वाले बाबुओं के खिलाफ ही हुई. जबकि, यूपी के आठ IAS अफसर ऐसे हैं, जिनके खिलाफ CBI जांच चल रही है. CBI ने इनके खिलाफ बाकायदा भ्रष्टाचार के केस दर्ज किए हैं.

जानकारों की मानें तो आए दिन इन अफसरों के घरों पर सीबीआई के छापे पड़ते रहते हैं और इनसे पूछताछ भी होती है, मगर इनमें से किसी अधिकारी का निलंबन आज तक नहीं हुआ. अब तक केवल PCS से IAS बने उन्नाव के तत्कालीन डीएम देवेन्द्र पांडेय का ही निलंबन हुआ था. राज्य के जिन IAS अफसरों के खिलाफ सीबीआई में भ्रष्टाचार की FIR दर्ज है. उसमें जीवेश नंदन, संतोष कुमार, बी.चन्द्रकला, अभय कुमार, विवेक, पवन कुमार, देवी शरण उपाध्याय और अजय के नाम शामिल हैं.


इन दिनों अलग-अलग मामलों में आठ IPS अधिकारी निलंबित चल रहे हैं. इनमें एडीजी जसवीर सिंह, डीआईजी दिनेश चन्द्र दुबे, डीआईजी अरविन्द सेन, एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण, एसएसपी प्रयागराज अभिषेक दीक्षित, एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार, एसपी कानपुर अर्पणा गुप्ता तथा हाथरस एसपी विक्रांतवीर के नाम शामिल हैं. एडीजी जसवीर सिंह को छोड दिया जाए तो यह सभी अफसर पिछले चार महीने में निलम्बित हैं.

लखनऊ: हाथरस कांड में योगी सरकार ने SIT की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट आने पर तत्कालीन एसपी IPS विक्रांत वीर को निलंबित कर मामले को दबाने का प्रयास किया. लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी प्रवीण कुमार के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न होने की वजह से सत्ता के गलियारों में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.


कहा जा रहा है कि चाहे कोई भी मामला हो, ऐसे मामलों में IAS खुद को बचा लेते हैं और IPS अफसरों को ही सरकार के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है. भ्रष्टाचार व अन्य कई मामलों में आठ IPS अफसरों पर योगी सरकार का डंडा चला. कई IAS भ्रष्टाचार व अन्य मामलों में फंसे, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अब सवाल यह है कि जिन मामलों में इन पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई तो उस जिले के डीएम कैसे बच गए?

अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें IPS के साथ IAS भी बराबर के साझीदार थे. मगर किसी आईएएस के खिलाफ अब तक कोई कड़ी कार्रवाई योगी सरकार ने नहीं की. यहां तक कि बुलंदशहर में IAS अभय सिंह के सरकारी बंगले पर जब छापा पड़ा तो उनके घर से बेनामी सम्पत्ति के दस्तावेज तथा लाखों की नकदी बरामद हुई. राज्य सरकार ने उनको वेटिंग में डालने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की.

इसी तरह विशेष सचिव रहे IAS ईश्वर पाण्डेय ने अपनी पोस्टिंग को लेकर तथाकथित दलालों को लाखों रुपए दिए. जब यह मामला खुला तो शोर मचा पर ईश्वर पाण्डे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. विशेष सचिव परिवहन रहे IAS ईश्वर पांडेय ने कानपुर विकास प्राधिकरण में अपनी तैनाती के लिये कुछ तथाकथित दलालों को लाखों रुपये दिए थे. दलाल पकड़े गये तो राज खुला. इस प्रकरण में भी ट्रांसफर के अलावा कोई कार्रवाई नहीं की गई.

कोरोना काल में कोविड किट खरीद घोटाले को लेकर कई जिलों में मामले उजागर हुए. पर अब तक किसी भी IAS के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, जो भी कार्रवाई हुई है वह केवल DPRO तथा उनके अधीन काम करने वाले बाबुओं के खिलाफ ही हुई. जबकि, यूपी के आठ IAS अफसर ऐसे हैं, जिनके खिलाफ CBI जांच चल रही है. CBI ने इनके खिलाफ बाकायदा भ्रष्टाचार के केस दर्ज किए हैं.

जानकारों की मानें तो आए दिन इन अफसरों के घरों पर सीबीआई के छापे पड़ते रहते हैं और इनसे पूछताछ भी होती है, मगर इनमें से किसी अधिकारी का निलंबन आज तक नहीं हुआ. अब तक केवल PCS से IAS बने उन्नाव के तत्कालीन डीएम देवेन्द्र पांडेय का ही निलंबन हुआ था. राज्य के जिन IAS अफसरों के खिलाफ सीबीआई में भ्रष्टाचार की FIR दर्ज है. उसमें जीवेश नंदन, संतोष कुमार, बी.चन्द्रकला, अभय कुमार, विवेक, पवन कुमार, देवी शरण उपाध्याय और अजय के नाम शामिल हैं.


इन दिनों अलग-अलग मामलों में आठ IPS अधिकारी निलंबित चल रहे हैं. इनमें एडीजी जसवीर सिंह, डीआईजी दिनेश चन्द्र दुबे, डीआईजी अरविन्द सेन, एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण, एसएसपी प्रयागराज अभिषेक दीक्षित, एसपी महोबा मणिलाल पाटीदार, एसपी कानपुर अर्पणा गुप्ता तथा हाथरस एसपी विक्रांतवीर के नाम शामिल हैं. एडीजी जसवीर सिंह को छोड दिया जाए तो यह सभी अफसर पिछले चार महीने में निलम्बित हैं.

Last Updated : Jul 28, 2021, 7:41 PM IST
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